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कलम, कला और क्रांति के तत्वावधान में परिचर्चा के साथ हुआ कवि सम्मेलन

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मुंबई। सामाजिक, साहित्यिक संस्था कलम, कला और क्रांति के तत्वावधान में दिनांक 16 अक्टूबर 2019 बुधवार सायं नज़मा हेपतुल्ला ( मौलाना आजाद सभागृह) सांताक्रूज़ (पूर्व) मुंबई में साहित्य पर परिचर्चा के साथ मुंबई, ठाणे से आये साहित्यकारों की उपस्थिति में यादगार कवि सम्मेलन संपन्न हुआ।

उक्त समारोह की अध्यक्षता मुंबई महानगर के वरिष्ठ साहित्यकार हौसिला प्रसाद सिंह अन्वेशी ने की, मुख्य अतिथि के रूप में डाॅक्टर विनोद प्रकाश गुप्ता (शिमला) एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में शिल्पा सोनटक्के (ठाणे), मीना क सिंह (सूरत), किशन तिवारी (भोपाल), त्रिलोचन सिंह अरोरा, सीमा सिंह, शिवप्रकाश जौनपुरी एवं हस्तीमल हस्ती आदि प्रमुख रूप से विद्यमान थे। परिचर्चा एवं कवि सम्मेलन का सूत्र संचालन सुप्रसिद्ध साहित्यकार लोकनाथ तिवारी अनगढ़ ने अनोखे अंदाज में की। संपूर्ण समारोह का संयोजन गज़लकार ज़नाब जाकिर हुसैन रहबर ने की थी।

हिन्दी साहित्य की अस्मिता को लेकर परिचर्चा का विषय रहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में साहित्य की क्या भूमिका थी और वर्तमान में साहित्य की दशा-दिशा क्या चल रही है। इस विषय पर हिन्दी के मर्मज्ञ, पूर्व प्रधानाचार्य हौसिला प्रसाद सिंह अन्वेशी,डाॅक्टर विनोद प्रकाश गुप्ता ने बखूबी प्रकाश डाला तत्पश्चात कवि सम्मेलन का आगाज़ हुआ। कुसुम तिवारी के सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। कवि सम्मेलन में उपस्थित कवियों में राम सिंह,प्रभा शर्मा सागर, अनीता रवि, मीना सिंह, नताशा गिरी, विनय शर्मा “दीप”, महेश गुप्ता जौनपुरी, कुंवारा बी एल शर्मा, अवधेश विश्वकर्मा,श्रीराम शर्मा,अजय शुक्ला बनारसी, अभय चौरसिया, जवाहर लाल निर्झर, आभा दवे,गीतकार रामजी कन्नौजिया, बिंद्रा जैसवाल, कुलदीप सिंह दीप, नीलम त्रिपाठी, शकुन्तला शर्मा, शिव कुमार वर्मा, शिवनारायण कन्नौजिया,रमेश श्रीवास्तव,सतीश कुमार सामयिक,कल्पेश यादव,रवि यादव आदि प्रमुख थे।सभी कवियों, ग़ज़लकारों ने अपने-अपने अंदाज में गीतों, गज़लों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया और अंत में संयोजक जाकिर हुसैन रहबर ने उपस्थित सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया और कार्यक्रम का समापन किया।

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