जिस प्रकार युवाओं में आपराधिक मामले बढ़ते जा रहे है उससे लगता है कि युवाओं को संविधान ,कानून व संस्कार की जानकारी स्कूली जीवन से उनकी पढ़ाई में कुछ हिस्से को पढ़ाना शुरू कर देना चाहिए , इससे बच्चे को अपना संविधान कानून व संस्कार के बारे में जानकारी भी मिलेगी व आपराधिक संगत स दूर होंगे ,आजकल के माहौल में हर बच्चे को अपने युवा काल में स्कूली जीवन से संविधान की जानकारी होने से वो गलत कामो से दूर होंगे साथ ही आगे उनके जीवन मे आने वाले समय मे प्रशासनिक कार्यो में उन्हें तकलीफ नही होगी , युवा बच्चे संस्कार विहीन होने के कारण अपने धर्म व समाज की पूरी तरह से जानकारी ना होने के कारण गलत दिशा में घूम जाते है , संस्कार व संविधान की जानकारी के अभाव में बच्चे दिशा विहीन हो कर अपराधिक कार्यो की तरफ मुड़ जाते है
भारत के संविधान के उद्देश्यों को प्रकट करने हेतु संविधान में पहले एक प्रस्तावना प्रस्तुत की गई है, जिससे भारतीय संविधान का सार, उसकी अपेक्षाएं, उसका उद्देश्य, उसका लक्ष्य तथा दर्शन प्रकट होता है। प्रस्तावना के अनुसार, ‘‘हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर कार्य कर सकता है