मायानगरी मुम्बई में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन देश के के बहुत से कलाकारों ने करके अपनी विशिष्ट पहचान बनायी है वहीं भदोही भी इसमें पीछे नहीं है। फिल्म में अपनी कलाकारी का जलवा दिखाने देश के कोने कोने से बहुत से लोग पहुंचते हैं, लेकिन यह मायानगरी है, जिसको सही मुकाम नहीं मिला वह भीड़ का हिस्सा बनकर रहा जाता है। लेकिन भदोही के दयाशंकर पाण्डेय ने अपनी कलाकारी की बदौलत मायानगरी में अपना अलग मुकाम बनाया हैं।
उत्तर प्रदेश के भदोही जिले से जगापुर गांव के दयाशंकर पाण्डेय ने अपनी मेहनत की बदौलत एक मुकाम बनाया। वर्ष 1993 में अपने फिल्मी सफर का रास्ता तय करते हुये पहली फिल्म ‘पहला नशा’ से दस्तक दी। शुरू किया। इसके बाद वह 1995 में बाज़ी, 1996 में दस्तक, 1998 में ग़ुलाम, 2001 में लगान आदि फिल्मों में अपनी कला का जलवा बिखेरा। दयाशंकर पाण्डेय को सबसे ज्यादा हिन्दी धारावाहिक तारक मेहता का उल्टा चश्मा – पुलिस निरीक्षक चालू पांडे के नाम से ख्याति मिली, जिसमें उनका तकीया कलाम झूठ बोलोगे तो पड़ेंगे डंडे बहुत ही चर्चित है। पाण्डेय जी महिमा शनिदेव की में मुख्य किरदार शनिदेव, वीरा मे सुरजीत सिंह, देवों के देव… महादेव में लकुलिश, बड़ी देवरानी में विभोर के ताउजी जैसे अभिनय करके लोगों के दिलों मे बस गये है। अजय देवगन की फिल्म गंगाजल में इंस्पेक्टर मंगनीराम का किरदार काफी चर्चित हुआ था।