किसी को नौकरी अच्छी लगती है तो किसी को व्यापार। हर कोई आजीविका कमाने के लिए अपनी पसन्द का कार्य करना चाहता है। हमारे मन में ये प्रश्न अक्सर आता है की कैसे सुनिश्चित करेंगे कि जातक का कार्यक्षेत्र क्या होगा? जातक विदेश में सफलता प्राप्त करेगा या स्वदेश में। मनुष्य जीवन कर्म पर आधारित है जीवनयापन के लिए हमें अनेक वस्तुओं तथा संसाधनों की आवश्यकता होती जिनकी प्राप्ति हमें धन के आधार पर होती है परंतु यह धन भी निरंतर रूप से किये गये किसी कर्म के द्वारा ही प्राप्त होता है। यह कार्य ही हमारी आजीविका कहलाती है तथा आजीविका से ही समाज में हमारी पहचान बन पाती है। प्रत्येक व्यक्ति की आजीविका अलग-अलग स्तर तथा भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में होती है इसके अतिरिक्त कुछ व्यक्ति सेवा नौकरी से आजीविका चलाते हैं तथा कुछ स्वतंत्र व्यवसाय करके तथा कई बार व्यक्ति मनचाहे क्षेत्र में पूर्ण परिश्रम करने पर सफल नहीं होता तथा जैसे ही वह आजीविका क्षेत्र बदलता है तो उसे सहज ही सफल मिल जाती है। वास्तव में हमारे जन्म के साथ ही ग्रह स्थिति से यह सब निश्चित हो जाता है।
अतुल शास्त्री जी बताते है कि ज्योतिष से हम जान सकते हैं कि हम किस क्षेत्र में जायेंगे या क्या कार्य हमारे लिए उपयुक्त है तथा इसमें भी नौकरी या स्वयं का व्यवसाय तो ज्योतिष शास्त्र की यही उपयोगिता है कि आप अपने लिए उपयुक्त क्षेत्र चयन करें। और सहज ही सफलता मिले। कुंडली के भावो और इनके स्वामी और इनका नवग्रह से संबंध का विश्लेषण कर यह जाना जा सकता है कि व्यक्ति या जातक नौकरी करेगा या व्यवसाय।नौकरी होगी या व्यापार इन दोनों में से आजीविका का साधन क्या होगा? यह जानना हर कोई चाहता है। आप भी जानना चाहते हैं तो अपनी कुंडली का विश्लेषण करे। कुंडली में शनि मजबूत है तो नौकरी में सफलता मिलेगी बुध मजबूत है तो व्यापार में सफलता मिलेगी। दोनों कमजोर हो तो दोनों में से किसी में भी सफलता की संभावना नहीं होती है। कुंडली में जो ग्रह मजबूत हो उसके अनुसार व्यापार करने से सफलता जल्दी मिलती है। कुंडली में चर राशि में ग्रह ज़्यादा हो तो चलने वाले कार्य में सफल होंगे। कुंडली में स्थिर राशि में ग्रह ज़्यादा हो तो बैठने वाला काम में सफल होंगे। अगर दिउस्वभाव में ग्रह ज़्यादा हो तो दोनों काम कर सकते हैं। कुंडली में अग्नितत्व अछा हो तो अग्नि वाले कार्य में सफल होंगे और दिमाग से पैसे कमाएंगे। कुंडली में पृथ्वीतत्व अच्छा हो तो मेहनत करके सफलता मिलेगी। वायु और आकाश तत्व ज़्यादा हो तो आकाश वाले और विद्या के काम में सफल होंगे। जलतत्व ज़्यादा अच्छा हो तो जल वाला कार्य में सफल होंगे। अगर आप व्यापार या नौकरी कर रहे हैं और आपका शनि और बुध कमजोर भी है तो आप घबराये नहीं आप उसका साधारण उपाय करके सही करे
जन्म कुंडली और व्यवसाय- नौकरी
नौकरी या व्यवसाय: ज्योतिषीय दृष्टि कोण में जन्मकुंडली का दशम भाव, दशमेश, शनि तथा इन पर प्रभाव डालने वाले ग्रहों से हमारी आजीविका व उसका स्वरूप स्पष्ट होता है। दशम भाव तो पूर्णतया आजीविका का कारक है ही तथा मुख्य निर्णायक घटक भी है परंतु जब आजीविका को भी नौकरी और व्यवसाय दो भागों में बांटा जाय तो इसमें नौकरी के लिए दशम के अतिरिक्त षष्ट भाव तथा व्यवसाय के लिए दशम के अतिरिक्त सप्तम भाव की भी भूमिका होती है। जातक नौकरी करेगा या व्यवसाय? यह विषय दो दृष्टिकोण से देखा जा सकता है एक तो यह कि जातक किस प्रकार से आजीविका अपनायेगा या नौकरी और व्यवसाय में से किसमें उसकी रुचि होगी और दूसरी तरफ यह भी महत्वपूर्ण है कि वास्तव में जातक के लिए उपयुक्त क्या है नौकरी या व्यवसाय? यदि जातक की कुंडली के दशम भाव में चर राशि (1, 4, 7, 10) स्थित है तो ऐसा जातक कर्म से स्वतंत्र सोच रखने वाला अधिक महत्वाकांक्षी व्यक्तिहोता है तथा ऐसा व्यक्ति स्वतंत्र व्यवसाय को अपनाता है।
यदि कुंडली के दशम भाव में स्थिर राशि (2, 5, 8, 11) स्थित हो तो व्यक्ति एक स्थान पर जमकर कार्य करने में रुचि रखता है तथा नौकरी को अपनाता है।
यदि कुंडली के दशम भाव में द्विस्वभाव राशि में (3, 6, 9, 12) स्थित हो तो जातक समय के अनुकूल अपने आप को ढालने वाला होता है तथा अपने लाभ के अनुसार नौकरी और व्यवसाय दोनों को अपना सकता है।
उपरोक्त के अतिरिक्त इन्हीं राशियों में दशमेश की स्थिति मुख्य तो नहीं पर सहायक भूमिका अवश्य निभायेगी दशमेश चर राशि में होने पर व्यवसाय, स्थिर राशि में होने पर नौकरी तथा द्विस्वभाव राशि में होने पर दोनों कार्यों की क्षमता व्यक्ति में होगी। उपरोक्त नियम नौकरी और व्यवसाय के चयन में अपनी भूमिका निभाते हैं परंतु आजीविका के स्वरूप के अतिरिक्त ज्योतिष शास्त्र हमें यह भी अधिक सटीकता से बताता है कि हमारे लिए क्या अच्छा है।
यदि कुंडली में सप्तम भाव, सप्तमेश, एकादश भाव एकादशेश व बुध अच्छी स्थिति में हो तो ही व्यक्ति व्यवसाय में अच्छी सफलता पायेगा तथा यदि षष्ट भाव व षष्टेश अच्छी स्थिति में हो तो नौकरी में सफलता होगी ।
षष्ट भाव में पाप योग हो या षष्टेश अत्यंत पीड़ित हो तो व्यक्ति को नौकरी में बहुत समस्याएं होती हैं। जातक का कार्यक्षेत्र:यह विषय सबसे महत्वपूर्ण है कि किस क्षेत्र में जातक को सफलता मिलेगी या जातक क्या करेगा? वर्तमान समय में यह और भी महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि प्रतिस्पर्धा के समय में यदि यह निर्णय हो जाये कि हमारे लिए कौनसा क्षेत्र अच्छा है तो विद्यार्थी वर्ग उसी दिशा में प्रयास कर सकते हैं। कार्यक्षेत्र के निर्धारण में दशम भाव की अहम भमिका है दशम भाव में स्थित राशि, दशम पर प्रभाव डालने वाले ग्रह दशमेश का नवांशपति आदि कार्यक्षेत्र के चयन में सहायक होते हैं।‘‘कार्यक्षेत्र’’ के निर्धारण में दशम भाव में स्थिति राशियों की भूमिका भी होती है परंतु यह केवल एक सहायक भूमिका होतीहै मुख्य व सूक्ष्म रूप से तो ग्रहों की भूमिका ही होती है।