पिछले दिनों जौनपुर के मड़ियाहूं विधानसभा के गहलाई गांव में रेलवे ट्रैक पर मिली युवती के शव का मामला इस तरह तूल पकड़ा कि उसकी मौत हत्या, आत्महत्या और बलात्कार में उलझ कर रही गयी। सोशल मीडिया ने इस मामले को इतना तूल पकड़ा दिया कि मौत पर राजनीति का सिलसिला शुरू हो गया। कई संगठनों ने इस मौत को जिस तरह मुद्दा बनाया उससे पुलिस भी सांसत में पड़ गयी और शव का दो बाद पोस्टमार्टम भी कराना पड़ गया।
क्या है मामला
जिले के गहलाई गांव से कुछ दूर बारीगांव नेवादा रेलवे स्टेशन के निकट एक युवती का शव रेलवे ट्रैक पर पाया गया। शव को देखने के बाद जब भी जमा होना शुय हो गयी तो उसकी शिनाख्त गहलाईं गांव निवासी अनिल तिवारी की पुत्री के रूप में हुई। मौके पर पहुंची पुलिस ने भी शव को कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया। इसके बाद यह मामला सोशल मीडिया पर तूल पकड़ लिया। सोशल मीडिया पर लिखा जाने लगा कि योगी सरकार में एक ब्राह्मण लड़की का कथित बलात्कार करके हत्या कर दी गयी और शव को रेलवे ट्रैक पर डाल दिया गया। शव मिलने के बाद पोस्टमार्टम से पहले सोशल मीडिया पर यह मामला छा गया। युवती के साथ बलात्कार हुआ या नहीं लेकिन जोश में आकर मृतक और उसके परिवार का सामाजिक बलात्कार जम कर किया गया।
पुलिस ने क्या कहा
लोगों की जेहन पर छाये जूनूनी आक्रोष को देखते हुये पुलिस भी फूंक फूंक कर कदम उठा रही थी। पुलिस अधीक्षक ने ट्विट करके इसे आत्महत्या करार दिया और कहा कि लड़की के पास सुसाइड नोट पाया गया है। मीडिया में यह भी रिपोर्ट आयी कि लड़की वालों द्वारा पढ़ाई का खर्च न उठाने की वजह से युवती ने आत्महत्या की है। 24 अगस्त को जब युवती की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आयी तो जौनपुर पुलिस ने कहा कि युवती ने ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या की है, जिससे उसे गम्भीर आन्तरिक चोटे आई और वह मर गयी, लेकिन लोग संतुष्ट नहीं हुये और पुलिस का विरोध करना शुरू कर दिया।
जब राजनीति ने दी दखल
इसी तरह कितनी मौतें होती हैं और गुमनामी के अंधेरे में खो जाती हैं। न तो कोई आन्दोलन किया जाता है और न ही राजनीति दखलंदाजी करती है, लेकिन मौत जब हाईप्रोफाइल हो जाये तो वोटबैंक भी बन जाती है। जहां वोटबैंक का मामला सामने आ जाये भला वहां राजनीतिज्ञ कैसे पीछे रह सकते हैं। इस मामले को भी हाईप्रोफाइल होते देख राजनीतिक लोगों का भी जुड़ाव हो गया और मड़ियाहूं विधायक डा. लीना तिवारी व पूर्वांचल के बाहुबली ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्र 25 अगस्त को लड़की के परिवार वालों से मिलकर इस मामले में दखल किया और परिवार को न्याय दिलाने की बात कही। इसके बाद 26 अगस्त 2018 को दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई और उसी के आधार पर मड़ियाहूं पुलिस ने हत्या का केस दर्ज कर लिया।
प्रदर्शन के बाद पुलिस ने दिया एफआईआर कापी
राजनीतिक दबाव में आने के बाद मड़ियाहूं पुलिस ने भले ही मुकदमा दर्ज कर लिया हो किन्तु एफआईआर कापी मृतक परिवार को देने से मना कर दिया। जिससे एक बार फिर लोग आक्रोष में आ गये और मामला फिर तूल पकड़ने लगा। 30 अगस्त को योगेश पाण्डेय के नेतृत्व में भारी संख्या में लोग कोतवाली पर पहुंचे और कोतवाली का घेराव कर दिया। हंगामा बढ़ा तो पुलिस ने एफआईआर की कापी पीड़िता परिवार को दिया और अपराधियों को पकड़ने का आश्वासन भी दे दिया। हत्या, आत्महत्या और बलात्कार के बीच उलझे इस मामले का खुलाशा कब होगा यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन एक बात तो तय है कि जब सोशल मीडिया द्वारा बिना किसी सबूत के अफवाह उड़ायी जाती है तो पीड़ित का भले ही शारीरिक बलात्कार न हुआ हो किन्तु सामाजिक बलात्कार होने से कोई रोक नहीं पाता है।