Home भदोही जमीनी हकीकत (९) – ‘सांसदजी’ यहां ‘रामलीला मंच’ को किसने ठगा.?

जमीनी हकीकत (९) – ‘सांसदजी’ यहां ‘रामलीला मंच’ को किसने ठगा.?

हमार पूर्वांचल
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काशी-प्रयाग मध्य – धार्मिक ध्वजवाहकों की नगरी में भदोही सांसद विरेन्द्र सिंह द्वारा भले ही सांसद नीधि से धार्मिकता दिखाई गईं लेकिन कहीं ना कहीं उनका ‘जमीनी जनसंवाद नेटवर्क’ फेल होने के कारण ‘विकास कार्यों’ में ‘अनियमितता’ एवम् ‘भ्रष्टाचार’ की चर्चा जोरों पर है। खैर..संसदीय क्षेत्र के ज्ञानपुर अंतर्गत पिलखुना सहित कई गांवों के धार्मिक लोगों के जहंन में सिर्फ एक ही सवाल है कि आखिरकार ‘रामलीला मंच’ को किसने ठगा।

गौरतलब है कि तहसील ज्ञानपुर के अंतर्गत पिलखुना गांव में करीबन ४८ वर्षो से निरंतर रामलीला मंचन की प्रस्तुति होती है, जिसमें हरिहर पुर, पिलखुना, पुरे मटुका, पुरे नगरी सहित चकरसानाथ के श्रीराम भक्तों की प्रत्यक्ष भूमिका होती है। इसी के साथ आस-पास के दर्जनों गांव से यहां सुप्रसिद्ध रामलीला मंचन प्रस्तुति देखने वालों की संख्या हजारों में है। जिला स्तरीय धार्मिक, सामाजिक, शासनिक-प्रशासनिक एवम् राजनैतिक हस्तियों की उपस्थिति इस धार्मिक मंच पर सदैव होती रही है। इसी श्रेणी में २०१६ में भदोही सांसद वीरेंद्र सिंह (मस्त) भी इस धार्मिक मंच को गौरवान्वित करते हुए उपस्थिति हुये थे। इस दौरान उन्होंने सामुदायिक भवन के माध्यम से अपनी सांसद नीधि से इस सार्वजनिक स्थल को सुसज्जित करने का संकल्प लिया था, जिसका बड़ी मुश्किल से कार्य भी शुरू हुआ लेकिन विकास कार्य में ठेकेदारों द्वारा यहां ऐसी लीपापोती की गई कि जिसे देखने और सुनने के बाद क्षेत्रिय जनता के अंतर्मन तीव्र जनाक्रोष है।

१ लाख खर्च, रंगाई-पोताई बाकी.!

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‘श्रीरामलीला समिति पिलखुना-पुरेमटूका’ के प्रबंधक राकेश त्रिपाठी के मुताबिक ‘सांसदजी’ द्वारा २०१६ में मंच से यह सार्वजनिक स्थल जिर्णोद्धार कार्य करवाने की घोषणा हुई थी, जिसका कार्य २०१७ में प्रारंभ हुआ और अभी तक कार्य पूर्ण नहीं हुआ, जिससे २०१८ में रामलीला मंचन से पूर्व विकट परिस्थिति में इस स्थान का सदुपयोग करने हेतु करीबन १ लाख खर्च करना पड़ा..।
इसी तरह कमेटी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष विनोद मिश्रा बताते हैं कि अधूरे कार्य को देखते हुए जब कई बार संपर्क करने पर ठेकेदारों एवम् भाजपाई पदाधिकारियों का कोई प्रतिसाद नहीं मिला तो २०१८ में रामलीला से पूर्व करीबन १ लाख खर्च किया गया, जिसे कमेटी पदाधिकारियों ने मैनेज किया और उसकी भरपाई में रामलीला मंचन के धार्मिक किरदारों ने भी अपनी प्रोत्साहन धनराशि को समर्पित कर दिया। फिलहाल अभी भी प्लास्टर, दरवाजा के साथ रंगाई-पोताई बाकी है।
स्थानीय आरएसएस सदस्य एवम् धार्मिक किरदार की भूमिका रामलीला मंचन में अदा करने वाले भरत मिश्र बताते हैं कि कई बार मुख्य ठेका निरीक्षक नागेंद्र सिंह से बात की गई तो वे खुद को ‘सांसदजी’ का करीबी बताकर ‘उल्टा चोर, कोतवाल डाटे’ वाली कहानी चरितार्थ करते हुए सिर्फ हिला-हवाली जवाब देते हुए साल बिता दिये और इनका कार्य देख रहे अंजनी शुक्ला ठेकेदार ने दावा किया कि ‘बनवा लीजिए, हम पेमेंट दे देंगे’। खैर अब तक करीबन १ लाख खर्च हुआ कमेटी ना पेमेंट दिये और नाहीं बचा हुआ प्लास्टर कार्य करवाकर दरवाजा लगवा रहे हैं।

सांसदजी का चहेता है ठेकेदार..

एक स्थानीय जिला स्तरीय नेता का दावा है कि इस ‘कार्ययोजना’ को पूर्ण करने का ठेका ‘सांसदजी’ ने अपने करीबी ‘सजातीय ठेकेदार’ को दिया था ताकि उक्त कार्य समयानुसार जिम्मेदारी पूर्वक पूर्ण हो सके। उनके चहेते ठेकेदार की मनमानी से यहां धार्मिक समाज के साथ विश्वासघात हो रहा है तो शायद ‘सांसदजी’ का जमीनी नेटवर्क फेल हो गया हो क्योंकि पिछले वर्ष रामलीला मंच पर भी नहीं आये थे। यदि ‘सांसदजी’ एवम् उनके करीबी पदाधिकारी अपने ‘चहेतों’ को विकास कार्य देकर उसे पूर्ण नहीं करवा पा रहे हैं तो इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है।

..जांच की मांग करेंगे कांग्रेसी…।

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इस संदर्भ में स्थानीय निवासी एवम् जिला स्तरीय कांग्रेस उपाध्यक्ष राजेश दूबे से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे कई विकास कार्यों में ‘अनियमितता’ एवम् ‘भ्रष्टाचार’ की जानकारी मिलती रहती थी लेकिन ‘सार्वजनिक धार्मिक-सांस्कृतिक केंद्र’ के साथ यह अधर्मी कार्य ठेकेदारों द्वारा जो किया गया है उस पर विशेष ध्यान ‘सांसदजी’ को देना चाहिए। यदि सांसद वीरेंद्र सिंह (मस्त) द्वारा ध्यान नहीं दिया गया तो बतौर कांग्रेसी जिला उपाध्यक्ष इस मामले को बड़े से बड़े मंच पर उठाऊंगा और सभी विकास कार्यों की जांच करवाने में भी कांग्रेसी पीछे नहीं हटेंगें।

शीघ्र ही उक्त कार्य पूर्ण होगा…।

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इस मामले में सांसद विरेन्द्र सिंह से जब स्तंभकार द्वारा संपर्क किया गया तो उनका कहना है कि अभी १ साल ही हुआ है और ठेकेदार कहीं भाग नहीं जायेगा। इस कार्य को शीघ्र ही पूर्ण करवा दिया जायेगा।
खैर..अब सवाल यह उठ रहा है कि चुनावी टिकट की उठापटक में व्यस्त सांसद विरेन्द्र सिंह (मस्त) सिर्फ ३ महीनों में सार्वजनिक मंदिरों पर ‘सार्वजनिक सोलर लाइट’ अकोढ़ा-रोही सहित इन गांवों में लगवायेगें या अधूरे विकास कार्यों को पूर्ण करवाने का दावा पूर्ण करेंगे या फिर अन्य योजनाओं की चुनावी फूलझड़ी घोषणा करके इतिश्री कर लेंगे..यह तो आने वाले समय में ही स्पष्ट हो पायेगा।

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