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कल्याण लोकसभा : दो धुर विरोधियों ने मिलाये हाथ, उत्तरभारतीयों की इज्जत दांव पर

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कल्याण। स्थानीय लोकसभा में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोंकने वाले कथित हिन्दीभाषी चेहरा देवेन्द्र सिंह द्वारा चुनाव से हाथ वापस खींच लेने के बाद अब दो धुर विरोधियों ने आपस में हाथ मिला लिया है। इस फैसले का परिणाम क्या होगा? यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा, किन्तु अब हालात यह बन गये हैं कि उत्तरभारतीयों की इज्जत इस फैसले से दांव पर लग गयी है।

बता दें कि कल्याण के आरटीआई कार्यकर्ता विनोद तिवारी और उत्तरभारतीय महापंचायत के अध्यक्ष विनय दूबे के बीच कुछ माह पूर्व काफी विवाद हुआ था। दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ जमकर सोशल मीडिया पर भड़ास निकाली थी। बात यहां तक पहुंच गयी थी कि दोनों ने एक दूसरे को देख लेने की धमकी दी थी। हालात यहां तक पहुंचे थे कि कल्याण के चक्कीनाका पर एक दूसरे को मिलने का चैंलेज दे दिया था। चक्कीनाका पर विनोद तिवारी के पक्ष से काफी लोग जमा हुये थे, लेकिन ऐन मौके पर विनय दूबे नहीं आये। इस बात की चर्चा पूरे कल्याण में थी। सोशल मीडिया पर चले वाकयुद्ध को लेकर उत्तरभारतीयों की काफी किरकिरी हुई थी।

गत दिनों सोशल मीडिया पर विनोद तिवारी ने पोस्ट किया कि दोनों के बीच आपसी समझौता हो गया है और चुनाव में विनय दूबे का सहयोग करेंगे। गौर करने वाली बात यह है कि हिन्दीभाषी वर्चस्व को दिखाने के लिये विनोद तिवारी ने ही देवेन्द्र सिंह को चुनाव मैदान में खड़ा किया था, जिसकी जानकारी खुद विनोद तिवारी ने सोशल मीडिया पर दी। लेकिन नामांकन से पूर्व ही देवेन्द्र सिंह ने विनोद तिवारी से किनारा कर लिया। यहां तक की उनकी जानकारी के बिना ही कुछ लोगों के समझाने पर देवेन्द्र सिंह ने चुनाव से हाथ वापस खींच लिया और शिवसेना प्रत्याशी श्रीकांत शिंदे का समर्थन कर दिया।

इस घटना के बाद विनोद तिवारी के हाथ से तोते उड़ गये और उन्होंने सोशल मीडिया पर आकर देवेन्द्र सिंह को काफी कुछ कहा। इसके चंद दिनों बाद ही खबर आयी कि विनोद तिवारी और विनय दूबे ने सुलह कर लिया है। हालांकि इस मामले में बाबुलनाथ दूबे का कहना है कि दोनों के बीच माफी मंगवाकर सुलह उन्होंने ही कराया है। अब कौन किससे माफी मांगा, यह अधर में है।

गौर करने वाली बात यह है कि देवेन्द्र सिंह को चुनाव में खड़ा करने के बाद विनोद तिवारी ने दावा किया था कि देवेन्द्र सिंह को लाखों के आंकड़े में वोट दिलवायेंगे। इसी आंकड़े से शायद श्रीकांत शिंदे के मन में डर पैदा हुआ होगा कि यदि उत्तरभारतीयों का एक लाख वोट उनसे अलग हो जाता है तो उनका चुनावी गणित बिगड़ सकता है। इसीलिये प्रयास करके देवेन्द्र सिंह को चुनाव से हाथ खींच लेने का सुझाव दिया गया था।

अब मामला इसलिये भी रोचक हो गया है कि जो विनोद तिवारी देवेन्द्र सिंह को लाखों के आंकड़े में वोट दिलवाने का दावा कर रहे थे, वहीं विनोद तिवारी अब विनय दूबे के समर्थन में खड़े हो गये है। गौर करने वाली बात यह भी है कि विवाद के पश्चात कल्याण में कोई विनय दूबे के पक्ष में खड़ा होने के लिये तैयार नहीं था, लेकिन जिससे विवाद था जब वहीं साथ आ गया है तो विनय को उत्तरभारतीयों का समर्थन मिल सकता है।

अब परीक्षा सिर्फ निर्दलीय प्रत्याशी विनय दूबे की ही नहीं बल्कि विनोद तिवारी की भी है। लाखों की वोट दिलाने का दावा कितना सफल होगा, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। वहीं विनय दूबे भी हमेशा दावा करते रहे हैं कि उत्तरभारतीय महापंचायत के सदस्यों की संख्या 33 हजार प्लस है। साथ ही यह भी दावा होता रहा है कि उन्होंने उत्तरभारतीयों के लिये हमेशा संघर्ष किया है। अब दोनों महारथियों का दावा कितना सही है। यह फैसला कल्याण लोकसभा के उत्तरभारतीय करेंगे।

1 COMMENT

  1. कल्याण उत्तरभारतीयों का मनोरंजन स्थल बन गया है। बड़े बड़े कॉमेडियन भर्ती हो गए है।सब कुछ बिक रहा है बस कोई खरीददार मिल जाये।। उत्तर भारतीय समाज की नाक कटवाने का घिनौना काम कल्याण से शुरू हुआ है।
    जनता बड़े बारीकनजरो से सब देख रही है और समाजद्रोह की सजा भी देगी। पलको पर बिठा लेगी नजरो से गिराने के लिए।।

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