Home मुंबई न्याय की तलाश में पत्रकार बैठा आमरण अनशन पर

न्याय की तलाश में पत्रकार बैठा आमरण अनशन पर

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संबंधित पुलिस स्टेशन ने अनशन स्थान पर जाकर हाजिर होने का दिया नोटिस

ठाणे। आखिरकार पुलिस प्रशासन द्वारा अपनाए जा रहे दोहरे मापदंड से परेशान होकर एक पत्रकार आमरण अनशन पर बैठने के लिए विवश हो गया और आश्चर्य की बात यह है कि, संबंधित पुलिस स्टेशन ने अनशन स्थान पर जाकर जांच के लिए हाजिर होने का नोटिस दिया। ठाणे के शासकीय विश्रामगृह के बाहर आमरण अनशन पर बैठे दैनिक तरुण मित्र के पत्रकार एवं जेजेबी न्यूज़ नामक न्यूज़ वेब चैनल के मालिक चंद्रभूषण जनार्दन विश्वकर्मा ने श्रीनगर पुलिस स्टेशन पर बेवजह प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि, उन्होंने अपने जेजेबी न्यूज़ चैनल पर एक शिक्षक के रंगीन मिजाज को लेकर खबर प्रसारित किया था। जिसके चलते श्रीनगर पुलिस द्वारा दोहरा मापदंड अपनाते हुए कार्रवाई कर रही है।

अनशन पर बैठे चंद्रभूषण विश्वकर्मा ने श्रीनगर पुलिस स्टेशन पर पक्षपात करने का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, उसके द्वारा प्रसारित किए गए खबर से संबंधित व्यक्ति का संबंधित पुलिस स्टेशन पर गहरी पैठ है। जिसके चलते पुलिस द्वारा उस पर बेवजह मामला दर्ज करने पर उतारू है। आगे विश्वकर्मा ने बताया कि, जब उन्होंने वह खबर प्रकाशित की थी और उस संदर्भ में संबंधित पुलिस स्टेशन में उन्हें जवाब के लिए बुलाया था, तो वह पूरे दस्तावेज के साथ संबंधित पुलिस स्टेशन में जाकर अपना जवाब देकर आए थे। उस वक्त उन्होंने संबंधित अधिकारी को बताया था कि, उन्होंने उक्त खबर को किसी के प्रतिक्रिया को बुनियाद बनाकर प्रसारित किया था। जवाब पंचनामा के पश्चात सब कुछ शांत हो गया और इतने दिन बाद पुन: संबंधित पुलिस स्टेशन द्वारा उसे परेशान किया जाने लगा हैं।

अनशन पर बैठने के पहले तक,उसे संबंधित पुलिस स्टेशन द्वारा लिखित सम्मन नहीं भेजा गया था अलबत्ता फोन पर यह धमकी जरूर दिया गया था कि, तुम कहीं पर भी लेटर भेजो लेकिन वह आएगा हमारे ही पास, यदि पुलिस स्टेशन में नहीं आओगे तो रात को उठा लिया जाएगा। लेकिन जैसे ही वे अनशन पर बैठे उसके कूछ ही घंटे के पश्चात संबंधित पुलिस स्टेशन द्वारा 23 जनवरी को जांच के लिए हाजिर होने का नोटिस दिया गया। फिलहाल इस नोटिस से यह पता चला है कि, वर्ष 2018 में दर्ज मामले की जांच की जा रही है।  अनशन पर बैठे चंद्रभूषण विश्वकर्मा ने कहा है कि, यदि प्रशासन ने उन्हें न्याय नहीं दिया, तो वे मजबूरन महामहिम राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग करेंगे।

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