Home मन की बात क्या राजनीति का शिकार हुए इंस्पेक्टर सुनील वर्मा ……

क्या राजनीति का शिकार हुए इंस्पेक्टर सुनील वर्मा ……

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Police man Sunil Verma murder case
Police man Sunil Verma

गोपीगंज (भदोही)  लॉकअप में ऑटो चालक रामजी मिश्र की मौत के मामले में थाने पर तैनात रहे एसओ सुनील कुमार वर्मा पर हत्या का मुकदमा दर्ज होते ही उनका परिवार भी सड़क पर उतर आया। थानेदार की पत्नी, भाई, बहन, बच्चों समेत परिवार के कई सदस्य गोपीगंज थाने के सामने हाइवे पर ही धरना देने लगे। पुलिस उप महानिरीक्षक विन्ध्याचल मंडल से फोन पर वार्ता और एसएपी डा. संजय कुमार ने परिवार से मांग पत्र लेकर किसी तरह धरना समाप्त कराया।

        हत्या के मुकदमे से आक्रोशित एसओ सुनील कुमार वर्मा की पत्नी एकता देवी, भाई अनिल कुमार वर्मा, सतीश कुमार, धर्मेन्द्र कुमार, मोना वर्मा, संतोष कुमार, आशा देवी, सोनी देवी, किरण, कंचन समेत दर्जनों की तादात में रिश्तेदार महिलाएं थाने धमकीं और नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गई।

        इस दौरान पुलिस पर संगठनों के दबाव में आकर काम करने का आरोप लगाया गया। मामला बढ़ता देख एसडीएम अमृता सिंह ने उन्हें समझाया लेकिन वे नहीं मानंे। इसके बाद एएसपी डा. संजय कुमार ने पूर्व कोतवाल के भाई की बात उप महानिरीक्षक विन्ध्याचल मंडल पीयूष श्रीवास्तव से कराई। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच कराने की बात कही, जिसके बाद धरना समाप्त हुआ।

एसओ के परिवार ने लगाए  आरोप

        पूर्व कोतवाल सुनील कुमार वर्मा के परिजनों ने पूरे प्रकरण को तूल देने का आरोप ब्राह्मण सभा पर लगाया। अधिकारियों से मांग की कि रविवार को थाने का घेराव करने वालों पर भी केस दर्ज किया जाए। कहा कि उक्त संगठन के कुछ लोगों द्वारा देख लेने की धमकी दी गई थी। कहा कि इतना ही नहीं, बिना अनुमति के थाने पर प्रदर्शन किया, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया। आरोप लगाया कि कुछ लोगों के दबाव में आकर अधिकारियों ने नियम को ताक पर रख हत्या का केस दर्ज करा दिया।
        पत्नी एकता वर्मा ने कहा कि अभी तक जहां भी किसी भी मामले में सड़क जाम की घटनाएं हुईं हैं संबंधित के खिलाफ जिला पुलिस प्रशासन ने केस दर्ज कराया। लेकिन शनिवार को दो घंटे जिला मुख्यालय व आधे घंटे जीटी रोड जाम रहा लेकिन कोई केस दर्ज नहीं किया गया। कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चोट न लगने की बात सामने आई है तो फिर पति पर हत्या का केस क्यों दर्ज किया गया। जब जांच चल रही है तो केस धारा 302 में क्यों दर्ज हुआ। अधिक दबाव पर धारा 304ए में केस दर्ज होता है।
Police man Sunil Verma murder case
Police man Sunil Verma

गोपीगंज कस्बा इंचार्ज भी हटाए गए

        आटो चालक रामजी मिश्र मौत प्रकरण में थानेदार सुनील कुमार वर्मा के साथ ही कस्बा इंचार्ज अखिलेश्वर सिंह यादव का नाम भी सुर्खियों में रहा। हालांकि पीडि़त परिवार तो उनका नाम नहीं ले रहा था। लेकिन मीडिया व जनता के बीच लगातार वे सुर्खियों में रहे। लोग जिला प्रशासन पर कार्रवाई न करने को लेकर उंगली भी उठा रहे थे। इसी बीच एसपी सचिंद्र पटेल ने रविवार की देर रात अखिलेश्वर सिंह यादव को वहां से पाली चौकी भेज दिया। इसके साथ ही कुछ और दरोगाओं को इधर से उधर कर दिया।
        चौकी इंचार्ज पाली नागेश्वर शुक्ला को खमरिया, आलोक श्रीवास्तव को खमरिया से भदोही कस्बा, मधुसूदन राय को कोइरौना थाने से प्रभारी सीतामढ़ी चौकी, सीतामढ़ी के इंचार्ज विनोद कुमार तिवारी को सुरियावां थाना, सोशल मीडिया सेल के सुशील कुमार तिवारी को गोपीगंज चौकी का इंचार्ज बनाया गया है।

भाइयों में विवाद की रही यह वजह

        नगर के फूलबाग मोहल्ला निवासी रामजी मिश्र व अशोक मिश्र नामक भाईयों में अगाध प्रेम था। जिस मकान के बटवारे को लेकर सारा फसाद खड़ा हुआ। परिवार के अनुसार अशोक द्वारा आधा हिस्सा मांगा जा रहा था। जबकि बड़े भाई रामजी एक हिस्सा खुद, एक मां के लिए देने की बात कह रहे थे। जो छोटा भाई मानने को तैयार न था। जिसे लेकर कहासुनी हुई और दोनों थाने आ गए और फिर उसके बाद जो हुआ, वह जिले के लोगों के सामने है।

तेज तर्रार थानेदार माने जाते हैं सुनील वर्मा

        जिले के सबसे तेज तर्रार थानेदारों में सुनील कुमार वर्मा की गिनती होती थी। क्राइम पर कंट्रोल के साथ ही मामलों का खुलासा करने के मामले भी वह अन्य थानेदारों से आगे रहते रहे हैं। एक घटना के बाद वह जिले में हीरो से विलेन बन गए। प्रकरण की दो जांच तथा उन्हें लाइन हाजिर करने के बाद भी रविवार की देर रात हत्या का केस दर्ज होने से विभाग में हड़कंप की स्थिति है। दबी जुबान से पुलिसकर्मियों ने माना कि वह राजनीति के शिकार हो गए। जो कानून व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है।

प्रकरण चर्चा में आने के बाद राजनीति भी शुरू

        आटो चालक रामजी मिश्रा की लॉकअप में मौत के मामले को पहले दिन किसी भी राजनीतिक दल ने तवज्जो नहीं दिया। मीडिया में मामला उझलने के बाद इसे लेकर राजनीति  तेज हो गई है। सत्ता, विपक्ष सभी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। साथ ही पीडि़त परिवार की मदद करने वालों की तादात भी अब बढ़ गई है।
ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्रा ने साढे़ चार लाख की मदद किया है।

भारी फोर्स संग पूरे दिन थाने पर डटे रहे एएसपी

        आटो चालक रामजी मिश्रा मौत प्रकरण की विभागीय जांच कर रहे पुलिस अधीक्षक डा. संजय कुमार सोमवार को भारी फोर्स के साथ थाने पर डटे रहे। इस दौरान उन्होंने मातहतों से घटना के बारे में अलग-अगल बात कर जानकारी हासिल की। इस बीच, दोपहर में थानेदार के परिवार द्वारा प्रदर्शन करने की जानकारी मिलते ही फोर्स और बढ़ा दी गई। आधे घंटे तक कोतवाली में सुनील वर्मा की पत्नी, बहन व भाई बैठे रहे। उसके बाद पुलिस ने मांग पत्र लेकर उन्हें वहां से हटाया। एएसपी ने दावा किया कि प्रकरण की जांच के बाद जो सच होगा वह विभाग व जनता के सामने आएगा।

गिरफ्तारी के डर से नहीं आए सुनील वर्मा

        आटो चालक रामजी मिश्रा की मौत के मुख्य आरोपित बनाए गए गोपीगंज थाने के प्रभारी निरीक्षक रहे सुनील कुमार वर्मा ने सोमवार को दोपहर में सोशल मीडिया के जरिए परिवार के साथ थाने में प्रदर्शन का मैसेज डाला। जिसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आ गया और थाने को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया। पूरा कुनबा तो आया, लेकिन वे नहीं आए। ऐसी चर्चा रही कि उनकी गिरफ्तारी का पूरा मूड पुलिस ने बना लिया था। ऐसे में भनक लगने के बाद वे आए ही नहीं। तय समय से करीब दो घंटे बाद उनका परिवार भी थाने पहुंचा था।

लखनऊ से बजी घंटी और दर्ज हो गया मुकदमा

        आटो चालक मौत प्रकरण में जिला प्रशासन द्वारा भारी विरोध के बाद मजिस्टे्रटीय व विभागीय जांच के आदेश दिए गए थे। इसके साथ ही आरोपित थानेदार को लाइर जाहिर कर दिया गया। इस बीच, मामले में सत्ता के कुछ लोगों द्वारा हस्तक्षेप किया गया। ऐसी चर्चा रही कि देर रात एक आला पुलिस आफिसर को लखनऊ से किसी बड़े मंत्री का फोन आया और उसके बाद उन्होंने आनन-फानन में केस दर्ज करा  दिया। बहरहाल, सच्चाई क्या है, यह तो विभाग के लोग ही बता सकते हैं।

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