भदोही में प्रशासन द्वारा अवैध स्कूलों के संचालन पर रोक लगाने की मंशा बिल्कुल सही व सराहनीय भरा कदम है। लेकिन यह आदेश शुरूआत में ही हवा साबित होते नजर आ रहा है तो बाद में इसे और बेहतर होने की बात कैसे सोची जाए? लेकिन प्रशासन की सक्रियता ने ‘आदेश’ पर लगे ‘चूना’ के ‘दाग’ को छुडाने में कामयाबी हासिल कर ली है।
डीघ ब्लाक के मनोहरपुर में स्थित ए डी पब्लिक स्कूल ने प्रशासन के आदेश पर मंगलवार को चूना लगा दिया। बाद में मीडिया में आई खबर पर बुधवार को बेसिक शिक्षा अधिकारी अमित कुमार सिंह ने उक्त स्कूल में स्वयं जाकर आदेश पर लगा ‘चूना’ की खबर को ‘साफ’ कराया। और मीडिया द्वारा उक्त स्कूल से जुडी खबर को झूठा बताया। अब यहां प्रश्न बनता है कि यदि वह खबर झूठी थी तो बीएसए साहब क्यों गये वहां? यही नहीं मनोहरपुर से मात्र एक किमी दूरी पर स्थित सरस्वती शिशु मन्दिर मठहा नारेपार में भी दीवाल पर लिखे गये सूचना को संचालक द्वारा मिटा दिया गया बाद में पुनः लिखा गया।
आखिर इस तरह के घटनाएं क्या बयां करती है? इतनी छापेमारी होने के बावजूद भी अवैध कोचिंग चल रहे है लेकिन उनपर कोई कार्यवाही नही हो रही है। जब मीडिया वास्तविकता दिखायेगी तब वहां पर जाकर सुधार करने का प्रयास करेंगे और मीडिया को ही झूठा आरोप लगाने की बात करेंगे। जिले भर में ऐसे विद्यालय है जिनकी मान्यता पांच तक है लेकिन आज भी वहां आठ तक कक्षाएं चल रही है। कई कोचिंग है जो चल रही है। प्रशासन अपना काम कर रहा है और मीडिया भी अपना काम।
सच में जिले भर में चल रहे अनगिनत अवैध कोचिंग व स्कूलों पर शिकंजा कसना प्रशासन के लिए टेढी खीर है लेकिन इस बार प्रशासन के मूढ को देखकर लगता है कि अब भदोही जिले में जल्द ही अवैध स्कूलों का सफाया हो ही जायेगा। भदोही जिले में शिक्षा माफियाओं की पैठ विभाग से लेकर नेताओं तक होने से ही लापरवाही होती है। यदि सच में प्रशासन व विभाग अपने नियम कानून पर टिका रहे तो माफियाओं की क्या मजाल की जिले में शिक्षा को मजाक बनाया जाए? लेकिन लापरवाही व मिलीभगत हर नियम कानून को ताक पर रखकर केवल ‘अपना काम बनता, भाड मे जाए जनता’ कहावत को चरितार्थ करते हुए होता है। जो बाद में सबके लिए नुकसानदायक होता है।
जिनके स्कूल को प्रशासन बंद कर रहा है अब वे लोग ही प्रशासन को और अवैध स्कूल दिखाने व बताने में सहायक होंगे। हालांकि हर जगह पर सरकारी विद्यालय है वहां के अध्यापक/संकुल अवैध स्कूलों के बारे में बखूबी जानते है आराम से विभाग को पता चल ही जाता है। अब कोई चाहे कि प्रशासन की आंख में धूल झोककर काम करें तो असंभव है। यह तभी संभव होगा जब प्रशासन स्वयं आंख बंद करके न देखे।