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“आओ थोड़ा मुस्करायें” काव्य संग्रह का विमोचन

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विनय शर्मा “दीप” की रिपोर्ट

ठाणे । भारतीय जन भाषा प्रचार समिति ठाणे,संगीत साहित्य मंच एवं ग्लोबल ह्यूमन रिसर्च अंड वैलफेयर सोसाइटी ठाणे के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक ०१ सितम्बर २०१८ शनिवार को सायं मंगला हाई स्कूल के पूर्व प्रधानाचार्य,वरिष्ठ साहित्यकार श्री टी आर खुराना जी कृत काव्य संकलन “आओ थोड़ा मुस्करायें” का विमोचन समारोह मंगला हाई स्कूल के सभागृह में वरिष्ठ साहित्यकारों के कर-कमलों द्वारा संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व प्राचार्य व वरिष्ठ गीतकार श्री भुवनेन्द्र सिंह विष्ट जी ने की।

मुख्य अतिथि के रूप में जनवादी लेखक,गजलकार,गीतकार श्री हरजिन्दर सिंह सेठी, कवियत्री श्रीमती शिल्पा सोनटक्के, पूर्व प्राचार्य श्री पी एन मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार एवं हरित क्रांति पत्रिका के संपादक श्री नामदार राही जी,श्री शैलेश सिंह,डा•इंद्र बहादुर सिंह उपस्थित थे। मंच संचालन का कार्यभार जनभाषा प्रचार समिति ठाणे के अध्यक्ष श्री आर पी सिंह रघुवंशी एवं सह-संचालन भारतीय जनभाषा प्रचार समिति ठाणे के सचिव,गजलकार श्री एन बी सिंह नादान जी ने बखूबी संभाला।

काव्य-संग्रह लोकार्पण समारोह का प्रारंभ माॅ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व सरस्वती वंदना के साथ शुभारंभ किया गया, तत्पश्चात श्री टी आर खुराना कृत काव्य-संग्रह “आओ थोड़ा मुस्करायें”का लोकार्पण तालियों की गड़गड़ाहट के साथ संपन्न हुआ। काव्य-संग्रह के ऊपर प्रकाश डालते हुए प्रथम वक्ता श्री हरजिन्दर सिंह सेठी ने कहा-
खुराना जी अंग्रेजी के वक्ता,शिक्षक होते हुए भी हिन्दी भाषा में साहित्य की सेवा की जो अभूतपूर्व एवं सराहनीय कार्य रहा ।उनकी चंद मुक्तक की पंक्तियाँ उन्होंने पढ़ी-

कुछ काम ऐसा कर जहाँ में याद के लिए,
कुछ बात सच की भी करो फरियाद के लिए।
संघर्ष पथ पर चलने वाले ओ मेरे हमदम,
कुछ सफ़र भी जिंदा हो जिंदाबाद के लिए ।।

दुसरी कड़ी में श्री एन बी सिंह नादान जी ने कहा “एक साधारण मनुष्य में छुपा असाधारण व्यक्तित्व” ऐसे साहित्यकार को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनायें। उनकी कविता की चंद पंक्तियाँ-
‘झंडा फहरे पुरुषार्थ का,
सत्य-अहिंसा-परमार्थ का।
गूंजे नारा क़ौमी- एकता,
फूटे अंकुर निःस्वार्थ का।
त-मन ऊर्जावान बनायें,
आओ पंद्रह अगस्त मनायें ।।

तीसरे वक्ता के रूप में पूर्व प्रधानाचार्य एवं गीतकार श्री भुवनेन्द्र सिंह विष्ट जी ने खुराना जी के जीवन यात्रा पर,शैक्षणिक जीवन से लेकर साहित्य सफर तक को खूब सराहा।उन्होंने कहा भाई तिलकराज खुराना का परिचय सन् १९५८ में मुलुंड के दयानंद वैदिक विद्यालय से हुआ और मुलुंड की काव्य नगरी तब स्वर्गीय श्री वंशीधर पंडा, स्व•डा रविनाथ सिंह, स्व•उत्पल, स्व•सच्चिदानन्द समीर, वैचारिक स्व•आर आर उपाध्याय,भाषा के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर स्व•एम पी सिंह,जनवादी धारा की जोत जलाने वाले श्री हरजिन्दर सिंह सेठी की वाणी से गूंजती थी। मुलुंड से लेकर मंगला हाई स्कूल तक का साथ और साहित्य सेवा तक का सफर खुराना जी के साथ व्यतीत हुआ। क्रमशः इसी प्रकार खुराना जी कृत काव्य-संग्रह से कई कवियों ने उनकी रचनाओं का पाठ किया-

श्रीमती पूनम खत्री-
तलाशने की कोशिश की है मैने
मरूस्थल में फूलों की
ज़िद की है मैने
आसमां में आशियां बनाने की
हिम्मत की है मैने
सूरज की तपिश समेटने की ।।

श्री आर पी सिंह रघुवंशी-
दूर है मंजिल मगर न घबराइए,
उठाइए कदम बढ़ते ही जाइए।
हो बुलंद हौसले तो क्या नहीं मुमकिन,
आस्था-विश्वास को न डगमगाइए।।

श्री राम स्वरूप साहू-
करके भलाई दिल किसी का जीत लीजिए,
ना दोस्ती में कोई गिला मीत लीजिए।
गर बांटना है बांटिए दुःख-दर्द किसी का,
जीने की अदा ये भी कला सीख लीजिए ।।

श्री कल्पेश यादव ने बेटी पर सुन्दर गीत सुनाया और कहा-

आप खुश हैं बहुत इसका भी मतलब होता है,
मिले खुशी जो औरों को तो सार्थक होता है।
जिंदगी जीने की कठिन इस आपा-धापी में,
खुशियाँ किसकी भी छीनता तो घातक होता है ।।

खुराना जी की बेटी श्रीमती रश्मि शर्मा ने पापा की लेखनी को खूब सराहा-
कुछ ऐसे फूल हैं जो खिलते हैं धूप में,
कुछ ऐसे पौधे हैं जो उगते हैं धूल में।
राहों में जिंदगी की कदमों के निशां रचकर,
कुछ ऐसे शख्स हैं जो पलते हैं ऊसूल में ।।

श्रीमती शिल्पा सोनटक्के (मराठी,गुजराती,हिन्दी कवियत्री)-
कितना लम्बा है सफ़र-राह बनाते रहिए,
मन मिले या न फिर भी मिलते-मिलाते रहिए।
जिंदगी है बड़ी कुदरत की नियामत समझें,
इसलिए दिल से जलन-राग भुलाते रहिए ।।

काव्य-संग्रह के कवि श्री टी आर खुराना जी-

चलो-चलें बियाबानों की ओर
घोर-जंगलों की ओर
नदियों-झरनों-पहाड़ों की ओर
कुदरती-करिश्माओं की ओर
मिल-जुल कर
थोड़ा थोड़ा खिलखिलायें
निरख-निरख प्रकृति-छवि
तन-मन हर्षायें
आओ थोड़ा मुस्कुरायें ।।

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भारतीय जन भाषा प्रचार समिति ठाणे, संगीत साहित्य मंच ठाणे, अग्निशिखा मंच नवी मुंबई का बहुमूल्य योगदान रहा। साहित्य जगत से गजलकारों,गीतकारों एवं कवियों की उपस्थिति सराहनीय रही जिनमें श्री त्रिलोचन सिंह अरोरा , श्री कुलदीप सिंह दीप, श्री नंदलाल क्षितिज, श्री नंदलाल थापर, श्री विनय शर्मा दीप, श्री संजय द्विवेदी(अखिल भारतीय साहित्य परिषद महाराष्ट्र मंत्री), श्री पवन तिवारी (महाराष्ट्र साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित), श्री उमेश शुक्ल “विदेह”, श्री प्रितम त्यागी, श्री उमेश मिश्रा, डाक्टर वफा सुल्तानपुरी, श्री श्रीराम शर्मा, श्री उमाकांत वर्मा, श्री ओमप्रकाश सिंह, श्री अश्विनी कुमार यादव, श्री लाल बहादुर यादव ‘कमल’, श्री कैलाश पाठक, श्री अनिल कुमार राही, श्री शिव शंकर मिश्र, श्री राजीव मिश्रा’अभिराज’, श्री अंजनी कुमार द्विवेदी, श्री एस एस दुबे, श्री धर्मेन्द्र शुक्ला, अग्निशिखा मंच की अध्यक्षा एवं कवियत्री श्रीमती अलका पांडे जी, श्रीमती मालती सिंह, श्रीमती अनिता रवि, श्रीमती आभा दवे, श्रीमती सुधा बहुखंडी, एडवोकेट रेखा किंगर रोशनी, श्रीमती मंजू बी सराठे, श्रीमती पूनम खत्री एवं पूर्व प्राचार्या व कवियत्री श्रीमती सुनिती काशिकर ने अपना अमूल्य समय देकर साहित्य को गौरवान्वित किया।

कार्यक्रम में उपस्थित सम्मानित अतिथियों में श्री एस एस पई,श्री ओमप्रकाश शर्मा,श्री भवनेश शारदा एवं पत्रकार श्री आर बी सिंह “खूंटातोड़ “(हमार पूर्वांचल),श्री मुन्ना यादव मयंक (जनहित इंडिया पत्रिका मुंबई प्रतिनिधि ),श्रीमती मंजू बी सराठे (कदम-कदम पर साप्ताहिक) का योगदान सराहनीय रहा ।

आओ थोड़ा मुस्करायें काव्य-संग्रह के लोकार्पण का संयोजन एवं रूपरेखा तैयार कर सफल बनाने का श्रेय मंगला हाई स्कूल ठाणे के सम्मानित शिक्षक डाक्टर बलवंत सिंह जी का रहा।समारोह में उपस्थित सम्मानित अतिथियों एवं साहित्यकारों,पत्रकारों का सम्मान पुष्पगुच्छ एवं शाल देकर किया गया ।

अंत में श्री खुराना जी के ज्येष्ठ पुत्र श्री राजीव खुराना ने लोकार्पण समारोह में उपस्थित सभी सम्मानित अतिथियों,कवियों एव पत्रकारों को धन्यवाद देकर आभार प्रकट कर सहित्य समागम को विराम दिया ।

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