मुंबई। दि.१४ अप्रैल डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के अनुयाई प्रसिद्ध कवि एवं लेखक श्री प्रतीक कांबळेजी द्वारा लॉकडाउन के दौरान भव्य खुली चित्रकला स्पर्धा का आयोजन किया गया था। उनके द्वारा आयोजित इस ऑनलाइन उपक्रम में उम्र का कोई बंधन नहीं था। सभी उम्र के छात्र-छात्राओं ने इसमें उत्साह से भाग लिया। स्पर्धा का समय दि.१४ अप्रैल को सुबह ७ बजे से रात १० बजे तक रखा गया था। इस स्पर्धा की यह खासियत रही कि इसमें किसी से भी किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया गया। यह अत्यंत प्रशंसनीय कार्य है। चित्रकला में महापुरुषों के चित्र बनाने का विषय रखा गया था।
कामराजनगर बृ.मनपा हिंदी शाला, घाटकोपर की मेहनती व उपक्रम शील प्रशिक्षित शिक्षिका श्रीमती मंजू बी.सराठे ने अपने छह विद्यार्थियों को इस स्पर्धा में सहभागी कर उन्हें अमूल्य मार्गदर्शन किया। जिसमें अर्जुन रवि कुमार बिंद, मो. साबिर शेख, मुन्ना चंद्रबहादुर गौड़, शिवम रामप्रवेश गौड़, सोनम चंद्रबहादुर गौड़ तथा कोमल सभाजीत शर्मा इत्यादि छात्रों ने उत्साह से भाग लिया। छात्रों द्वारा तैयार किए गए चित्र श्रीमती सराठे द्वारा व्हाट्सएप के माध्यम से ऑनलाइन भेजें गए। दिनांक १९ अप्रैल को इस स्पर्धा का परिणाम घोषित हुआ जिसमें अथर्व श्री कृष्ण नाटेकर- प्रथम क्रमांक, आकांक्षा प्रकाश माहूरे -द्वितीय क्रमांक , कोमल सभाजीत शर्मा , दिनेश कुमार जाधव इन दोनों छात्रों नें तृतीय क्रमांक प्राप्त किया। समृद्धि काशिद व निखिल नाईक इन परीक्षकों द्वारा अति सूक्ष्म परीक्षण किया गया था। जिसका सभी ने नम्रता से स्वीकार किया।
इस उपलब्धि पर कामराजनगर हिंदी शाला परिवार व शिक्षण विभाग के समस्त पदाधिकारियों ने सभी विजेताओं , सहभागी छात्र-छात्राओं तथा मार्गदर्शक शिक्षिका श्रीमती मंजू सराठे का अभिनंदन किया है। तृतीय क्रमांक प्राप्त होने पर कोमल शर्मा को अनंत बधाई देते हुए भविष्य के लिए शुभकामनाएंँ दी। इससे पूर्व भी लाॅकडाउन के दौरान श्रीमती मंजू सराठे द्वारा अपने वर्ग के छात्र छात्राओं को रेलवे एम इंडिकेटर की चित्रकला स्पर्धा में सहभागी किया गया था । श्रीमती सराठे ने कहा कि किसी भी स्पर्धा में क्रमांक प्राप्त करना तो बहुत ही अच्छी बात है परंतु स्पर्धा में भाग लेना सबसे महत्वपूर्ण है। लॉक डॉन के दौरान सभी ने अपने मानसिक स्थिति पर संतुलन बनाए रखा और अपने कार्य को निरंतर चालू रखा यही सराहनीय कार्य है।
जिनका क्रमांक नहीं आया है वे जरा भी निराश ना हो, निरंतर प्रयास जारी रखें, सफलता आज नहीं तो कल अवश्य मिलेगी। सकारात्मक सोच हमेशा सफलता प्रदान करती है। इतना कहकर श्रीमती सराठे ने आयोजक, परीक्षकों एवं पालकों का हृदय से आभार माना क्योंकि बिना पालकों के सहकार्य के इस कार्य को सफलतापूर्वक कर पाना बड़ा ही मुश्किल था। ऐसे छात्रों एवं पलकों पर श्रीमती सराठे ने गर्व महसूस किया और भविष्य में भी इसी तरह का सहयोग करने की अपेक्षा व्यक्त की।