भदोही में अबू आसिम आजमी के विरोध से दो फांक में नजर आयी समाजवादी पार्टी
2022 के चुनाव में ओवैसी को विकल्प के रूप में देख रहे मुस्लिम मतदाता
भदोही। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियां शुरू हो गयी हैं। ब्राह्मण सम्मेलन के नाम पर बहुजन समाज पार्टी ब्राह्मणों को अपने पाले में खींचने के प्रयास में जुटी हैं तो सपा मुखिया अखिलेश यादव अपने नाराज मुस्लिम वोटरों को रिझाने की जुगत भिड़ा रहे हैं। कारण बताया जाता है कि आजम खां के जेल जाने और सपा द्वारा चुप्पी साधने के कारण सपा के कोर वोटर दुविधा में पड़े हुये हैं। यूपी चुनाव के पहले महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता अबू आसिम आजमी के दौरे को आजम खां के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन भदोही दौरे में जिस तरह अबू आसिम आजमी पूंजीपतियों की मेहमाननवाजी में मगन होकर गरीब मुस्लिम कार्यकर्ताओं की अनदेखी किये उससे उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा।
अब चर्चा होने लगी है कि समाजवादी पार्टी आजम खां के विकल्प के रूप में भले ही अबू आसिम को देख रही है, लेकिन मुजफ्फरनगर के बाद भदोही में जिस तरह वे समाजवादी पार्टी की छीछालेदर करा रहे हैं, उससे यह लगने लगा है कि अबू आसिम समाजवादी पार्टी के लिये आजम का विकल्प भले ही न बने लेकिन पनौती अवश्य बन सकते हैं। हालात यह बन रहे हैं कि सपा की जगह पहला विकल्प मुस्लिमों को ओवैसी में नजर आ रहा है।
बताते चलें कि गत दो अगस्त को अबू आसिम आजमी भदोही दौरे के दौरान पूंजीपतियों और बड़े नेताओं के साथ गलबहियां करते तो दिखे लेकिन गरीब कार्यकर्ताओंकी उपेक्षा करके चले गये। इसे लेकर सपा के जमीनी कार्यकर्ताओं में काफी रोष देखा जा रहा है। हालात यह हुये कि सपा नेता दानिश सिद्दीकी के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अबू आसिम गो बैक के नारे भी लगाये। वहीं सपा के जमीनी कार्यकर्ता सोशल मीडिया औ व्हाट्अप ग्रुप पर जमकर अपनी भड़ास भी निकाल रहे हैं।
दानिश सिद्दीकी का कहना है कि अबू आसिम आज़मी आपने अकलियत के गरीब पिछड़े वर्ग को दुत्कार के बता दिया कि समाजवादी पार्टी क्यों डूब रही है। अबु आसिम आज़मी के इस कृत्य से पिछड़ा वर्ग पसमांदा वर्ग दूसरे दलों का दामन पकड़ ले तो कोई बड़ी बात नही होगी। वहीं सपा के एक और नेता का कहना है कि भदोही में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता अबू आसिम आज़मी आये थे और जाते जाते सपा नेताओं व कार्यकर्ताओं निराश कर गए। भदोही में लगभग 30 घंटा थे लेकिन चंद पूंजीपतियों के घर जाकर यह बता दिया कि उनकी सोच पूंजीवादी है, न कि समाजवादी। कहा इससे शर्मनाक क्या होगा कि अबू आसिम ने उनके घर पर भी जाना मुनासिब नहीं समझा, जिन्होंने समाजवादी पार्टी के लिए अपने जान की भी कुर्बानी दे दी।
गौरतलब हो कि चौरी के रोटहां निवासी जफर मंसूरी और शेर अली अंसारी 2009 में फिरोजाबाद में डिम्पल यादव का चुनाव प्रचार करने जा रहे थे और दुर्भाग्य से रोड हादसे में अपनी जान गवा बैठे थे। मरहूम शेर अली का 17 साल बेटा मेहनत व मजदुरी कर अपने घर खर्च चला रहा। अबू आसिम द्वारा की गयी उपेक्षा से मुस्लिम वर्ग का गरीब तबका काफी नाराज दिखायी दे रहा है। उनका कहना है कि पूंजीपति चंदा दे सकते हैं, लेकिन वोट देने गरीब तबका ही जायेगा। जिसकी उपेक्षा समाजवादी पार्टी कर रही है।
आजम खां यूपी में मुस्लिमों के कद्दावर नेता के रूप में स्थापित हो चुके थे। समाजवादी पार्टी में उनकी हैसियत हमेशा दो नंबर की रही। वहीं उनके जेल जाने के बाद मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिये महाराष्ट्र से अबू आसिम को लायी किन्तु यूपी की राजनीति से अनभिज्ञ अबू आसिम सपा के लिये पनौती बनते दिखायी दे रहे हैं। मुजफ्फर नगर में सपा सरकार के दौरान हुये दंगो को लेकर पिछले महीने उन्होंने जो बयान दिया उससे पश्चिम में जाट मतदाता नाराज चल ही रहे थे कि कभी सपा का गढ़ रही भदोही में कार्यकर्ताओं की नाराजगी ओवैसी के वोटरों की संख्या में इजाफा कर रही है।