Home भदोही यहां लगेगा शिलापट्ट, माँ संतोषी धाम में अंधेरा, चावी कहां है.?

यहां लगेगा शिलापट्ट, माँ संतोषी धाम में अंधेरा, चावी कहां है.?

काशी-प्रयाग मध्य के रोही गांव में इन दिनों ‘माँ संतोषी धाम’ मंदिर के व्यवस्थापन को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, जिसके कारण भक्तगणों के भक्तिभाव में भी नकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित हो रही है। भले ही ‘माँ संतोषी धाम’ प्रांगण ‘सोलर लाइट’ से लैश है लेकिन मँइया के दरबार में ऊजाला नहीं होता है। यहां गाहेवगाहे मंदिर निर्माण में आर्थिक सहयोग किये दानदाताओं की सुध रसीद दर रसीद चंदावसूली किये सांस्थिक सदस्यों को आ जाती है तो एक ही राग अलाप दिया जाता है कि शीघ्र दानदाताओं के नाम का शिलापट्ट मँइया के दरबार में लगेगा।

सांस्थिक अध्यक्ष की पल्ला झाड़ भूमिका

शक्ति सेना फाउंडेशन के अशोक पांडेय (जिन्होंने माँ संतोषी धाम मंदिर निर्माण हेतु चंदावसूली करवाया था) कहते हैं कि शीघ्र ही दानदाताओं के सहयोग की भूमिका शिलापट्ट संगमरमर पत्थर पर अंकित होकर लगेगा। इसके साथ ही अंधेरे में मँइया दरबार है लेकिन सोलर लाइट की बैट्री के संदर्भ में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। जहां एक ओर श्री पाण्डेय दावा करते हैं कि उनकी संस्था द्वारा रसीद दर रसीद वसूली से जहां भी सार्वजनिक मंदिर निर्माण कार्य करवाया जाता है तो वहां की व्यवस्था सदैव दुरूस्त रहती है एवम् विधिवत् पुजारी नियुक्त किये जाते हैं। खैर.. जब ‘संतोषी माँ धाम’ रोही के मंदिर की ‘चावी’ के बारे पूछा गया तो बताते है कि उक्त चावी उनकी संस्था के सदस्य पवन शुक्ला परिवार के घर पर व्यवस्थापन देख रेख हेतु दी गई है।

कब खुलता मँइया दरबार

‘माँ संतोषी धाम’ दरबार कब खुलता है एवम् अन्य जानकारी संस्था प्रमुख द्वारा घोषित कथित सदस्य पवन शुक्ला की माताजी ने स्वयं हमार पूर्वांचल के समक्ष मोबाइल काल पर दिया। श्रीमती शकुंतला सर्वजीत शुक्ला के मुताबिक मंदिर सुबह ६ से ९ एवम् शाम ३ से ६ खोला जाता है। इसके साथ ही दोपहर में मंदिर साफ सफाई हेतु बंद रहता है। उन्होंने स्पष्ट दावा किया कि गांव-समाज की अधिकांश महिलाये मँइया दरबार में सिर्फ शुक्रवार को आती है लेकिन दूर-दराज के भक्त जब भी आते हैं तो उन्हें चावी दी जाती है। खैर..कुछ स्थानीय मंदिर निर्माण सहयोगी भक्तगण दावा करते हैं कि मंदिर मनमानी समय पर 15-20 मिनट के लिए खोला जाता है और चावी भी एकाधिकार में कैद है। इसके साथ ही वहां सार्वजनिक जमीन कब्जा करने हेतु जानवर बांधकर गोबर से उपली की पथाई चालू है।

कोई जिम्मेदारी नहीं लेता

शकुंतला देवी की बातों को मानें तो गांव-समाज रोही शुकुलान बस्ती का कोई परिवार चावी लेकर मँइया दरबार में सुसज्जित गहनों की रखवाली की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता है और इस सार्वजनिक मंदिर के सोलर लाइट की बैट्री पता नहीं कहाँ बनने गई है, जिससे मँइया दरबार में उजाला होता था।

1 COMMENT

  1. रिपोर्टर ने बड़ी ही बारीकी से संस्था के अध्यक्ष चाबी जिनके पास है उनका नाम तो बताया लेकिन जो मंदिर को एकाधिकार और मनमानी तरीके से खोले जाने का दावा कर रहे हैं वह कौन है उनका नाम भी सार्वजनिक करिए

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