Home भदोही बड़े बाबा शिव मंदिर : क्या संरक्षण करने वाले ही करा रहे...

बड़े बाबा शिव मंदिर : क्या संरक्षण करने वाले ही करा रहे मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जा

1057
0
गोपीगंज में अवैध कब्जा
 मंदिर के पिलर से आगे बढ़कर किया गया कब्जा

मंदिर में भ्रष्टाचार : भाग—2    द्वारा — अरूण कुमार मिश्रा

किसी भी धार्मिक स्थल की देखरेख के लिये ट्रस्ट का गठन इसलिये किया जाता है कि वह धार्मिक स्थल की सुरक्षा का ध्यान रखे, मंदिर की संपत्तियों की रक्षा करे। मंदिर परिसर में समय समय पर धार्मिक कार्यों की देखरेख करे। किन्तु संरक्षण करने वाले ही भक्षण करने पर उतर आयें तो क्या किया जा सकता है।

अवैध कब्जे का गवाह बनी प्लाटिंग की नींव
अवैध कब्जे का गवाह बनी प्लाटिंग की नींव

जी हां! भदोही जनपद के गोपींगज स्थित बड़े बाबा शिव मंदिर के विशालकाय परिसर को देखें तो सहज ही अहसास होता है कि यदि यहां की व्यवस्था और देखरेख उचित ढंग से किया जाय तो मंदिर परिसर की छवि अनुपम बनायी जा सकती है। लेकिन मंदिर परिसर का अवलोकन करने के बाद यहीं आभास होता है कि संरक्षण करने वाले लोग अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी नहीं निभा रहे हैं। यदि लोग अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभा रहे होते तो शायद मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाते।

अवैध कब्जाधारियों ने गाड़ लिया बिजली का खम्भा

बता दें कि मंदिर के देखरेख के लिये बड़े बाबा शिव धाम ट्रस्ट के नाम से एक संगठन बनाया गया है। जिसके संरक्षक वर्तमान चेयरमैन प्रह्लाददास गुप्ता हैं, लेकिन जब श्री गुप्ता से मंदिर की जमीन पर हुये अवैध कब्जे के बारे में बात की गयी तो उन्होंने खुद को अपनी हर जिम्मेदारी से मुक्त करने का प्रयास किया।

इसे भी पढ़िये : 
गोपीगंज : बड़े बाबा शिव मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जे की साजिश

वहीं ट्रस्ट के सचिव रामकृष्ण खट्टू ने बताया कि शिव मंदिर की सीमा के अंदर तक प्लाटिंग कर अवैध कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है। किन्तु जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आपने इसकी शिकायत प्रशासन से किया तो उन्होंने चुप्पी साध ली।

क्या ट्रस्ट ही दे रहा है अवैध कब्जे को बढ़ावा

सोचने वाली बात यह है कि जो लोग मंदिर की बाउण्ड्रीवाल की सीमा के अंदर तक प्लाटिंग किये हैं उनके खिलाफ कोई शिकायत क्यों नहीं की गयी। दूसरी तरफ पर्यटन विभाग की तरफ से बाउण्ड्रीवाल बनाने के लिये 11 लाख रूपये इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट भ्रष्टाचार से संबन्धित अगली कड़ी में स्वीकृत किये गये हैं। जिस जगह बाउण्ड्रीवाल बनायी जा रही हैं, वहां की जमीन सुरक्षित थी फिर उस पैसे का उपयोग उस जगह क्यों नहीं किया गया जहां पर बाउण्ड्रीवाल न होने से भू—माफियाओं को अवैध कब्जा करने में आसानी हो रही है। नगर के प्रथम नागरिक व ट्रस्ट के संरक्षक का गैर जिम्मेदाराना बयान और सचिव की चुप्पी ही कई सवाल खड़ा करने के लिये पर्याप्त है।

अगली कड़ी में पढ़िये मंदिर परिसर कैसे बन रहा अवारा दारूबाजों का अड्डा

Leave a Reply