कल्याण। हिन्दीभाषियों की आवाज एक बार उठने से पहले दब गयी। देवेन्द्र सिंह द्वारा चुनाव से नाम वापस लेने से जहां उनको व्यक्तिगत लाभ पहुंचा है वहीं कई लोगों के अरमानों पर बिजली भी गिर गयी है। इसी के साथ वह योजना भी फेल हो गयी है जो जाति के नाम पर जहर बोने की तैयारी थी।
बता दें कि हमार पूर्वांचल के हाथ एक आडियो क्लिप हाथ लगा है। जिसमें दो लोग चुनाव को लेकर चर्चा कर रहे हैं। उस बातचीत में यह प्लान बनाया जा रहा है कि हिन्दीभाषी समाज की तरफ से देवेन्द्र सिंह खड़े हुये हैं जो जाति से ठाकुर हैं। जबकि खुद को उत्तरभारतीयों का नेता बताने वाला वह शख्स ब्राह्मण है। प्लान बनाया गया था कि चुनाव में ठाकुर और ब्राह्मण के बीच जाति की भावना को भरकर वोट हासिल करना है। लेकिन उससे पहले देवेन्द्र सिंह ने नाम वापस ले लिया अन्यथा हमेशा विवादों में रहने वाला और अपने स्वार्थ के लिये किसी को भी धोखा देने की प्रवृत्ति रखने वाला शख्स समाज में जाति का जहर बो सकता था। हालांकि उत्तरभारतीय इतने नादान नहीं है कि किसी की इस चाल में फंसते किन्तु समाज में ऐसे लोग भी मौजूद हैं जो भावनाओं में बहकर जाति के नाम पर राजनीति शुरू कर देते और पूरे समाज को बदनाम कर देने का कुचक्र रचते। ऐसे समाजकंटकों से लोगों को सावधान रहना होगा।