सेल्फी लेत तू गडहा में, फाटि पड्यो ई बढियाँ बा।
जान लेवा ई सेल्फी हौ, रोग बड़ा ई घटिया बा।
बहुत दीख ए बाबू साहब, जब से सेल्फी क चाल चली।
बड़े बड़े सब धीर वीर, शहर गाँव बस्ती गली।
टूटा पहाड़ घस्का करार, कहूं पड़ी जलधार बड़ी।
अब धीरे धीरे चली ल तू, हाथे में लै के एक छड़ी।
टूट फूट चहला लगा, हय नयन के पास।
सेल्फी के चक्कर में बहुतई, जन क टूटी आस।
अब कबहुँ न करब तू, ऐसन किरिया ल्यो।
जे केऊ करत मिलई ऐसन, ओके शिक्षा द्यो।
Very nice chacha ji