भदोही। सुरियावां क्षेत्र के गांव कुसौड़ा में ग्राम समाज की जमीन को आबादी दर्ज कराने के नाम पर 50 हजार रिश्वत लेने के आरोप में जेल पहुंचे लेखपाल चन्द्रभान सिंह की जमानत अर्जी को विशेष न्यायाधीश रामचन्द्र ने रद्द कर दिया। आरोपी के खिलाफ वाराणसी में भ्रष्टाचार निवारण अदालत में मामला चल रहा है। जमानत के लिये आरोपी की तरफ से उसके अधिवक्ता ने कई तरह के तर्क और उच्च न्यायालय की नजीरें दी थी। किन्तु अदालत ने उसे नजर अंदाज करते हुये वादी अवधेश यादव के उस शपथ पत्र को अहमियत दिया जिसमें उसने दावा किया था कि लेखपाल पर लगे आरोप सच है। लगे आरोपों को अदालत ने गंभीर माना और जमानत याचिका रद्द कर दी। इसे लेकर एक बार फिर यह चर्चा जोर पकड़ ली है कि कथित भू—माफियाओं की राजस्व महकमें को नीचा दिखाने की चाल एक बार फिर कामयाब हुई है।
चर्चाओं में मामले को राजस्व महकमें पर बेजा दबाव बनाने का प्रयास माना जा रहा है। मामले को शुरू से जानने वाले लोगों का कहना है कि इसके पीछे भू—माफियाओं का हाथ है जो कुसौड़ा समेत आसपास की ग्रामसमाज जमीनों पर नजर जमाये हुये है। जिस मामले में लेखपाल चन्द्रभान को जेल भेजा गया। वह जमीन भी राजस्व दस्तावेज में पुरानी पर्ती के नाम से दर्ज है। इसी जमीन पर वादी अवधेश बलात पक्का निर्माण कर रहा था। जिसे रोकने के बावजूद न मानने पर लेखपाल चन्द्रभान सिंह ने उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराया था।
बताते हैं कि इसी से खुन्नस खाये वादी और अन्य भू—माफियाओं ने मिलकर लेखपाल को रिश्वत मामले में फंसाने का कथित खड्यंत्र रचा और जेल पहुंचाकर ही दम लिया। राजस्व विभाग और संबंधित वादी की दुश्मनी नयी नहीं है। बताते हैं कि उक्त ग्राम समाज की जमीन 90 के दशक में स्थानीय दलित दिव्यांग समर बहादुर के नाम आवंटित हुई थी। उसके खिलाफ अवधेश यादव ने न्यायालय में वाद दाखिल किया था। जिसके आधार पर वर्ष 1999 में न्यायालय ने आवंटन निरस्त कर उसे पुन: पुरानी पर्ती घोषित कर दिया था। आवंटन रद्द करने के खिलाफ आवंटी द्वारा कमिश्नरी में वाद दाखिल किया जो अभी भी लंबित है।
इस बीच अवधेश उसी जमीन पर पक्का निर्माण शुरू कर दिया जिसकी जानकारी होने पर लेखपाल ने उसे दो बार चेतावनी दी। किन्तु बलात निमा्रण जारी रखने की स्थिति में 27 दिसंबर 2018 को सुरियावां थाने में एफआइआर दर्ज कराया। इसी के बाद से ही लेखपाल को सबक सिखाने की रणनीति बनने लगी और अंतत: रिश्वत के आरोप में उसे जेल पहुंचा दिया गया। अब वह बाहर न आ सके इसके लिये भू—माुियाओं की टीम पेरवी में एड़ी चोटी का जोर लगाये हुये है। उसकी जमानत निरस्त करने के पीछे भू—माफियाओं की ही जोरदार पैरवी मानी जा रही हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार गत 29 जनवरी को हुई जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान वादी समेत उसके साथ करीब आधा दर्जन वे चेहरे देर शाम तक न्यायालय परिसर में डेरा डाले रहे जिन्हें भूमि संबंधित मामलों में सदैव सक्रिय रहने की बातें कही जाती हैं।