Home खास खबर जमीनी हकीकत (०८) – यहां ‘अनाथ’ का कोई नहीं है ‘नाथ’.!

जमीनी हकीकत (०८) – यहां ‘अनाथ’ का कोई नहीं है ‘नाथ’.!

काशी-प्रयाग मध्य – भदोही जनपद तो आप जानते ही होंगे तो फिर मुख्यालय एवम् तहसील ज्ञानपुर भी और ज्ञानपुर अंतर्गत एक गांव है, जिसका नाम है अकोढ़ा। इस गांव में ‘अनाथ’ के ‘नाथ’ की तलाश चल रही है और आखिरकार चले भी क्यों नहीं क्योंकि ऐ ‘अनाथ’ ही कुछ वर्षों पहले ‘अनाथों’ का ‘नाथ’ था।

गौरतलब है कि भदोही जिले के सुप्रसिध्द तहसील ज्ञानपुर के अंतर्गत सांस्कृतिक-धार्मिक हाईटेक गांव अकोढ़ा है। शास्त्र से लेकर तकनीकी एवम् राजनैतिक क्षेत्र सम्मानीय प्रतिनिधियों की उच्च धमक के बाद भी यह गांव सरकारी स्वास्थ्य-सुविधा में पिछड़ा हुआ है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि ऐसा साक्षात् प्रमाण दे रहा है यहां का ‘मातृ-शिशु कल्याण उपकेंद्र’। लाखों रूपये से बने ‘मातृ-शिशु कल्याण’ उपकेंद्र से अकोढ़ा-रोही सहित विभिन्न गांवों के लिए काफी ‘लाभदायक’ अपक्षायें थी लेकिन ‘अपेक्षा’ ही ‘उपेक्षा’ में बदल गई और शासन, सरकार, पार्टी नेता, परधान सबकी उपेक्षा का शिकार है यह ‘मातृ-शिशु कल्याण उपकेंद्र’ अकोढ़ा। इस ‘अनाथ’ कल्याण केंद्र का कोई ‘नाथ’ कल्याण करने को तैयार नहीं है। ऐसा बताते हुये ‘मातृभूमि संकल्प’ के युवा नेतृत्वकार सुरेन्द्र पाठक (गुड्डू) कहते हैं कि ‘मातृभूमि मँइया’ के दामन में सरकार लाखों करोड़ों खर्च कर रही है लेकिन उसका सदुपयोग नहीं हो पा रहा है तो यह हमारे गांव-समाज के बुद्धिजीवी लोगों के ‘माथे पर’ एक ‘कलंक’ का ‘चंदन’ है। बड़े शर्म की बात है कि गांव-समाज के गरीब परिवार की प्रसव पीड़ित महिलाओं को १५ से २० किलोमीटर दूर जंगीगंज या गोपीगंज जाना पड़ता है।

पहले भेजा जाय डाक्टर..

खंडहर में तब्दील हो रहे ‘मातृ-शिशु कल्याण उपकेंद्र’ अकोढ़ा में पहले डाक्टर भेजकर संचालन शुरू करवाने की कवायद में स्थानीय ग्रामवासी समाजसेवी विनय त्रिपाठी ‘सेनानी’ जहां शासनिक अधिकारियों को सुचना देकर जुटे होने का दावा कर रहे हैं। इसी तरह गांव-समाज के अधिकांश युवा सहित बुद्धिजीवी इसे पुन: संचालित करने हेतु ‘जनहित’ मांग सोशल मीडिया, मीडिया एवम् स्थानीय नेताओं के माध्यम से ‘सत्तारूढ़ पार्टी’ के सांसद वीरेंद्र सिंह (मस्त) से करते रहे हैं लेकिन ‘सांसदजी’ का पंचवर्षीय कार्यालय पूर्ण होने के करीब है लेकिन शायद वे जाते-जवाते भी इस ‘अनाथ’ ‘मातृ शिशु कल्याण उपकेंद्र’ का ‘नाथ’ बनने को तैयार नहीं है। वैसे बताया तो यह भी जाता है कि ‘सांसदजी’ वोट मांगने ही सिर्फ इस गांव में द्वार-द्वार बैठक किये थे लेकिन जितने के बाद ‘जनसंवाद’ हेतु कभी नहीं आये।

बुथ अध्यक्ष का रटा-रटाया बयान…

इस ‘मातृभूमि शिशु कल्याण उपकेंद्र’ के संदर्भ में जब भी भाजपा अकोढ़ा बुथ अध्यक्ष धर्मेन्द्र त्रिपाठी से जानकारी ली जाती है तो कई महीनों पूर्व का वही पुराना रटा-रटाया बयान देते हैं। कभी कहते हैं कि सांसद नीधि से जिर्णोद्धार होगा, तो कभी कहते हैं कि वहां एक बड़ा अस्पताल प्रस्तावित हुआ है। जब यहां डाक्टर साहिबा कब आयेगी पूछ लिया जाता तो बस एक ही जवाब देते हैं कि ‘हमनें अपने उच्च जिला स्तरीय पदाधिकारियों को सुचना दी है और वे शासनिक अधिकारियों के साथ प्रयासरत है कि इस समस्या का निस्तारण जल्द से जल्द हो सके।’

परदे के पीछे साजिश तो नहीं.

‘मातृ-शिशु कल्याण उपकेंद्र’ का ‘दामन’ ५ सालों पूर्व भी निर्माण से लेकर शुभारंभ संचालन तक ‘बेदाग’ नहीं रहा है और उसमें भी ‘ठगहारी’ के किस्से स्थानीय स्तरीय चर्चा में रहे हैं। अब पुन: वर्षों से यहां डाक्टरों की अनुपस्थिति के बाद पुन: सुसज्जित (रिपेरिंग) करवाकर संचालित करवाने की आड़ में कोई भ्रष्टाचारी साजिश तो नहीं रची जा रही है..ऐसी आशंकाएं गांव-समाज में चर्चा का विषय बन चुकी है। खैर..इस संदर्भ में भदोही डीएम राजेंद्र प्रसाद एवम् एसडीएम से काॅल लाईन पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश इस संवाददाता द्वारा की गई तो शायद वे व्यस्तता की वजह से काल नहीं उठा सके।

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