कल्याण। हिन्दीभाषियों की आवाज बनकर कल्याण लोकसभा में चुनावी ताल ठोंकने वाले निर्दलीय प्रत्याशी देवेन्द्र सिंह अब एनडीए प्रत्याशी व शिवसेना के वर्तमान सांसद श्रीकांत शिंदे के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। बुधवार को हुई बैठक के उपरान्त यह निर्णय लिया गया। हालांकि लोगों का यह भी कहना है कि समाज द्वारा अपेक्षित सहयोग न मिलने के कारण और राजनीतिक दबाव के चलते यह फैसला लिया गया है।
बुधवार को जब महाराष्ट्र सरकार के मंत्री एकनाथ शिंदे देवेन्द्र सिंह के आवस पर पहुंचे तो यह घोषणा की गयी हालांकि चुनाव न लड़ने का निर्णय मंगलवार को ही ले लिया गया था। इस समझौते में नवील गवली, महेश गायकवाड़, विजय मिश्रा, राजेन्द्र सिंह, मुकेश झा, विनीत पाण्डेय, सीपी मिश्रा, मनोज पाण्डे, संदीप सिंह, महेन्द्र चौबे, वंदना सोनावड़े आशीष दूबे सहित तमाम लोग मौजूद थे। हालांकि चर्चा का विषय यह भी रहा कि जिनलोगों की शह पर वे चुनाव मैदान में कूदे थे वे लोग गायब रहे।
बता दें कि हिन्दीभाषियों की आवाज बनकर चुनावी मैदान में कूदने वाले देवेन्द्र सिंह पर्चा दाखिला करने के बाद ही कई चुनौतियों से रूबरू होने लगे। कहा जाता है कि जो लोग उन्हें ताल ठोंकने के लिये मैदान में कुदा दिये थे वे ही पल्ला झाड़ना शुरू कर दिया। कारण बताया जाता है कि चुनाव प्रचार के लिये देवेन्द्र सिंह धन उपलब्ध कराने को तैयार नहीं हैं।
दूसरी तरफ चुनाव लड़ने की चर्चा के साथ ही कुछ लोग देवेन्द्र सिंह को चुनाव न लड़ने की नसीहत देने लगे थे। या यह उम्मीद करते थे कि चुनाव उनके निर्देशन में लड़े और उनकी ही सुने। यदि चुनाव न लड़ने की घोषणा भी करें तो उनके नेतृत्व में हो। ऐसे लोगों की संख्या भी बहुतायत में थी ।
इसी बीच कल्याण के ही एक उत्तरभारतीय नगरसेवक के साथ वहीं लोग एकनाथ शिंदे से मुलाकात भी कर आये जो देवेन्द्र सिंह को खड़ा करने में अहम् भूमिका निभाये थे। अब उनके बीच कोन सा सौदा हुआं यह अंदर की बात है। फिलहाल देवेन्द्र सिंह चुनाव लड़ने से तौबा कर लिये हैं किन्तु एक बार फिर हिन्दीभाषियों की आवाज सिर उठाते ही दबा दी गयी हैं। जो यह साबित करती है कि एक दूसरे के प्रति एकता, विश्वास और समर्पण की कमी है।
[…] […]