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लेखनी से समृद्ध और स्वभाव से सरल थे जयकृष्ण गौड़

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अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की भुवनेश्वर में हुई बैठक

इंदौर। इंदौर प्रेस क्लब में सद्भावना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में अध्यक्ष ने कहा जयकृष्ण गौड स्मृति में हर वर्ष पत्रकारिता सम्मान दिया जाएगा। उन्होंने तटस्थ भाव से कार्य किया। लेखनी से समृद्ध और स्वभाव से सरल थे जयकृष्ण गौड़ । सबको साथ लेकर चलने की उनकी आदत थी।

उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मालवा प्रांत के कुटुम्ब प्रबोधन प्रमुख लक्ष्मणराव नवाथे (बाबा साहब) ने सोमवार की शाम इंदौर प्रेस क्लब में व्यक्त किए। मौका था । दैनिक स्वदेश के संपादक रहे श्री जयकृष्ण गौड़ को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित सद्भावना सभा का। वरिष्ठ पत्रकार, इंदौर प्रेस क्लब के संस्थापक व पूर्व अध्यक्ष श्री गौड़ का गत 14 अक्टूबर को निधन हो गया था।

श्री नवाथे ने उनके निधन को बेहद दु:खद बताया। अपने 10 वर्ष के संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि वह सबको साथ लेकर चलते थे तथा बेहद सरल रहे। बाबा साहब ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की गत् दिनों भुवनेश्वर में हुई बैठक में श्री गौड़ को दी गई श्रद्धांजलि का वाचन भी किया।

देवपुत्र के संपादक श्री कृष्णकुमार अष्ठाना ने कहा कि शशींद्र जलधारी के बाद मैंने अपने निकट का व्यक्ति खो दिया है। मृत्यु से कुछ दिन पूर्व तक अनेक विषयों पर मिलते रहे। उनके साथ मेरी बहुत आत्मीयता रही, वे कुशल पत्रकार और यायावर जीवन जीने वाले थे। आपने उनके परिवार में हुए वज्रपात का उल्लेख करते हुए आपातकाल की बातें भी साझा की। श्री अष्ठाना ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी कभी श्री गौड़ ने कलम छोडऩे का विचार नहीं किया। संघ के स्वयंसेवक होने के नाते राजगढ़ से इंदौर तक उनके संस्कार और निष्ठा सदैव बनी रही। इनकी लेखनी इतनी मंज गई कि उसमें राष्ट्रभाव ही झलकता रहा। आज उस धारदार कलम की आवश्यकता है, उनका अभाव हम सबको लंबे समय तक खलेगा।

स्वदेश के प्रबंध संपादक श्री दिनेश गुप्ता ने कहा कि स्वदेश उनकी कमी को समझ सकता है। श्री गौड़ ने 20 वर्ष तक समर्पण और निष्ठा से सेवाएं दी। उनकी लेखनी अंतिम समय तक स्वदेश के लिए कार्यरत रही। वे सदैव एक जीवन-एक ध्येय पर रहे। मां भारती की सेवा में लगे रहे। जो भी संकट आया, उससे दृढ़ता से बाहर आए। स्वदेश की क्षतिपूर्ति असंभव है।

सांसद श्री शंकर लालवानी ने कहा कि गौड़ साहब को बचपन में सराफे की दुकान से देखा, फिर लगातार राजनीतिक संपर्क बना रहा। वे विचारों की प्रतिबद्धता से लगातार लगे रहे। ‘चरैवेति का काम भी लगातार देखा, उनसे मैंने सदैव कुछ न कुछ सीखा।

पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत ने कहा कि एक व्यक्ति कई किरदार जीता है, यह गौड़ साहब से सीखना चाहिए। वे सशक्त हस्ताक्षर थे। पत्रकार कैसा हो, शैली कैसी हो यह गौड़ साहब से सीखना चाहिए। आपने उल्लेख किया कि किसी यूनिवर्सिटी में उनके जीवन कार्यों को लगाकर इन बातों को सिखाना चाहिए। आपने जेल का संस्मरण भी सुनाया और इस बात पर भी जोर दिया कि वे अपनी विचारधारा के प्रति सदैव समर्पित रहे। ऐसे समर्पित व्यक्ति आजकल ढूंढे नहीं मिलते हैं। वे पत्रकारिता का स्कूल थे, विश्वविद्यालय थे।

प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने श्री गौड़ के पत्रकारिता में महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख किया। श्रद्धांजलि सभा का संचालन क्लब के महासचिव और दैनिक दोपहर के संपादक नवनीत शुक्ला ने किया।

इस अवसर पर विभिन्न संगठनों और समाजसेवी संस्थाओं से भी प्रबुद्धजन उपस्थित हुए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मालवा प्रांत के प्रांत प्रचारक बलिराम पटेल, विधायक रमेश मेंदोला, आकाश विजयवर्गीय, पूर्व एडीएम रामेश्वर गुप्ता, प्रेस क्लब के पूर्व सचिव अन्ना दुराई सहित अन्य पत्रकारों एवं गणमान्यजनों ने भी उपस्थित होकर श्रद्धासुमन अर्पित किए।

इन्होंने भी दी श्रद्धांजलि प्रेस क्लब के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार जीवन साहू ने कहा कि यह मेरी व्यक्तिगत क्षति है। 1991-92 में वे प्रेस क्लब में अध्यक्ष और मैं उनके साथ सचिव रहा। हमने एकसाथ काम किया। गौड़ साहब ने सदैव मूल्यों की पत्रकारिता की।
वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग ने बताया कि 1981 में उनसे मुलाकात हुई। यहां आपातकाल की कहानियां सुनने को मिलती थी जिनमें गौड़ साहब का नाम भी संपर्क में आया। उनके लेखन में उग्रवाद नहीं था। सज्जन किस्म के पत्रकार रहे। सबके साथ मिलते थे, सबसे घनिष्ठ संबंध थे।

भाजपा के प्रदेश मंत्री बाबूसिंह रघुवंशी ने आपातकाल और मीसाबंदी का उल्लेख करते हुए कहा कि व्यक्ति का विचार के प्रति क्या समर्पण होता है यह गौड़ साहब से सीखना चाहिए। सरकारी नौकरी छोड़कर 1/6 तनख्वाह में स्वदेश में आए। उनका मार्गदर्शन हमको अभाविप से ही मिलता रहा। कर्तव्य के पालन में उन्होंने कभी कोई कोताही नहीं बरती।

नवभारत के समूह संपादक डॉ. क्रांति चतुर्वेदी ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा कि गौड़ साहब बहुत अच्छा व्यवहार करते थे। वे सदैव सबका बच्चे जैसा ध्यान रखते थे। उनकी किताब ‘काल के कपाल पर भी आडंबर से रहित रही।

वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा ने गौड़ साहब के साथ अपने अनुभव सुनाते हुए कहा कि वे बेहद सहज आदमी थे और सरल भी। आपने गौड़ साहब की प्रिय कचोरी लाने का उल्लेख भी किया, साथ ही इस बात पर चिंता जताई कि स्वदेश परिवार के स्तम्भ रहे ‘मामाजी और गौड़ साहब की भी पूर्ववर्ती सरकारों ने कोई चिंता नहीं की। श्री राणा ने कहा कि गौड़ साहब में पद पर रहने का भी कोई गुरुर नहीं था।

  • भाजपा नेता गोविंद मालू ने कहा कि सरल, सहज गौड़ साहब से 1980 से संपर्क रहा। खेल में भी उनका दखल था। वे वैचारिक पक्ष को लगातार बताते रहे। उन्होंने पत्रकारिता की मर्यादा का सदैव पालन किया।

  • स्वदेश के संचालक और समाजसेवी अतुल सेठ ने अपनी बात रखते हुए कहा कि 1990 से गौड़ साहब से संबंध रहा। उनका कहना था कि कोई हमारी बात माने या ना माने यह उनका विषय है, हमें तो अपनी बात सहजता से रखनी चाहिए। श्री सेठ ने गौड़ साहब को पिता तुल्य व्यक्तित्व का बताया और उनसे बहुत कुछ सीखने की बात भी कही। आपने अभ्यास मंडल की ओर से श्री गौड़ को श्रद्धांजलि अर्पित की।

  • भोपाल से आए वरिष्ठ पत्रकार और गौड़ साहब के साथ कार्यरत रहे सुरेश शर्मा ने गौड़ साहब को गुरू बताते हुए कुछ पुरानी बातें उकेरी। आपने गौड़ साहब से निरंतरता बताते हुए कहा कि 3 बजे गौड़ साहब के आलेख की मेल आई और सवा 6 बजे निधन की सूचना मिली। उनका उत्साह व मार्गदर्शन सदैव मेरे साथ रहा।

वरिष्ठ पत्रकार मुकेश तिवारी ने सादगी और राष्ट्रवाद को गौड़ साहब के साथ सदैव जुड़ा बताया। कुछ संस्मरण सुनाए जिसमें दोनों बिंदु झलकते रहे। आपने उनको राष्ट्रवाद की मसाल लेकर चलने वाला व्यक्तित्व निरूपित किया। भाजपा के संभागीयस मीडिया प्रभारी आलोक दुबे ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने अच्छा लिखा भी और कई लिखने वालों को भी तैयार किया।

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