Home खास खबर मौत के बाद भी भाजपा के लिये संजीवनी बने कल्याण सिंह

मौत के बाद भी भाजपा के लिये संजीवनी बने कल्याण सिंह

फाइल फोटो कल्याण सिंह साभार— गूगल

श्रीराम मंदिर के प्रणेता यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री की अस्थिकलश यात्रा निकालेगी भाजपा

भदोही। श्रीराममंदिर आंदोलन के नायकों में से एक कल्याण सिंह निश्चय ही राम प्रेमियों को दुखी कर दिया है। लोगों की लालसा थी कि मंदिर आंदोलन से जुड़े नायकों को भव्य राममंदिर में विराजे राम जानकी का दर्शन मिले। किन्तु नियति और काल की अपनी गति है। जो लोगों की कामना से परे है। वैसे तो मंदिर आंदोलन से जुडे अनेक नायकों को काल ने कवलित कर लिया। किन्तु मंदिर निर्माण से पूर्व विहिप प्रमुख अशोक सिंघल और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का जाना ज्यादा अखरकारक रहा। काल तो स्वयं भगवान को भी नहीं छोड़ा तो उनके भक्तों को कैसे छोड़ता। फिर भी कुछ ऐसे होते हैं जिनका जाना अपूर्णनीय क्षति होती है।

कुछ ऐसे भी होते हैं जाकर भी बहुत कुछ दे जाते हैं। संभवत: कल्याण सिंह भी उन अमर नायकों में शामिल हो गये जो जाकर भी अपनी मातृ राजनीतिक संस्था भाजपा के लिये संजीवनी दे गये। जो मिशन 2022 में संभवत: योगी की दुबारा ताजपोशी में सहायक हो जाये तो आश्चर्य नहीं। यह कोई भूला नहीं होगा कि भाजपा के पितृ नेताओं में प्रमुख अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थि कलश यात्रा पूरे देश में पहुंची, जिसका बड़ा राजनीतिक लाभ भाजपा को पूरे देश में मिला।
यदि कल्याण सिंह की भी निकाली जा रही अस्थिकलश यात्रा कुछ ऐसा ही कर जाये तो आश्चर्य नहीं होगा। कहना न होगा कि कल्याण सिंह की अस्थिकलश यात्रा निकालकर उनकी काशी प्रयाग और अयोध्या में गंगा सरयू नदियों विसर्जित की जायेगी।

जाहिर है कि कलश यात्रा में प्रदेश के प्रत्येक भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं की उपस्थिति सुनिश्चित करायी जायेगी। भले ही आयोजन श्री राममंदिर के अमर नायक कल्याण सिंह के अस्थिकलश को लेकर हो किन्तु किन्तु परोक्ष अपरोक्ष से राममंदिर का नाम जुड़ेगा ही। जो भाजपा के लिये किसी संजीवनी से कम नहीं होगा। यह बताने की जरूरत नहीं है कि भाजपा आज जहां है वहां पहुंचने का रास्ता अयोध्या में श्रीराममंदिर से ही होकर ही गया। बहरहाल रामदिर निर्माण आंदोलन के नायकों में से एक कल्याण सिंह की अस्थिकलश यात्रा सियासत से परे है। होनी भी चाहिये। वे रामभक्त ही नहीं बल्कि सच्चे अर्थों में नैतिकवादी राजनीतिज्ञ भी थे। अयोध्या में कारसेवकों द्वारा ढांचा विध्वंस के बाद कल्याण सिंह ने जिस तत्परता से तत्काल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया। वह किसी मिसाल से कम नहीं किन्तु उनकी कांवर यात्रा भाजपा के लिये लाभकारी और संजीवनी दायक बन जाये तो उसमें सियासत खोजना समयाचीन नहीं लगता।

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