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जौनपुर लोकसभा क्षेत्र सर्वेक्षण : क्या सपा बसपा गठबंधन सफल रहेगा

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Election 2019
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जौनपुर :गोमती नदी के किनारे बसा ऐतिहासिक रूप से चर्चित यह शहर हमेशा से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है, यहां के जामा मस्जिद, शाही किला और शाही ब्रिज को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में सैलानी आते हैं, विश्वविद्यालय और अपने चमेली के तेल, तंबाकू की पत्तियों, मूली, इमरती जैसे मिठाइयों के लिए लिए प्रसिद्ध है। जौनपुर जिला वाराणसी मंडल के उत्‍तरी-पश्‍चि‍मी भाग में स्‍थि‍त है।इस जिले में 2 संसदीय क्षेत्र और कुल 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। जौनपुर के अलावा मछलीशहर एक और संसदीय क्षेत्र है।

जौनपुर लोकसभा सीट इतिहास के पन्नों से

ऐसा कहा जाता है की इस शहर का नाम विष्णु के छठे अवतार परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि के नाम पर रखा गया है, जौनपुर की औसत साक्षरता दर 60.78% है जिनमें पुरुषों की साक्षरता दर 70.5% और महिलाओं की साक्षरता दर 51.29% है, यहां 1952 और 1957 में हुए आमचुनावों में कांग्रेस के बीरबल सिंह ने जीत दर्ज की थी, 1962 में जनसंघ के ब्रह्मजीत सिंह ने यहां की सीट पर कब्ज़ा किया था, 1962 से 1971 तक राजदेव सिंह कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए। 1977 में भारतीय लोकदल, 1980 में जनता पार्टी सेक्युलर और 1984 में कांग्रेस यहां से विजयी हुए, 1989 में भारतीय जनता पार्टी ने यहां पर बाजी मारी, 1991 में अर्जुन सिंह यादव ने जनता दल को जौनपुर में पहली जीत दिलाई, 1996 में भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर दोबारा कब्ज़ा किया। 1998 में समाजवादी पार्टी के पारसनाथ यादव जौनपुर से जीतकर लोकसभा पहुंचे, 1999 में भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी से एक साल पहले हुई अपनी हार का बदला ले लिया, साल 2004 में यहां सपा ने अपना परचम लहराया लेकिन 2009 में बसपा के दिग्गज धनंजय सिंह ने सपा से ये सीट छीन ली लेकिन साल 2014 में इस सीट पर भगवा फहराया और कृष्ण प्रताप उर्फ़ के.पी यहां से सांसद बने।मौजुदा सासंद कृष्णा प्रताप सिंह किसान और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने पीएचडी की डिग्री हासिल की हुई है। ये प्रदेश के युवा सांसदों में से एक है। बतौर सांसद कृष्णा प्रताप सिंह की उपस्थिति संसद में बेहद शानदार रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में जौनपुर संसदीय सीट से 21 प्रत्याशी मैदान में थे जिसमें कृष्णा प्रताप सिंह ने बहुजन समाज पार्टी के सुभाष पांडे से चुनौती से पार पाते हुए जीत हासिल की थी। कृष्ण प्रताप सिंह ने 1,46,310 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी।कृष्ण प्रताप सिंह को 3,67,149 मत मिले जबकि सुभाष को 2,20,839 मत मिले। चुनाव में सपा तीसरे और आम आदमी पार्टी पांचवें स्थान पर रही थी।बीजेपी ने 2014 में 15 साल बाद यह सीट अपने नाम किया था।

रोमांचक मुकाबला होने के आसार

पूर्वांचल के खास लोकसभा सीटों में गिने जाने वाले जौनपुर में इस बार चुनाव रोमांचक होने के आसार हैं। बीजेपी का मुकाबला करने के लिए सपा-बसपा ने प्रदेश में गठबंधन कर लिया है।ऐसे में बीजेपी को इन दो ताकतवर दलों का मुकाबला करना होगा तो साथ ही कांग्रेस भी यहां अपना ताल ठोक सकती है। बीजेपी यहां से एक बार भी लगातार 2 बार चुनाव नहीं जीत सकी है। बदले राजनीतिक समीकरण में सभी की नजर इस पर रहेगी कि क्या बीजेपी पहली बार लगातार जीत दर्ज कर पाएगी?

विधासभा चुनाव का नजरिया

जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा क्षेत्र बादलपुर, शाहगंज, जौनपुर, मल्हानी और मुंगरा बादशाहपुर आते हैं।बदलापुर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के रमेश चंद्र मिश्रा विधायक हैं। उन्होंने 2017 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के लालजी यादव को 2,372 मतों के अंतर से हराया था। वही शाहगंज विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के शैलेंद्र यादव का जीत दर्ज की है,जिन्होंने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राणा अजित प्रताप सिंह को 9,162 मतों के अंतर से हराया था। जौनपुर से भारतीय जनता पार्टी ने 2017 चुनाव में जीत हासिल की है। बीजेपी की ओर से गिरीश चंद्र यादव ने कांग्रेस के नदीम जावेद को 12,284 मतों के अंतर से धूल चटाई थी।मल्हानी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी की पकड़ है और यहां से पारसनाथ यादव विधायक हैं। पारसनाथ ने निषाद पार्टी के धनंजय सिंह को 21,210 मतों के अंतर से हराया था। 2017 विधानसभा चुनाव में मुंगरा बादशाहपुर से बहुजन समाज पार्टी की सुषमा पटेल ने बीजेपी की सीमा द्विवेदी को 5,920 मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की थी। जौनपुर संसदीय क्षेत्र के 5 विधानसभा सीटों पर कड़ी लड़ाई है यहां के 2-2 सीटों पर बीजेपी और सपा का कब्जा है तो एक पर बसपा ने पकड़ बनाए रखी है। अब सपा-बसपा का गठबंधन हो जाने से यहां का मुकाबला रोचक हो गया है। वैसे भी यह लोकसभा बसपा के कोटे मे है।

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