भारतीय गीत संगीत के बारे में ऐसा ऐसा उदाहरण है कि इसके आगे प्रकृति भी झूमने पर विवश हो जाती थी। तानसेन के संगीत से बारिश, हवा, पशु-पक्षी वशीभूत होकर संगीत के हिसाब से प्रतिक्रिया करते थे। यदि बात गीत की जाए तो गीत भी ऐसे होते थे कि मन को छू जाए। जिससे लोग वशीभूत होकर अपने को भूल जाते थे। भारतीय संगीत का एक प्रमुख अंग शास्त्रीय संगीत है जो कई रागों में विभक्त है और सभी रागों का एक बडा महत्व था। सभी रागों के गायन का समय अलग अलग होता था। जो प्रकृति से जुडाव का सटीक उदाहरण था। आज इन विधाओं का जैसे लोप हो गया है यदि नही हुआ है तो आने वाले दिनों में इसके विलुप्त होने की संभावना ज्यादा बढ रही है। इसकी वजह यह है कि अब नवागत गीत व संगीतकार केवल अश्लीलता को परोसने में अपने को महान समझते है।
आजकल जिस तरह अश्लीलता भरे गीत कानों में सुनाई पडते है तो लोग खुद से लज्जित हो जाते है। आज की युवा पीढी इस अश्लील गीतों के पीछे काफी दीवानी है। आज हर जगह ऐसे अश्लील गीत बजाये जाते है जो समाज को बर्बाद करने में काफी अहम भूमिका निभाती है। अक्सर देखा जाता है आर्केस्ट्रा में ऐसे ऐसे गंदे गीत बजाये जाते है जो युवाओं और किशोरों को पथभ्रष्ट करने में काफी सहयोगी साबित हो रहा है। विदित हो कि जब अश्लील गीतों पर डान्स होता है तो वह गीत किशोरो व बच्चों के दिमाग में जाकर एक प्रकार की गंदगी भरता है जो उसके साथ साथ समाज के लिए खतरनाक है। जरा सोचिये कि अश्लील गीतों को परिवार के सभी सदस्य जब एक साथ सुनते है तो अन्दर ही अन्दर शर्मसार होते है जो समाज की गंदी प्रथा का सच्ची हकीकत है।
मानते है कि गीत संगीत मनोरंजन का माध्यम है लेकिन इतनी अश्लीलता इतनी ज्यादा बढ गई है कि गीत को सुनने वाली महिलाएं अपने घर में शर्मसार होती है। बारात व डीजे में इस तरह के गंदे व अश्लील गीत बजता है तो उस समय घर पर हर वर्ग के महिला पुरूष उस अश्लील गीत को सुनने पर विवश होते है। गीतों में प्रयोग शब्द भले ही द्विअर्थी हो लेकिन नये उम्र के युवक-युवतियों में केवल इसका गलत अर्थ ही दिमाग में बैठता है। जो समाज को बर्बाद करने का सबसे बडा तरीका है। देखने को मिलता है कि टेंपो इत्यादि में भी धडल्ले से इस तरह के गीत बजाये जाते है लेकिन कोई इस पर कार्यवाही करने वाला नही है।
इस तरह के गंदे व अश्लील गीतों को रोक लगना बेहद जरूरी है नही तो दिन दूर नही होगा जब समाज में गंदी विचारधारा और प्रभावी होगी। जो आगे आने वाली पीढी के लिए किसी जहर से कम नही होगा। इस तरह के गीत से भारतीय संस्कृति व संस्कार पर भी परोक्ष कुठाराघात है। शासन व प्रशासन को चाहिए कि गंदे व अश्लील गीतों पर पाबंदी लगाये। और इस तरह के गीत लिखने वाले लेखक, गाने वाले गायक के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करें तथा इस तरह के पहले बने गीतों पर पूर्ण पाबंदलेलगाना बेहद जरूरी है। कुछ गंदे विचारधारा वाले लेखक व गायको के वजह से समाज में अश्लीलता का जहर घोला जा रहा है। बारात या सार्वजनिक स्थलों पर अश्लील गीतों को बजाने पर पूर्ण पाबंदी लगाना जरूरी है। कभी कभी इनशगंदे गीतों के वजह से मारपीट व बडी घटनाएं भी हो जाती है। जो लेखक लिखना चाहते है तो ऐसे गीत लिखे जो समाज मे एक आदर्श, देशभक्ति, संस्कार, मानवता इत्यादि का भाव से भरा गीत हो जो समाज को एक नई दिशा दें। समाज के जिम्मेदार लोगों से निवेदन है कि इस तरह के अश्लील गीतों को पूर्णतः विरोध व रोक लगाने का प्रयास करें क्योकि इस तरह गीत देश को बर्बाद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है जो देश की आगे आने वाली पीढी को परोक्ष रूप से इन अश्लील गीतो के माध्यम से जहर परोस रहे है। इस तरह के अश्लील व गंदे गीतों को रोकने के लिए हम सब को आगे आना होगा।