Home मुंबई कल्याण हुआ राममय, दूसरे दिन का रामलीला पाठ मंचन विशेषांक

कल्याण हुआ राममय, दूसरे दिन का रामलीला पाठ मंचन विशेषांक

हमार पूर्वांचल
अवध रामलीला संस्था

कल्याण:21 अक्टूबर रविवार को शाम के 7बजते ही मंच परिसर में लगी हुई तमाम कुर्सिया दर्शको के हुजूम से खचाखच भर गयी और प्रथम दृश्य की शुरूवात हुई माता सरस्वती की वंदना से।

जयति जयति माँ सरस्वती
जयति जय जय वीणाधारिणी

जिसपर उपस्थित 600 से भी अधिक दर्शनार्थी झूम उठे। बता दें कि वंदना के कार्यक्रम के तुरंत बाद क्षीरसागर में लेटे हुए भगवान विष्णु के पैर दबाते हुए उनकी पत्नी के दृश्य ने भी दर्शको का मन मोह लिया और इसी क्रम में भगवान विष्णु की उनकी भार्या सहित हुई आरती ओम जय जगदीश हरे, ओम जय जगदीश हरे। भक्तजनो के संकट क्षण में दूर करें। ओम जय जगदीश हरे…… पूरे मंच परिसर को गुंजायमान बना दिया।

हमार पूर्वांचल
अवध रामलीला में जुटे सैकड़ो दशर्क

तत्पश्चात भगवान श्री राम की तस्वीर पर विजय उपाध्याय जी के तरफ से माल्यार्पण हुआ जबकि उपस्थित जनसमूहो के तरफ से भगवान श्री राम के ही तस्वीर पर चंद्रशेखर मिश्रा के हाथो से माल्यार्पण कराया गया।
इसी कङी मे गिरीश दुबे के कर कमलो द्वारा व्यास जी को एवं मुरलीधर पाँडे जी के द्वारा रामायण ग्रन्थ पर माल्यार्पण के कार्य कराये गये।

बतातें चलें कि माल्यार्पण कार्य के समापण के बाद रावण, कुंभकर्ण एवं विभीषण का किरदार निभानेवालो तीनो पात्रो का आगमन हुआ जो ब्रह्मदेव की तपस्या कर अपना वरदान हासिल किए जिसमें रावण ने अमर होने का वरदान मांगा जबकि उसे अकूत शक्ति मिली तथा कुंभकरण ने जिह्वा के धोखे से इंद्रासन के जगह निंद्रासन मांग बैठा जबकि विभीषण ने प्रभु की भक्ति मांगकर एवं पाकर ही अपनी मांग स्वीकार कर ली।  फलस्वरूप रावण ने क्रोध में आकर अपने दोनो भाईयो को अपने पाए हुए वरदान के उपभोग करने हेतु ही आवेश मे आकर विश्राम करने की नसीहते दे डाला।

इसके बाद रावण ने अपने वरदान द्वारा हासिल किए हुए अकूत शक्तियों का उपयोग ऋषि मुनियो की हत्या में करने लगा जिस कारण पृथ्वी, सूर्य और इन्द्र देवता गण सभी भयभीत होकर ब्रह्मदेव के पास फरियाद मांगने गये तब खुद ब्रह्मदेव ने इन सबके साथ देवाधिदेव भगवान शंकर के पास कैलाश पर्वत पर लेकर गये।तभी भगवान भोले शंकर ने सबको ढाँढस बँधाते हुए बताए कि श्री राम के हाथो ही रावण के अत्याचारो से सबको मुक्ती मिलेगी।

तभी गङगङाहटो के साथ नभ से आकाशवाणी हुई कि अयोध्या पति दशरथ के घर ही श्री राम का जन्म होगा, और भये प्रकट कृपाला, दीन दयाला कौशल्या हितकारी। के धुनष के साथ भगवान का अवतार हुआ, तत्पश्चात आरती के साथ तकरीबन रात 10 बजे अवध रामलीला समिती के द्वारा कराए जा रहे रामलीला पाठ के मंचन का समापन हुआ।

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