Home मन की बात होली की बदलता स्वरूप-आभा दवे

होली की बदलता स्वरूप-आभा दवे

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आज वक्त के अनुसार होली का स्वरुप भी बदल रहा है । आज होली दहन में वो बात नहीं है जो पहले हुआ करती थी । बचपन में हम सभी मिलकर गोबर के छोटे-छोटे कंडे बनाते थे । होली में जलाने के लिए । फिर कोई पुराने कपड़े ढूंढते थे पहनने के लिए । टेसू के फूलों से रंग बनाते थे ।दो दिन पहले से हर घर में पकवानों की खूशबू आने लगती थी । पर आज के समय में सब कुछ बाजार से आ जाता है । छोटे परिवार हो जाने के कारण भी होली का वो माहौल नहीं रहा जो पहले होता था ।

आज हम सभी होली तो मना रहे हैं पर सिर्फ वाट्सअप और फेसबुक पर फोटो डालने के लिए । जहाँ तक आज के रंगों का सवाल है तो सभी को पता है आज के रंग मिलावटी होते हैं । हाँ कुछ ऐसे रंग भी बाजार में आ रहे हैं जो हानिकारक नहीं होते ।

होली का स्वरुप चाहे कितना भी बदल रहा है पर होली पूरे विश्व भर में धूमधाम से मनाई और खेली जाती है । वृंदावन की होली आज भी प्रसिद्ध है ।

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