Home खास खबर भदोही तहसील में भू—माफियाओं के पोषक बने लेखपाल

भदोही तहसील में भू—माफियाओं के पोषक बने लेखपाल

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कागजों में हेराफेरी करके लेखपाल करा रहे दूसरों की जमीन पर कब्जा
नगर के कई तालाबों पर खड़ी हो गयी बहुमंजिला इमारत

भदोही। प्रदेश की सत्ता में काबिज भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री भले ही भू—माफियाओं पर कार्रवाई करने का दावा करते रहे हों किन्तु योगी सरकार के कड़ी कार्रवाई के दंभ वाला दावा कालीनों के शहर भदोही में धूल फांक रहा है। निरंकुश राजस्व विभाग पूरी निडरता से उस काली कारस्तानियों को अंजाम दे रहा है। जिसका शिकार किसी गरीब महिला को अपनी जान देनी पड़ रही है तो अनेक गरीब भू-स्वामियों की कीमती शहरी जमीनों देखते ही देखते भू-माफियाओं की हवेली खड़ी हो जा रही है। भले ही उन जमीनों पर भू-माफियाओं का कब्जा हो रहा है किन्तु हकीकत तो यह है कि असली भू-माफिया योगी सरकार के वे लेखपाल हैं जो कागजों में हेर फेर करके किसी का मालिकाना हक किसी और को देने में लगे हैं। हद तो यह है कि इन लेखपालों के आगे जिले के उच्चाधिकारी भी बेबस नजर आ रहे हैं।

देखा जाय तो भू-माफियाओं के इस खेल में लेखपाल नट और अधिकारी बंदर की भूमिका में हैं। यानि लेखपालों पर पूरी तरह निर्भर अधिकारी उनके बहकावे और कथित लालच में सफेद को स्याह और स्याह को सफेद बनाने में परहेज नहीं कर पा रहे हैं। इस खेल में मारा गरीब भू-स्वामी मारा जा रहा है। पूंजी भू-माफियाओं की बन रही है। जबकि माल लेखपालों के मार्फत अधिकारियों की हथेलियां गर्म कर रहा है।

वैसे भदोही में भू-दस्तावेजों में हेराफेरी का खेल पुराना है। राजस्व विभाग और स्वार्थी भू-माफियाओं का पुराना नाता है। जो दशकों से चला आ रहा है और आगे भी कब तक जारी रहेगा इस विषय में कुछ कहा नहीं जा सकता। भदोही में रहे एक चर्चित उप जिलाधिकारी के कार्यकाल में सैकड़ों बीघे जमीनों के फर्जी पट्टे हुये थे। जिसमें से कईयों से संबंधित मामले अभी भी अदालत में हैं। उस दौर में हरियांव स्थित ज्ञानपुर रोड नहर के किनारे बसी मुसहर बस्ती एक बड़े कालीन उद्यमी के नाम हो गयी थी। हरियांव बाईपास के दक्षिण बसी गरीब वैद्य बिरादरी के दलितों की वसाहट वाली जमीनों का अवैध पट्टा कर दिया गया था। उसी दौरान कंधिया, पिपरीस, कैड़ा, लालीपुर आदि आदि गावों की सैकड़ों बीघे ग्राम समाज की भूमि अपात्रों को फर्जी ढंग से पट्टा हो गयी थी। मामला तूल पकड़ा तो तत्कालीन भदोही एसडीएम को ज्ञानपुर हटा दिया गया। किन्तु पुनः भदोही का चार्ज मिल गया। उस दौरान एसडीएम रहे अनिल कुमार दो-दो बार भदोही से गये और पुनः वापस आये। यह प्रकरण यह बताने के लिये काफी है कि भदोही के प्रति अधिकारियों में कैसी धारणा है।

ताजा मामला नगर के रेवड़ा परसपुर का है। यहां एक गरीब महिला पर रिश्वत के लिये लेखपालों द्वारा ऐसा दबाव बनाया गया कि दहशत में उसका हार्ट फेल हो गया और उसकी मौत हो गयी। ऐसा आरोप उसके परिजनों का है। कुछ और मामलों की बात करें तो नगर के स्टेशन रोड पर एक जमीन पर कागजों में हेर फेर करके कब्जा कर रात दिन निर्माण कार्य जारी है। बताते हैं कि लंबे समय से विवादित उक्त जमीन पर काबिज भू-माफियाओं का ऐसा शिकंजा कसा कि मूल भू-स्वामी अधिकारियों के चौखट की धूल फांक रहा है। और राजस्व विभाग से उपकृत कथित भू-माफिया विवादित जमीन पर निर्माण कार्य जारी रखे हुये हैं। पीड़ितों की मानें तो नगर क्षेत्र में तैनात भदोही तहसील के दो लेखपाल उक्त हेराफेरी के खेल में मुख्य किरदार हैं। दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि उक्त आरोपी लेखपालों की पकड़ कुछ ऐसे प्रभावी लोगों में है। जिसकी धौंस पर उनके विभाग में बड़ी पूछ हैं। अधिकारी भी उनके प्रभाव से प्रभावित बताए जाते हैं। पुराने तो पुराने नए आने वाले अधिकारी भी उनकी चालों में इस कदर फंसते दिख रहे हैं कि उन्हें अपने कर्तव्य बोध की आत्मिक पुकार भी सुनाई नहीं दे रही है।

उक्त मामले तो एक बानगी भर हैं जमीनों के मामले में भदोही तहसील का विवादों से पुराना नाता रहा है। अभी हाल के महीने में ही सिर्फ भदोही में जमने को लेकर दो उप जिलाधिकारियों के बीच विवाद हुआ जो घटिया गाली-गलौज के स्तर तक पहुंचा। हालांकि उक्त मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर वर्तमान जिला अधिकारी आर्यका अखौरी ने दोनों को भदोही से हटा दिया। लंबे इंतजार के बाद भदोही आए नए उप जिलाधिकारी पर लेखपालों का ऐसा रंग चढ़ा दिख रहा है कि यदि समय रहते हुए नहीं चेते तो बदनामियों का सारा ठीकरा उन्हीं के सिर फूटेगा। बहरहाल भदोही में धारणा मजबूत है कि यहां अधिकारियों की नहीं बल्कि उन लेखपालों की चलती है जो शहरी क्षेत्रों में लंबे समय से जमे हैं।

भदोही के अलावा नई बाजार, चौरी, मोढ़, करियांव, सुरियावा, दुर्गागंज बाजार आदि क्षेत्रों से भी कई ऐसे मामले चर्चाओं में हैं जहां का मूलभूत भू-स्वामी न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा रहा है और लेखपालों की कृपा से उसकी पुश्तैनी जमीन पर किसी भू-माफिया की दुकान अथवा अट्टालिका खड़ी है।

एक तरफ योगी सरकार भू-माफियाओं पर कार्रवाई करने के बड़े बड़े दावे करती है। भदोही में ही ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्रा को भू-माफिया बताकर जेल में डाल दिया गया। बुलडोजर वाले बाबा के नाम से मशहूर हो चुके योगी आदित्यनाथ अपने भाषणों में बड़े बड़े दावे करते हैं कि यूपी में भू-माफियाओं पर शिकंजे कसे जा रहे हैं। अवैध कब्जा कर बनायी गयी इमारतों को बुलडोजर से गिराया जा रहा है। वहीं ताज्जुब तो इस बात का है कि संज्ञान के बावजूद ऐसे राजस्वकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होती। लगता तो यही है कि भदोही योगी सरकार के भूमाफिया विरोधी अभियान पर भी भारी है।

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