शिक्षाविद, दार्शनिक, वैज्ञानिक, आध्यात्मिक, संगीतज्ञ, राजनीतिज्ञ, कवि – लेखक और चिंतक भारत रत्न महामहिम राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम को नमन ! मेरी उन्हें समर्पित कोटी कोटी श्रद्धांजलि और अनगिनित यादों के झरोखे में कलाम थे और रहेंगे।
” बने धरती कैसे खुशहाल “ उस पल हुई सांसें बेहाल कह न पाई अपनी बात विदा हो गईं ले के कलाम।
गमगीन आँखें दें विदाई देता देश – विश्व सलामी देश को समर्पित जिंदगानी दे श्रद्धांजलि हर भारतवासी।
अभावों – मुश्किलों भरी जिंदगी परिश्रम – सच्चाई करे वन्दगी मन तरंगे हालातों से खूब लड़ी छुई उड़ाने परमाणु की कामयाबी की।
विशाल सोच , चिंतन के ध्यानी थे शिक्षक , आध्यात्मिक ज्ञानी आदर्शों , अंतस प्रज्ञा के धनी ‘ विंगस ऑफ फायर ‘ लोकप्रिय बड़ी।
मानवीय पूंजी थी बड़ी भारी बैंक पूंजी में खाता था खाली रसीला फलदार वृक्ष सरीखा विनम्र प्रतिमूर्ति योगदानोंवाली।
बढ़ाया विश्व में ‘ अग्नि ‘ ‘ पृथ्वी ‘ से मान मिला ‘ मिसाइल मैन ‘ ; भारत रत्न ‘ खिताब लक्ष्य ‘ बीस हजार बीस ‘ तक का सपना करना था देश को विकसित अपना।
चढ़ी रहती अथक कामों की धुन सफलता की समृद्धि सपनों से बुन किया मेल अध्यात्म – विज्ञान का जिया जीवन ‘ गीता ‘ – ‘ कुरान ‘ – सा
बन राष्ट्रपति बाल – जन -युवा में बेमिसाल नई सोच विज्ञान – चिकत्सा की बनी मिसाल सभी परम्परा-संस्कृतियों में गए थे घुल रूढ़ियों – कुरीतियों की तोड़ी अमिट दीवार।
जर्रे – जर्रे को कर गए खुशहाल ‘ न करना मेरे मरने पे अवकाश करना देशवासियों दुगना काम ‘ करेंगी ‘ मंजु ‘ पीढ़ियां उन्हें याद ।।