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” मैं बेटी हूँ मैं ” बेटी सूरज के समान प्रकाशीत बनूंगी ।

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हमार पूर्वांचल
हमार पूर्वांचल

” मैं बेटी हूँ मैं ” बेटी सूरज के समान प्रकाशीत बनूंगी ।
” मैं बेटी हूँ मैं ” बेटी हर तनहाई से लडूंगी ।
” मैं बेटी हूँ मैं ” बेटी का सब फर्ज नीभाउगी ।
” मैं बेटी हूँ मैं ” बेटी हर नदी के बहाव से गुजरूंगी ।
” मैं बेटी हूँ मैं ” बेटी अँधेरे में उजियागर भर दूंगी ।
” मैं बेटी हूँ मैं ” बेटी लड़ जाउंगी उस पर्वतों से ,                   जो प्रगती के रास्ते पर दीवार बन कर रोकेगा मुझे ।

” मैं बेटी हूँ मैं ” बेटी माता-पिता के हर सपनो को सपूत बन कर साकार करूंगी मैं ।

” मैं बेटी हूँ मैं ” बेटी चीटी का उदाहरण समझती मैं, दस बार गिरती-पड़ती पर लेकीन तो, भी अपने लक्ष को भोजन के रूप में मंजील तक ले जाती वह ।

मैं बेटी हूँ मैं ” बेटी कुछ इस तरह का काम कर जाउंगी, जो भविष्य में आने वाले हर माँ-बाप को अपने बेटी पर गर्व होने पर मजबूर कर देगी ।

ये कवीता उन बेटियों के लिए है, जो अपने आप को कमजोर समझ कर अपने जीवन को खुशी, उत्साह और उमंग के साथ जीने से पीछे हटती है ।

 

by द्रोपति झा

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