सांताक्रुज (मुंबई) : वैदिक पंरपरा को सुदृढ़, सुचारु से संचालित रखने हेतु एवं सभी भारतीयों का मार्गदर्शन करने हेतु मुंबई की संस्था वैदिक दर्शन प्रतिष्ठान के अध्यक्ष पं•प्रभारंजन पाठक के आयोजन में आर्य समाज सभागृह लिंकिग रोड सांताक्रूज़ (पश्चिम)मुंबई में दिनांक २७ दिसम्बर २०१८ गुरूवार को सम्मान समारोह एवं वेद और विज्ञान पर संगोष्ठी रखी गई। जिसकी अध्यक्षता डा• ज्वलंत कुमार शास्त्री (वैदिक विज्ञान- अमेठी उत्तर प्रदेश)ने की तथा उक्त समारोह में मुख्य अतिथि डा• कृष्ण कुमार मिश्र (वैज्ञानिक-मुंबई) थे। समारोह में सम्मानित अतिथियों में श्री अरुण अंबोले (मंत्री-आर्य प्रतिनिधि सभा मुंबई), श्री विनय कुमार मोदी, श्री संजय कोहली, श्री सुनील मानकटाल, श्री मगन भाई दिवाजी, श्री प्रज्ञात द्विवेदी उपस्थित थे।
समारोह में वेद और विज्ञान संगोष्ठी के पूर्व सभी का सम्मान संस्था द्वारा निर्मित मोमेंटो, शाल, पुष्पगुच्छ देकर किया गया। उक्त सम्मान समारोह में विशेष सम्मान भी प्रदान किया गया जिसमें वैदिक शिक्षारत्न सम्मान (शिक्षा के क्षेत्र में) श्री राम नयन दुबे (प्राचार्य-उर्वर्स अकादमी बांद्रा-मुंबई), वैदिक साहित्य श्री सम्मान(साहित्य हेतु) डाॅक्टर जितेन्द्र पाण्डेय (हिन्दी विभागाध्यक्ष- सेंट पिटर्स संस्थान पंचगनी महाराष्ट्र) एवं वैदिक पत्रकारिता सम्मान (पत्रकारिता हेतु) श्री राघवेन्द्र द्विवेदी (संपादक-हमारा महानगर, मुंबई महाराष्ट्र) को ससम्मान प्रदान किया गया।
समारोह का सूत्र-संचालन वैदिक दर्शन प्रतिष्ठान के अध्यक्ष पं• प्रभारंजन पाठक जी एवं श्रीमती भारती श्रीवास्तव ने सुन्दर ढंग से किया। सम्मान समारोह के उपरांत वेद और विज्ञान पर संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ जिसमें प्रमुख वक्ता श्री स्वामी योगानन्द सरस्वती (लखनऊ), श्री दिलीप भाई वेलाणी (मुंबई), श्री योगेश सुदर्शन आर्यवर्ती, श्री राहुल कुमार तिवारी (दिल्ली) एवं श्रीमती सुमन मिश्रा (मुंबई) आदि प्रमुख थे। वेद और विज्ञान पर सभी वक्ताओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विज्ञान आज जो भी खोज कर रहा है, वेदों में पहले से वर्णित है इसलिए भारत भूमि पर एकता-अखंडता को कायम रखने के लिए सभी को अपनी विरासत वैदिक पंरपरा को जीवित रखने और भविष्य को उज्जवल, सुन्दर, सुदृढ़ बनाने हेतु वेद और विज्ञान को एक साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। संस्था अध्यक्ष पं•प्रभारंजन पाठक जी ने कहा जाति बताने वाले राजनेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा हनुमानजी भी एक आर्य थे। आर्य का अर्थ- जाति, धर्म, संप्रदाय नहीं बल्कि श्रेष्ठता से है।
उक्त समारोह में शिक्षक, शिक्षिका, ज्ञानी सुधिजनों को संस्था की तरफ से महर्षि दयानंद सरस्वती लिखित “सत्यार्थ प्रकाश ” भेंट स्वरूप वितरित किया गया। समारोह को सफल बनाने में मुंबई की आर्य समाज संस्था, आर्य वीरदल, आर्य पुरोहित सभा, सृजन संवाद एवं योग निकेतन-गोरेगाॅव की अहम भूमिका थी। सक्रिय कार्यकर्ताओं में श्री परेश भाई पटेल(मंत्री), श्री दीपक भाई पटेल(प्रधान आर्य समाज), श्री मुन्ना यादव मयंक (जनहित इंडिया पत्रिका-मुंबई प्रतिनिधि), श्री कल्पेश यादव सक्रिय थे। उक्त समारोह में श्री विनय शर्मा दीप, श्री उमेश पांडे, श्री महेंद्रमणि पाण्डेय (पत्रकार), श्री सतीश चौहान (पत्रकार), श्री चंद्रभूषण विश्वकर्मा (पत्रकार) आदि भी उपस्थित थे।
अंत में संस्था के वरिष्ठ श्री सुनील मानकटाला जी ने आये हुए सभी अतिथियों, पत्रकारों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया और समारोह का समापन किया।