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एससी एसटी बिल पर भारत बंद: आखिर इतने खौफ में क्यों हैं सवर्ण ?

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साभार : गूगल
साभार : गूगल

एससी एसटी बिल को लेकर 6 अगस्त को कुछ संगठनों ने भारत बंद का आयोजन किया है। अपनी राजनीति को चमकाने के लिये इस देश में जितना हो जाये उतना ही कम है, लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर एससी एसटी कानून से सबसे अधिक खौफ सवर्णों को ही क्यों है।

गौरतलब हो कि केन्द्र सरकार द्वारा एससी एसटी संशोधित बिल पारित होने के बाद यह सिर्फ सवर्णों पर ही लागू नहीं हुआ है। बल्कि इसके दायरे में अनुसूचित जाति और जनजाति को छोड़कर हिन्दू मुसलमान और ईसाई की सभी जातियां आती हैं। ऐसा भी नहीं है कि इस कानून को मोदी सरकार ने बनाया है, बल्कि यह पहले की सरकारों से ही संचालित है। देखा जा रहा है कि इसके विरोध में ब्राह्मण और राजपूत को छोड़कर कोई भी नहीं बोल रहा है।

क्या सवर्ण जाति के लोग यह जताना चाहते हैं कि इस बिल के आ जाने से सिर्फ उन्हीं का नुकसान होगा। क्या दलित जाति के लोग उनके दुश्मन हैं जो फर्जी मुकदमें लाद कर उन्हें जेल भेज देंगे। देखा जाय तो दलितों ने मुकदमा सिर्फ उन्हीं के खिलाफ लिखाया है जो उनका वास्तविक शोषण किये हैं।

हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि 90 प्रतिशत से अधिक इस कानून के अंतर्गत जो भी मामले आये उनमें वादी भले ही दलित जाति का व्यक्ति रहा हो किन्तु वकीलों की फीस भरने वाला कोई सवर्ण ही होता है। अपनी निजी दुश्मनी निकालने के लिये सवर्ण खुद ही अपनों का दुश्मन बना हुआ है और बदनाम दलितों को किया जाता है।

एससी एसटी को लेकर मोदी सरकार को घेरने वाले लोगों को सोचना चाहिये कि उनका खौफ किससे है। वे दलितों से इतना डर गये हैं कि सड़क पर उतरने के लिये तैयार हैं या फिर उन्हें अपनी ही जाति का खौफ सता रहा है। कहा जाता है कि जो लोग संगठित नहीं होते हैं वे अपना नुकसान खुद करते हैं। सवर्ण इतने कमजोर नहीं हुये हैं कि एक कानून को लेकर सड़क पर उतर आयें। सवर्णों को खुद आत्म चिंतन करना चाहिये कि उनके अंदर की फूट ही उनके खौफ का कारण बनी हुई है अन्यथा दलितों को लेकर बने एक कानून का इतना खौफ नहीं होता।

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