भारत में प्राचीन काल से ही विभूतियों की कमी नही रही है, जिन्होने अपने को एक ऐसे आदर्श के रूप में प्रस्तुत करके समाज को एक नई दिशा दी। और उनकी शिक्षाएं आज पूरी दूनिया में लोगों को सही जीवन जीने की कला सीखा रही है। भारत हमेशा से ही विश्व का प्रतिनिधित्व किया है। चाहे वह किसी भी महापुरूष के माध्यम से रहा हो। भारत यदि विश्वगुरू की पदवी पर सुशोभित हुआ तो सच में यहां के महामनिषियों व महापुरूषों की कार्यों व शिक्षाओं के माध्यम से ही हो सका है। आज विश्व में जहां लोग आधुनिकता की दौर में पिसे जा रहे है वही कुछ महापुरूषों की शिक्षाएं व बातें लोगों को मानव जीवन के उद्देश्य व कर्तव्यों का भी ज्ञान कराने के लिए आध्यात्मिकता के माध्यम से जीवन में शान्ति, वैराग्य, ज्ञान और मोक्ष के तरफ आगे बढा रही है। इसका जीता जागता उदाहरण भारत के विभिन्न महापुरूषों से जुडी स्थलों व विचारधारा में बखूबी देखा जा सकता है। एक ऐसी ही विभूति का नाम है गौतम बुद्ध जो राजकुमार होते हुए भी जीवन की सच्चाई को जानने के लिए सारा राजपाट और परिवार छोड़कर ज्ञान व वैराग्य की खोज में निकलकर विश्व को एक नई दिशा देने का काम किया।
आज के लोगों को देखकर लगता है कि जैसे सारी आधुनिक सुख सुविधाएं ही मानव जीवन का लक्ष्य है और लोग दिन-रात पाप-पुण्य करके आधुनिकता की अंधी दौड में शामिल है, जबकि सबको मालूम है कि यह सम्पन्नता और भौतिक सुख की पिपासा कभी शान्त नही होगी। एक इच्छा पूरी होगी उसके पहले आगे कई इच्छाएं मुंह खोलकर तैयार है। हमें यहां सोचना चाहिए कि क्या सच में हमारा जीवन केवल भौतिक सुख के लिए ही है? नही, जीवन का परम लक्ष्य जीवन के उद्देश्यों की प्राप्ति ज्ञान से है। और यह ज्ञान हमें तभी मिलेगा जब हम सच में सच की खोज में लगेंगे तब। जो भी महापुरूष है यदि हम उनकी शिक्षाओं को आत्मसात नही करेंगे और केवल दिखावा करेंगे तो यह सब व्यर्थ है। आज पुरे विश्व में वैशाख पूर्णिमा के मौके पर गौतम बुद्ध से जुडे स्थलों लुम्बिनी, बोधगया और कुशीनगर में अनुयायियों की भारी भीड देखी जा रही है। लोग गौतम बुद्ध से जुडी जानकारियां इकट्ठा कर रहे है। आज भारत ही नही अपितु इंडोनेशिया, म्यांमार, पाकिस्तान, श्रीलंका, वियतनाम, सिंगापुर, कंबोडिया, चीन और मलेशिया समेत कई देशों में बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।
गौतम बुद्ध राजा शुद्वोधन के पुत्र थे लेकिन जीवन की सच्चाई ने उन्हें गौतम बुद्ध बना दिया। जब बुद्ध जी को ज्ञान प्राप्त हुआ तो सबसे पहले सुजाता नामक महिला ने बुद्ध को खीर खिलाई थी। बुद्ध जी का परम शिष्य आनन्द था। विश्व में आज बौद्ध धर्म के मानने वालों के अलावा हिन्दू धर्मावलंबी भी बुद्ध को भगवान का नौवां अवतार मानते है। गौतम बुद्ध राजकुमार थे इसलिए उनको संसार के दुख-सुख के बारे में शुरू में कुछ पता नही था। बुद्ध जानते थे कि पुरा संसार सुखी है लेकिन संसार के दुख की जानकारी होने से उनके मन में सच जानने की इच्छा हुई। और वही इच्छा गौतम को भगवान बुद्ध बना दी। और आज विश्व के अनगिनत लोग भगवान बुद्ध के बताए मार्गो पर चलकर संसार में शान्ति व जीवन में ज्ञान वैराग्य की प्राप्ति कर रहे है।
भगवान बुद्ध का जीवन सच में एक प्रकार का चमत्कारों से भरा है। क्योकि सात दिन बाद ही माया मायादेवी का निधन हो गया था लेकिन मौसी ने लालन-पालन करके बडा किया। बुद्ध जी का जन्म भी वैशाख पूर्णिमा को, ज्ञान प्राप्ति भी बुद्ध पूर्णिमा को और परिनिर्वाण भी बुद्ध पूर्णिमा को हुआ था। सच में विश्व की ऐसी विभूतियों की शिक्षाओं व ज्ञान के प्रभाव से ही आज भी मानवता जिन्दा है। हम सबको भी चाहिए कि महापुरूषों के बतायें गये मार्गों पर चलकर देश व समाज के लिए कुछ बेहतर कर सके।