मुंबई। दिनाँक 10-1-2020 को पेडर रोड पर जहान-ए-अदब की मासिक नशिस्त और महफ़िल-ए-मौसिकी आयोजित की गई। तबियत ठीक न होने के कारण संस्था अध्यक्ष जनाब इब्राहिम अश्क़ साहब की अनुपस्थिति में आदरणीय महेंद्र सराबगी जी ने अध्यक्ष का स्थान ग्रहण किया और जनाब शिव दत्त अक्स साहब और अल्का जैन ‘शरर’ ने शायरी प्रस्तुत की।महफ़िल-ए-मौसिक़ी में ग़ज़लों की प्रस्तुति मुख्यतः मशहूर गायिका श्रद्धा जैन जी की थी और पुरुष ग़ज़लकार थे। प्रशासनिक अधिकारी व मशहूर गायक प्रदीप काडू, उपस्थित मेहमानों ने शायरी और गायकी में एक और एक ग्यारह व दो और दो बाईस को चरितार्थ होते देखा।
श्रध्दा जैन जी ने जहाँ ग़ालिब, मीर, आमिर मीनाई, ख़ुमार बाराबंकवी, क़तील शिफ़ाई, फैज़ अहमद फैज़ जैसे और भी तमाम उस्तादों के कलाम गाये गए इनके साथ ही मुंबई के दौर ए हाज़िर के इब्राहिम अश्क़ साहब, व शिव दत्त अक्स जी का कलाम भी गाया। प्रदीप जी ने दूसरी अन्य ग़ज़लों के साथ मेहमानों के ख़ास आग्रह पर कव्वाली ‘चढ़ता सूरज’ व मशहूर ग़ज़ल ‘बात करनी मुझे मुश्किल’ सुना कर सबका दिल जीत लिया।
शिव दत्त जी की ग़ज़ल-
जब भी वो पास चला आता है।
दिल में इक दर्द उठा जाता है।
व अल्का जैन ‘शरर’ की ग़ज़ल-
साथ है तन्हाइयों का बदमज़ा मत कीजिये।
फिर नज़र हमसे मिला कर सिलसिला मत कीजिये।।
को बहुत पसंद किया गया। आम तौर पर तीन घंटे चलने वाली नशिस्त शुरू से आखिर तक एक जितना जोश और रुचि बनाये रखते हुए कब साढ़े चार घंटे पूरे कर गयी पता ही नहीं चला।अंत में आयोजक ने उपस्थित सभी गजलकारों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया और कार्यक्रम का समापन किया।