साभार : गूगल
आज सयुंक्त राष्ट्र की अदालत में भारत सरकार द्वारा अनुमोदित या रखे गए पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र और मसूद अजहर को अंतराष्ट्रीय आतंकवादी घोषणा के प्रस्ताव को चीन ने अपना वीटो पॉवर का इस्तेमाल कर प्रस्ताव को गिरा दिया। चीन हमेशा से हमारे पीठ पर वार करता रहा है, जिस चीन ने सयुंक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्य बनाने का हमेशा विरोध किया है, जिसने ताश्कंद समझौता, डोकलाम पर मुंह जोरी, पाकिस्तान को सैन्य सामानों मुहैया करा हम पर आघात कराते रहा है, भारत से तिब्बत को अलग करा कर हासिल करने की चाहत, हमने हमेशा दबाव में झुकें है फिर भी हम चीन की आवभगत और सस्ते सामानों के इस्तेमाल करने में लगे रहते है देश प्रेमियों लोगों यदि तुम्हें हिंदुस्तान पर और अपने भारतीय होने का गर्व है तो चीन के सभी सामानों का बहिष्कार कर देना चाहिए।
आइए अब समझते हैं वीटो पॉवर क्या होता है? संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका, फ्रांस, रूस, युनायटेड किंग्डम और चीन स्थायी सदस्य है जो सुरक्षा परिषद में कभी कोई प्रस्ताव आता है और जिसमें कोई एक स्थायी सदस्य देश इस से सहमत नहीं है तो ये प्रस्ताव पारित नहीं होगा या दूसरे शब्दों में कहे तो खारिज हो जाएगा। किसी भी प्रस्ताव को अगर सुरक्षा परिषद में पास होना है तो उसके पांच स्थायी सदस्य की सर्वसम्मत्ति जरूरी है अगर कोई एक देश भी विरोध करते हुए इसके खिलाफ वोट करता है तो ये प्रस्ताव खारिज हो जाता है यानी यह पाँचों देश के किसी एक ने अपना पॉवर इस्तेमाल किया तो वहीं पॉवर वीटो पॉवर कहलाता है।
चीन ने पाकिस्तान और अजहर मसूद के प्रेम में अपना वीटो पॉवर इस्तेमाल किया है जिसकी चोंट हर हिंदुस्तानियों के ह्रदय पर लगी।
क्या हममें स्वाभिमान, विवेक और राष्ट्र भक्ती जिंदा है? क्यों हमें अपनी भारतीयता पर अभिमान नहीं होता? क्यो हमारा जमीर या स्वाभिमान मर चुका है? क्यों हम विदेशी सामानों, संसाधनों और उनकी विलासिता भरी दुनिया के इस्तेमाल न करने के लिए अपने विवेक को नहीं लगाते? क्यों हमारे तथाकथित देशप्रेमी स्वदेशी व्यापारी अपने सामानों की कीमत विदेशों से आयात किए सामानों की तुलना में अधिक रखते हैं? क्यों हम मातृभूमी के सम्मान में केवल फोटो, बैनर और दिखावे की राजनीति कर रहे है? क्यों पुलवामा हमले, सर्जिकल स्ट्राइक और विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई केवल दिखावे की ही देशभक्ती रह गई है?
यदि उपर दिए कारणों को खंगाला जाए तो पता चलता है कि जैसे एक कहावत प्रचलित है कि वर मरे या कन्या दक्षिणा से मतलब है यही देश के चंद नेता, व्यापारी और दलालों पर चरितार्थ हो रहा है, सभी पैसे के पागल और अपने आप को बड़ा दिखाने के चक्कर में नीचे के स्तर पर आ चुके हैं इनकी चले तो देश भी बेच देने से परहेज नहीं करेंगे। क्या गांधीजी का स्वदेशी अपनाओ और विदेशी सामान का बहिष्कार नहीं कर सकते? क्या व्यापारी इतने वर्षों से चीन द्वारा आयातित सामान से किए व्यापार पर मिले मुनाफे नहीं कमाया। आदरणीय व्यापारियों मात्र एक खेप चीन को हिलाने के लिए काफी है आप इस होली में भी आजादी वाली लड़ाई का परिदृश्य उजागर कर दो और चीन के सामानों की होली जला दो, सभी देशप्रेमी नागरिकों से भी अपील है कि यदि दुकानदार या व्यापारी चीनी सामानों की होली नहीं जलाता तो सामानों को रास्तों पर लाकर जला देना चाहिए क्या होगा कानून तोड़ने की सजा मिलेगी, देश के खातिर एक जेल आंदोलन फिर…….
अंतराष्ट्रीय व्यापार समझौते के अनुसार सरकार नहीं रोक लगा सकती परंतु हम तो रोक लगा सकते हैं।
आज चीन को आर्थिक युद्ध में ललकारने का समय आ चुका है चलो चीनी सामानों का बहिष्कार किया जाए और देश के अंदर बाहर के देश विरोधी ताकतों को हम सब मिलकर दिखा दें अब मसूद ही नहीं तुम भी जेल में रहो और चीन जैसे घमंडी देशों को भी दिखा दें भारत विश्वगुरु था, है और रहेगा। बस अब और नहीं……….
जयहिंद…..वंदे मातरम्