मुंबई। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने यह सोचकर आरे कॉलोनी को डेयरी जोन घोषित किया था ताकि मुंबई के लोगों को खासकर बच्चों को मुंबई में ही ताजा दूध मुहैया हो सके। इसके पीछे पशुओं के गोबर से आसपास के क्षेत्रों को हरा भरा बनाने की भी संकल्पना थी। बांद्रा से लेकर दहिसर तक कई स्थानों पर तबेले स्थापित हुए। इन तबेलों के चलते मुंबई के बच्चों को ताजा दूध मिलने में सुविधा हो गई। बदलते समय के साथ तबेलों की बेशकीमती जगहों पर बड़े-बड़े बिल्डरों की नजरे केंद्रित हो गई। परिणामस्वरूप सरकार द्वारा मुंबई के तबेलों को दापचेरी भेजने की बात कही जाने लगी। तबेलामालिकों के विरोध के बाद मामला कोर्ट में चला गया।
मुंबई के लोग तबेलों को स्थानांतरित करने के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं इसका प्रमुख कारण उनके बच्चों को मिलने वाला ताजा दूध है। साथ ही तबेलों को स्थानांतरित करने से स्थानीय स्तर पर रोजगार प्राप्त हजारों लोगों को बेरोजगार होने का खतरा भी दिखाई दे रहा है। लोगों का कहना है कि सरकार तबेलों के गोबर को महाराष्ट्र के किसानों की जमीन तक पहुंचाने का काम कर सकती है। इससे खेतों में उत्पादन बढ़ेगा तथा किसी के साथ आत्महत्या करने की नौबत नहीं आयेगी। लोगों का मानना है कि सरकार चाहे तो मुंबई के तबेलों को आरे कॉलोनी में शिफ्ट कर सकती है। ऐसे में मुंबई को ताजे दूध की आपूर्ति होती रहेगी।