देश बांटने की मांग , बांग जो लगा रहें
बँट चुकी भूमि और , बांटने ना पायेंगे
पाक के गुलाम बोल – बोल ,भाषा द्रोह की
टोपी वाला रौब और , छांटने ना पायेंगे
शरिया क़ा ख्वाब छोड़ ,शांति से पड़े रहो
गांधी वाला राज गया , डांटने ना पायेंगे
जिन्ना वाला जिन्न दुबे बोतलों से निकला तो
खड़े – खड़े , खंड – खंड , काट दिये जायेंगे
बृजेश दुबे✍🏻