आंख में रोशनी नहीं फिर भी 83 प्रतिशत हासिल किया अंक
पवन कुमार मिश्रा
सूरत। “कौन कहता है कि आसमान में सुराख नही होता कोई तबियत से पत्थर तो उछाले यारो” को चरितार्थ किया है उत्तर प्रदेश के जौनपुर के लाल विग्नेश पाठक पुत्र अवधेश पाठक जो जौनपुर सुजान गंज इटहा गांव के निवासी है । विग्नेश के जज्बे की सराहना गुजरात के सूरत शहर का बच्चा कर रहा है। विग्नेश जन्म से ही आँख से दिव्यांग है कुदरत ने शायद उनके साथ कुछ ज्यादा ही बेरहम हुआ पर विग्नेश अपने हौसलो को बुलंदी पर ले जाने से नही चुके । यह अलौकिक बालक आज गुजरात प्रदेश में जो कारनामा कर दिखाया है वो पिछले 35 सालों से कोई नही कर पाया है ।
सूरत के रिंग रोड अम्बे माता मंदिर के पास दिव्यागों के विद्यालय से विग्नेश ने गुजरात बोर्ड के कक्षा 10वी परीक्षा2018 में 83% अंक पाकर गुजरात प्रदेश के दिव्यांगों में प्रथम स्थान हासिल किया। स्कूल की जानकारी के अनुसार दिव्यांगों में 99•9% विद्यार्थी गणित की जगह संगीत लेना पसंद करते है पर विद्यालय के प्रबंधन द्वारा मना करने के बाद भी विग्नेश गणित ही लेना पसंद किया और बहुत ही अच्छे अंको से गणित जैसे विषय को पास किया।
हमारी उसकी मुलाकात में विग्नेश ने बड़ी सहजता से बताया कि उसके पढ़ाई लिखाई में समाज के कई अग्रणियों का सहयोग रहा खास करके घर के सदस्य और उसके विद्यालय के गुरुजनो का जिनका वह शुक्रगुजार है ।
मेरे प्रश्नों का जवाब देते हुए विग्नेश ने बताया कि वो आगे की पढ़ाई विज्ञान वर्ग के गणित विभाग से करना चाहता है और आगे चलकर एम• एस सी करके पी एच डी करना चाहता है जिससे दिव्यांगों के लिए एक मिसाल कायम कर सके। बातो बातो में बताया कि सरकार से उसे किसी भी प्रकार की कोई उम्मीद नही है जो कुछ भी करना है वो उसे अपने दम पर करना है ।
विग्नेश के पिताजी से बात चीत में बताया गया कि विग्नेश सातवे महीने में पैदा हुआ और बचपन से ही इसकी आंखों में प्रॉब्लम थी सन 2008 में कुछ समय के लिए इसकी आंखों में रोशनी आयी थी फिर पहले जैसा हो गया ।विग्नेश दो भाइयों में छोटा है बड़ा भाई mbbs की पढ़ाई कर रहा है ।
अवधेश पाठक जी सूरत के किसी प्रायवेट मील में डाईंग मास्टर है जो सूरत के वेषु क्षेत्र में रहते है। उन्होंने बताया कि दिव्यांगों के लिए विज्ञान वर्ग की पढ़ाई के लिए सूरत में कोई विद्यालय नही होने के कारण अब उन्हें नार्मल बच्चो के स्कूल में ही पढना पड़ेगा ।जिसमे बहुत सारी कठिनाईया है फिर भी इस बच्चे के जज्बे को दाग देना पड़ेगा । नॉर्मल बच्चों के साथ वो भी विज्ञान वर्ग की पढ़ाई में बहुत सारी कठिनायों का जवाब देते हुए विग्नेश बताया कि उसे आगे के बेंच पर बैठने को मिले जिसे वो अध्यापक के आवाज को सही से सुन सके और उसे अपने लैपटॉप में टाइप कर सके तो वो इसे भी सफलता पूर्वक प्राप्त कर लेगा।
विग्नेश की एक और अलौकिक शक्ति है कि वो आवाज को सुनकर बोले गए एक एक शब्द को वो टाइप कर सकता है जिसे वह तकनीकी ढंग से दुबारा सुनकर उसे लिख भी सकता है। ईश्वर ने उसके साथ आंखे न देकर अन्याय किये है पर जो इच्छा शक्ति उस अलौकिक बालक की है वो कोई साधारण बालक नही है ।उसने बताया कि उसे ये प्रेरणा शक्ति स्वामी विवेकानंद की जीवनी से मिली है।
बधाई पवन जी आप को लोगो तक इस न्यूज़ को पहुँचाने के लिए और हमारी जिम्मेदारी है कि इन न्यूज़ को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे हर सोशल साइट पर !
और हार्दिक बधाई और।शुभकामनाएं विग्नेश के परिवार को भी !