मुंबई – महाराष्ट्र विधानसभा में गुरुवार को मिलावट रोकथाम संबंधित बिल ध्वनिमत से पारित हो गया है, वहीं अमलीजामा पहनाने हेतु जल्द ही विधान परिषद में यह बिल रखा जाएगा।
गौरतलब है कि एक सवाल पर राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गिरीश बापट ने विधान परिषद में इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सदन में पेश खाद्य मिलावट रोकथाम (महाराष्ट्र संशोधन)विधेयक के जरिए (भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 272 से 276 और अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की पहली अनुसूची में संशोधन किया जाएगा। जहां एक ओर इस गुनाह की सजा सिर्फ छह महीने की कैद और एक हजार रुपए का जुर्माना या दोनों है, वहीं कानून में संशोधन के बाद मामले की गंभीरता के अनुसार आजीवन कारावास तक का दंड दिया जा सकेगा। खाद्य पदार्थो के साथ ही दवाइयों में मिलावट को भी गैर–जमानती और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। विधेयक में कहा गया है कि खाद्य पदार्थो और दवाइयों में मिलावट से जनमानस के स्वास्थ को लेकर गंभीर खतरा है।
बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र से पहले उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल सहित कुल राज्यों में यह कानून पारित हैं। दूध, खोया, दवाई इत्यादि में आम दिनों में भी मिलावट होती रहती है। ऐसे अपराधों में अक्सर पकड़े जाने वाले आसानी जमानत पर छूट जाते हैं।
अब देखना यह है कि मिलावट रोकथाम सिर्फ कानून बनकर रह जाता है या इसको अमलीजामा पहनाकर सकारात्मक ठोस कदम उठाया जाता है।