रिपोर्ट: रामकृष्ण पाण्डेय
सीतामढ़ी/भदोही। महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली व लवकुश कुमारों की जन्मस्थली सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी में नौ दिवसीय राष्ट्रीय रामायण मेला समिति के तत्वावधान में चल रहे संगीतमय कथा में भक्तों को कथा का अमृत रसपान कराते हुए कथा मर्मज्ञ पं. मनोज चौबे शास्त्री ने कहा कि रामायण जीवन का आधार ग्रंथ है। बाहर और भीतर दोनों को प्रकाशमय बनाना है, तो रामनाम ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है। भारत का जन-जन रामकथा के प्रत्येक पहलू से परिचित है। रामायण भगवान श्रीराम की व्यापकता का आधार है। रामायण मेले जैसे आयोजनों से विकृत हो रही संस्कृति का संरक्षण संभव है।
वहीं कथा सुनाते हुए मानस मनीषी डॉ. साधना त्रिपाठी के उद्गार थे कि कलयुग में भगवन नाम की सबसे अधिक महिमा है। यद्यपि नाम की महिमा तो चारों युगों में रहा लेकिन कलयुग में मनुष्य के लिए भगवान नाम की एकमात्र सहारा है। बताया कि भगवान नाम का जाप चार प्रकार से किया जाता है। मानसिक उपांशु साधारण और संकीर्तन। मानसिक जाप वह होता है जिसमें मन से ही नाम जाप किया जाए। इसमें कंठ जिह्वा और ओंठ नहीं हिलते। दूसरा उपांशु वह जाप है जिसमें मुखबंद रखकर कंठ और जिह्वा से जाप किया जाता है। साधारण जाप में जिसमें अपने कान को भी भगवान का नाम सुनाई दे और दूसरों को भी। चौथे प्रकार के संकीर्तन जाप में राग रागिनियों के साथ उच्च स्वर में होता है नगाड़ों व बैंड बाजा के साथ भगवत नाम का जाप किया जाता है। इस अवसर पर त्रिवेणी मिश्रा नेता तिवारी कमलापति मुन्ना धर्मेंद्र सिंह श्यामबहादुर सिंह महेंद्र मिश्र श्रवण दुबे लालमणि मिश्र विनोद पाण्डेय सहित कई मौजूद रहे।