Home मुंबई जुहू के ईस्कान में शायरों की सजी महफ़िल

जुहू के ईस्कान में शायरों की सजी महफ़िल

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हमार पूर्वांचल
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मुंबई : 2 दिसंबर की शाम मुम्बई के ISKCON जुहू में लखनऊ के मशहूर शायर जनाब ओम प्रकाश ‘नदीम’ के सम्मान में बेहतरीन शायरी से लबरेज़ नशिस्त रखी गई, जिसमें शहर के जाने-माने शायरों और शायरात ने हिस्सा लिया और इस महफ़िल को जानदार शायरी से शानदार बनाने वाले शोअरा इक़राम थे जनाब ओम प्रकाश ‘नदीम'(मेहमान ए ख़ुसूसी) जनाब लक्ष्मण दुबे(सदर) जनाब इब्राहिम अश्क, जनाब ओबेद आज़मी, जनाब सादिक़ रिज़वी, जनाब डॉ. शैलेष वफ़ा, जनाब अशोक नीरद, जनाब खन्ना मुज़फ्फरपुरी, जनाब साज़िद अली क़ादरी, जनाब प्रमोद कुश ‘तन्हा’, जनाब सतीश शुक्ला ‘रक़ीब'(मेज़बान) जनाब संतोष सिंह, जनाब रियाज़ रहीम, जनाब केतन परमार, जनाब अवनीश दीक्षित, शायरात थीं मोहतरमा रेखा किंगर ‘रोशनी’ और अल्का जैन ‘शरर’ (निज़ामत) आदि उपस्थित थे। कुछ शायरों की गज़लें इस प्रकार-

श्री अवनीश कुमार दीक्षित

सही राह चलना गलत लग रहा है।
चरागों-सा जलना ग़लत लग रहा है ।।
वो नफरत भरे हैं,मुहब्बत से भर के।
मेरा अब मचलना गलत लग रहा है ।।

डाॅक्टर शैलेश वफ़ा-

नींद को खुशबू से महकाया नहीं ।
मुद्दतों वह ख़्वाब में आया नहीं ।।
लफ्ज़ इसके सारे ही बेमानी हैं ।
उसने जब तक गीत ये गाया नहीं ।।
एक मुद्दत से बड़ा बेचैन हूँ ।
दर्द ने क्यूँ मुझको तडपाया नहीं ।।

श्रीमती अलका जैन “शरर” –

उनकी समझ के आहटें हम मुस्कुरा दिए।
जितने मिले थे हिज्र में ग़म मुस्कुरा दिए।
सारी शिकस्तगी को रखा गाँठ बाँध कर,
होठों को खींच तान कर हम मुस्कुरा दिए।

शायरा रेखा किंगर रोशनी-

शब ए फ़िराक़, तेरी याद और तनहाई।
न जाने कौन सा अब इम्तेहान बाक़ी है?

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