Home ज्योतिष जानिये! वास्तुशाष्त्र व ज्योतिष आपके जीवन पर डालते हैं कैसा प्रभाव

जानिये! वास्तुशाष्त्र व ज्योतिष आपके जीवन पर डालते हैं कैसा प्रभाव

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डा. कुन्दन ज्योतिषी
डा. कुन्दन ज्योतिषी

वास्तुशाष्त्र एक प्रचीन भारतीय विज्ञान है। जिसके अन्तर्गत किसी भी भूमि पर कुछ सहज सिद्धांतों के आधार पर कुछ ज्योतिषिय सूत्रों एवं मूहूर्त को लेकर भवन निर्माण किया जाता है। वास्तुशाष्त्र के अनुसार निर्माण करने से गृहस्वामी एवं उसके परिवार में सदैव सुख एवं समृद्धि व्याप्त रहती है। वास्तुशाष्त्र के अनुसार बनाया गया घर स्वास्थ्यवर्धक लाभदायक व वंशबृद्धि में सहायक होता है। साथ ही पद प्रतिष्ठा व राजयोग का कारण बनाता है। मनुष्य के जीवन में 50 प्रतिशत वास्तु का व 50 प्रतिशत ग्रहों का प्रभाव पड़ता है। यदि भवन निर्माण वास्तुशाष्त्र संमत है तो गोचर एवं दशाक्रम में ग्रहों की प्रतिकूलता में भी व्याक्ति अपनी मर्यादा बचाने में सफल रहता है अन्यथा उसे बिगड़ते देर नहीं लगती।

सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का निर्माण पंचमहाभूतों के द्वारा हुआ है। जो क्रमश: जल अग्नि, पृथ्वी, वायु व आकाश है। हमारा शरीर भी इन्हीं के द्वारा निर्मित है। निवास स्थान में इन्हीं पंचतत्वों का सदा संतुलन ही वास्तुशाष्त्र का मूल सिद्धांत है। वास्तुशाष्त्र के सही उपयोग के द्वारा मनुष्य चारों पुरूषार्थों — धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को प्राप्त कर अपने जीवन को सफल बना सकता है। वास्तुशाष्त्र में प्रमुख रूप से दस दिशाओं की मान्यता है। तथा प्रत्येक दिशा के अपने अपने अधिपति देवता है। जो अपने अपने स्वभाव के अनुसार फल देते हैं। दस दिशाओं व उनके अधिपति देवताओं के नाम क्रमश: उत्तर—कुबेर, दक्षिण— यम, पूर्व—इन्द्र, पश्चिम—वरूण, ईशान कोण—शिव, आग्नेय कोण— अग्नि, नैऋत्य कोण— नैऋति, वायव्य कोण— वायु, आकाश—अनन्त, पाताल— वास्तुदेव।

प्रत्येक व्यक्ति की जन्मकुण्डली में चतुर्थ भाव व चतुर्थेश के बलाबल से उस व्यक्ति के भूमि, भवन, वाहन, मन:स्थिति व सुख की जानकारी मिलती है। चतुर्थेश के गोचर व अनुकूल दशा से व्यक्ति को निजी भूमि, भवन, वाहन, मन:स्थिति व सुख की जानकारी मिलती है। चतुर्थेश के गोचर व अनुकूल दशा से व्यक्ति को निजी भूमि, भवन व वाहन की प्रप्ति होती है। मकान के चारों ओर स्थित प्राकृतिक या कृत्रिम वस्तुये भी मकान के अंदर रहने वाले लोगों पर अलग अलग प्रभाव डालती है। जमीन की आकृति प्रकृति व जमीन के अंदर स्थित वस्तुओं का भी मकान में निवास करने वालों पर अलग अलग प्रभाव डालती है।

वास्तु के साथ ही ज्योतिष का भी सही प्रयोग किया जाय तो जमीन के अंदर शल्य, धन, खनिज व जल की सही जानकारी मिल जाती है। अत: जमीन खरीदने से पहले जमीन की जांच कराने से जमीन ख्खरीदने वाले को उस जमीन से होने वाले हानि लाभ का चता चल जाता है। वास्तुसंमत विधि से मकान का निर्माण कराने से व्यक्ति को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है व रोग ऋण शत्रु दूर ही रहते हैं। दैनिक जीवन में वास्तु व फेंगसूई से संबंधित नियमों को यदि पालन किया जाय तो वास्तु संबंधित दोषों के प्रभावों को कम किया जा सकता है। बने बनाये मकान में तोड़ फोड़ भी कराना वास्तुभंग दोष पैदा करके परेशानियों का कारण बनता है। अत: ऐसी स्थिति में कुछ वास्तु संबंधी नियमों का पालन किया जाय तो निर्माण संबंधी दोषों के दुष्प्रभावों को भी दूर किया जा सकता है।

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डा. कुंदन ज्योतिषी
मो. 9956304384