तीन पत्रकारों की लेखनी ने भदोही जिला अस्पताल को बनाया जनांदोलन
रविवार को यूपी में पहले नंबर पर ट्रेंड किया अस्पताल का मामला
भदोही। डालर नगरी के नाम से विख्यात 26 वर्ष की उम्र पार कर चुका जिला भदोही अभी भी स्वास्थ्य सुविधाओ के लिए तरस रहा है। कितनी दुःखद बात है कि जो गरीब कालीन मजदूर बुनकर अपनी मेहनत से देश को करोडो डालर का राजस्व देते हैं। उन्ही ग़रीबों के लिए भदोही में एक सुव्यवस्थित स्वास्थ्य की सुविधा नहीं है। जिसके कारण कितनी गरीब इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं।
भदोही के पत्रकारों में यह क्षमता रही हैं कि अपनी लेखनी से भदोही के कई मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का काम किया हैं। एक बार फिर पत्रकारों ने अपनी लेखनी के बलबूते युवाओ को जागृत किया और जिला अस्पताल के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया। आज एक बार फिर जिला अस्पताल का मुद्दा ट्विटर पर पहले नंबर पर ट्रेंड कर गया।इसमे सबसे बड़ी भूमिका युवाओ की रही हैं। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यदि युवा जोश नहीं जागता तो पत्रकारो की मेहनत भी बेकार हो जाती।
कैसे शुरू हुआ अभियान?
जिला अस्पताल का मामला उठाने में भदोही के पत्रकारो ने अहम भूमिका निभाई। जिले के वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार प्रभुनाथ शुक्ला ने कई समाचार पत्रो में जिला अस्पताल का मुद्दा उठाया। उन्होने लिखा कि किस तरह 11 वर्ष पूर्व शुरू हुआ अस्पताल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। 11 वर्ष पहले जिस अस्पताल की नीव पड़ी थी । उसे 14 करोड़ में पूर्ण होना था । किंतु ₹18 करोड़ खर्च होने के बावजूद अस्पताल पूर्ण नहीं हो पाया। बजट में आए धन का बंदरबांट इस तरीके से हुआ कि अस्पताल दीवारे तो खड़ी हो गई। किंतु उसमें कोई भी व्यवस्था नहीं हो पाई। और अस्पताल खंडहर होता चला गया। इस मुद्दे को श्री शुक्ला ने कई अखबारों में प्रकाशित कराया।
वहीं जिले के युवा पत्रकार दिनेश पटेल ने न्यूज़ 18 में खबर को विस्तृत रूप से प्रकाशित किया। इस खबर को काफी लोगों ने पढ़ा। खबर पढ़कर लोगों में जागरूकता आनी शुरू हो गई। सोशल मीडीया से जुड़े बहुत से युवाओ ने इस खबर को फेसबुक पर शेयर करके लोगों से जिला अस्पताल की मुहिम में शामिल होने की आवाज उठाई।
जिले के युवा पत्रकार महेश जायसवाल ने वीडियो समाचार बनाया और सरपतहा मुख्यालय के पास निर्मित अस्पताल के बारे में लोगों को जानकारी होनी शुरू हो गई।महेश जायसवाल के वीडियो को करीब एक लाख लोगों ने देखा। यह वीडियो समाचार भदोही के युवाओ को जगाने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि भदोही के कई पत्रकारों ने अस्पताल के मुद्दे को उठाते रहें हैं ! किन्तु इन तीन पत्रकारों के समाचारों को जिले के अधिकतर युवाओ ने शेयर करके मुहिम में शामिल होने की अपील की।
इन खबरो के बाद सोशल मीडिया से जुड़े तमाम युवाओं ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया। सिर्फ भदोही में रहने वाले ही नहीं बल्कि मुम्बई नोएडा सहित विदेशों में रहने वाले सोशल मीडिया के युवकों ने जिला अस्पताल के मुद्दे को उठाना शुरू किया। जब यह मुद्दा सोशल मीडिया पर उठना शुरू हुआ तो बहुत से युवा जागृत हुए और अपने फेसबुक पर इस मुद्दे को लिखना शुरु कर दिया। कई लोगों ने इसे एक मुहिम की तरह लिया और फेसबुक पेज बनाकर, व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर लोगों को एकजुट करना शुरू कर दिया।
देखते ही देखते यह मुहिम एक जन आंदोलन का रूप लेती चली गई। सोशल मीडिया से जुड़े विभिन्न दलों और सामाजिक संगठनों के लोगों ने सारे वैचारिक मतभेद भुलाकर भदोही वासी बने और मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया। कई संगठनों ने जिलाधिकारी को पत्र देकर अस्पताल को पूर्ण कराने की मांग की। वही जमीनी लड़ाई लड़ने के लिए सत्याग्रह आंदोलन भी किया गया।
पिछले 6 जून को भदोही मांगे जिला अस्पताल हेस्टैक के साथ ट्विटर पर एक वार छेड़ा गया। जिसमें उत्तर प्रदेश में ट्विटर पर यह मुद्दा टॉप फाइव और राष्ट्रीय स्तर पर 30 वें नंबर पर पहुंच गया। एक बार फिर 14 जून को ट्विटर पर भदोही मांगे जिला अस्पताल के मुद्दे को उठाने के लिए युवाओं ने रणनीति बनाई। इसके लिए रविवार 14 जून का समय निर्धारित किया गया। देखते ही देखते ट्विटर पर उत्तर प्रदेश में पहले स्थान पर पहुंच गई। 15,000 से अधिक लोगों ने ट्वीट किया। यही नहीं इसके पूर्व भी कई जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर जिला अस्पताल को पूर्ण करके शुरू करने की मांग की। जिला अस्पताल का मुद्दा भदोही में जन आंदोलन का रूप ले चुका है। भदोही का युवा वर्ग पूरी तरह से जाग चुका है। अब सरकार कब जागेगी लोगों को इसी बात का इंतजार है।लेकिन जिस तरह युवाओ ने मिलकर इसे एक जनांदोलन का रूप दिया। उसके लिए प्रत्येक युवाओ की सराहना हो रही हैं।