मुंबई। आज के साहित्य पर साहित्यकार गंभीर रूप से चिंतित हैं कि भविष्य में साहित्य के साहित्यकारों का क्या होगा, किस दिशा में लेखनी चलेगी, साहित्य का वैश्विक रूप क्या था, क्या है, क्या होना चाहिए और पत्रकारिता से साहित्य का क्या संबंध है और क्या होना चाहिए। इस ज्वलन्त विषय पर परिचर्चा हेतु “नव साहित्य कुंभ” के संस्थापक रामस्वरूप प्रीतम भिनगई (श्रावस्ती), अध्यक्ष अनिल कुमार राही (मुंबई), संयोजक संजय द्विवेदी(कल्याण- महाराष्ट्र), सचिव धीरेन्द्र वर्मा धीर(लखीमपुर खीरी),संरक्षक दिवाकर चंद्र त्रिपाठी (छत्तीसगढ़) एवं मीडिया प्रभारी विनय शर्मा “दीप”(ठाणे-महाराष्ट्र) के आयोजन में व्याख्यान रखा गया।
संचालन करते हुए अनिल कुमार राही ने आमंत्रित साहित्यकार को बुलाते हुए कहा-
“जिंदा ही दफ्ऩ मैं तो हो जाऊंगा दोस्तों।
छीना है कलम जो कभी हाँथ से मेरे ।।”
राही ने मुंबई के सुप्रसिद्ध, वरिष्ठ साहित्यकार, लेखक, विविध पत्र, पत्रिकाओं, समाचार पत्रों में संपादन, लेखन कर चुके आद• मधुराज मधु (बक्सर-बिहार) का आह्वान विविध प्रश्नों के साथ किया जिनके द्वारा दिनांक 27 अक्तूबर 2020 मंगलवार को “साहित्य और पत्रकारिता” के संबंधो के मध्य विविध ज्वलंत प्रश्नों पर मधुराज मधु ने सरल रूप में उत्तर देकर समाधान किया और मधु जी ने स्वरचित कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध भी किया। वहीं दुसरी परिचर्चा दिनांक 30 अक्तूबर 2020 शुक्रवार संजय द्विवेदी के संचालन में साहित्यकार,.कवि, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित पवन तिवारी (अम्बेडकर नगर उप्र) द्वारा “हिन्दी का वैश्विक रूप” विषय पर गहन व्याख्यान हुआ।
पटल पर उपस्थित सभी साहित्यकारों के साथ साहित्य प्रेमियों ने उक्त व्याख्यान के साथ कविताओं का भी लुप्त उठाया। तत्पश्चात नव साहित्य कुंभ के फेसबुक पटल पर सभी साहित्यकारों को उपस्थित होने हेतु धन्यवाद ज्ञापित कर संस्था द्वारा सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।