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गरीब बच्चों के मसीहा बनें गुरु जी को पद्मश्री के लिए उठी आवाज़

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यथार्थ सत्य हैं गुरु भगवान का दूसरा रूप होते हैं, क्योंकि वे निःस्वार्थ भावना से विद्यार्थियों को पढ़ाकर उनके भविष्य का निर्माण करते हैं. शिक्षक देश के निर्माण करता होते हैं। ऐसी ही गुज आज जौनपुर के धरती से पूरे देश में उठी हैं। शिक्षक रामअभिलाष पाल की जिन्हें लोग गुरूजी के नाम से बुलाते हैं।राम अभिलाष पाल गरीब और वंचित समाज के बच्चों को पढ़ाते हैं. अभी तक उनके शिष्यों में से हज़ारों प्रशासनिक अधिकारी, चिकित्सक, इंजीनियर, प्रोफेसर, प्रवक्ता, शिक्षक जैसे तमाम पदों पर आसीन हैं. उनके एक विद्यार्थी प्रयागराज के पशुधन नगर निगम अतिक्रमण अधिकारी मनोज यादव से बातचीत में बताएं।

NDTV से खास बातचीत में राम अभिलाष पाल ने बताया कि उन्हें सबसे अधिक इस बात का गर्व है कि उनके शिष्य उनके सपने को पूरा करने के लिए पूरा सहयोग दे रहें हैं। उनका कहना है कि चूंकि उन्होंने बचपन से ही गरीबी को देखा, और यही कारण है कि वे अभाव में रहने वाले बच्चों की समस्या को बेहतर ढंग से समझते हैं। यही कारण रहा कि उन्होंने समाज के प्रत्येक वर्ग को समान शिक्षा प्रदान कराने का निश्चय किया। उन्होंने बताया कि अन्य लोगों की सहायता से उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई की और बीएड की डिग्री पूरी की। पढ़ाई के बाद उन्होंने वंचित बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और देखते ही देखते ये एक मिशन बन गया। अभिलाष पाल का मानना है कि समाज के हर तबके को समान शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।आज उनके पढ़ाए विद्यर्थियों की आवाज देश के हर जगह जहाँ भी है तमाम सामाजिक संगठनों से माँग उठ रही हैं कि गुरु जी रामअभिलाष पाल को पद्मश्री से नवाजा जाए।

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