Home मन की बात अंतराष्ट्रीय महिला दिवस : महिलाओं के सम्मान का ढकोसला

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस : महिलाओं के सम्मान का ढकोसला

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आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस हैं। सभी महिलाओं को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई। स्त्री होना गर्व की बात है! ये ईश्वर की वो सुंदर रचना है जिनके समक्ष ईश्वर भी स्वयं नतमस्तक होते हैं। स्त्रियों को हमारे देश औऱ समाज में सम्माननीय दर्जा दिया गया हैं। भले ही आज उन्हें बराबरी का हकदार माना गया हों, पर वास्तव में वो सम्मान कही पीछे छूट गया हैं जिसकी वो हकदार हैं।

मैं अक्सर कहती हूँ औऱ आज भी यही कहूंगी महिला दिवस सिर्फ एक त्यौहार हैं जो हर त्यौहार की तरह यह भी वर्ष में एक बार आता हैं औऱ चला जाता हैं। इसी एक दिन में महिला सशक्तिकरण की बड़ी-बड़ी औऱ लंबी लंबी बातें की जाती हैं। तो वही कुछ सशक्त महिला औऱ वीरांगनाओं को यादकर उनकी प्रेरणादायी कहानी सुनाकर बड़े-बड़े भाषण बाजी करके सब शांत हों जाते हैं। फिर अगले दिन से आए दिन वही सब सुनने को मिलता हैं। वर्ष के 365 दिन कितनी महिलाएँ अत्याचार का शिकार होती हैं। कितनी बच्चियों का बलात्कार होंता हैं। महिलाएँ तो महिलाएँ अब तो छोटी-छोटी बच्चियों तक को नही बक्शा जाता हैं। नन्ही-नन्ही बच्चियों के साथ भी दुष्कर्म होने लगे हैं। महिलाओं औऱ बच्चियों के लिऐ सम्मान औऱ सुरक्षा की बातें सिर्फ कागजी किताबों तक ही सीमित रह गयी हैं। हमारे देश में अब तक ऐसा कोई कड़ा शासन नही बना जो ऐसे सारे अपराध एवं कृतयों पर लगाम लगाया जा सके।

माना के इतने असुरक्षा के माहौल में भी भले ही महिलाएँ इस पुरुष प्रधान समाज में पुरषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, याँ यू कहे पुरषों से दो कदम आगे हैं। पर वही कुछ महिलाएँ आज भी अपने ऊपर हों रहे अत्याचार के खिलाफ मुह नही खोलना चाहती। खोले भी तो कैसे? कौन देगा उसका साथ ? अपनी शिकायत लेकर थाने जाऐ तो खाकी वर्दी वलों के गंदे-गंदे सवालों का दंश झेले। मामला कोर्ट जाऐ तो रही सही इज्जत काले कोट वाले उतारे ले।

रास्ते पर चलते वक्त कुछ चील्गोजे टाइप अपनी गंदी औऱ वहशी नजरे ऐसे गाढ़ा देते हैं जैसे इनकी बाप की जगीर हों। इसे कहते हैं महिलाओं को सम्मान देना ? आज के दिन कुछ नेता या समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियो को भी मंच पर आमंत्रित किया जाऐगा जहाँ उन्हे महिलाओं के सम्मान में दो शब्द कहने का मौका दिया जाऐगा। ऐसे लोग महिलाओं के सम्मान में जो गाथा गाएंगे जो भाषण देंगे, लगेगा की महिलाओं की सारी समस्या अब एक चुटकी बजाते ही खत्म हों जाएगी। यदि कोई गरीब असहाय महिला इनसे किसी तरह की मदत मांगने जाऐे तो ऐसे लोग मदत के नाम पर उसके एवज में इनकी मंशाये कुछ औऱ ही पनपती हैं। इतने पर भी महिलाएँ चुप्पी साधे रहती हैं। छी लानत हैं ऐसे घटिया लोगों पर औऱ उनकी गंदी मानसिकता पर। जो महिलाओं की मजबूरी का भी लाभ उठाने का प्रयास करते हैं।

वैसे मैं यहा सारे पुरषों की बात नही कर रही हमारे समाज में कुछ पुरुष भाई ऐसे भी हैं जो महिलओं को बड़ा आदर सम्मान देते हैं। सारे पुरुष एक जैसे नही होते। पर हा कुछ पुरुष निश्चित ही घटिया होते हैं। अधिकतर नेता टाइप के लोग औऱ जो समाज में कुछ लोग खुद को प्रतिष्ठित मानकर चलते हैं इनके खाने के दाँत कुछ औऱ एवं दिखाने के दाँत कुछ औऱ होते है।

खैर….! महिलाओं की सुरक्षा व सम्मान में की गयी बातें सिर्फ एक ढकोसला मात्र लगती हैं।

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