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चाय से शुरू होकर चाय से खत्म हुई रंजना की ससुराल की जिन्दगी

रंजना का ससुराल, बढौना

भदोही। औराई थाना के बढौना निवासी दीनानाथ तिवारी की पुत्रबधू रंजना देवी ने बुधवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली जबकि रंजना के पिता का आरोप है कि ससुराल वालों ने रंजना को मारकर फिर फांसी से लटका दिया।

जानकारी के मुताबिक बढौना निवासी दीनानाथ तिवारी के पुत्र धर्मेन्द्र तिवारी की शादी नौ वर्ष पहले चकापुर महराजगंज निवासी दुर्गा शंकर चौबे के बेटी रंजना के साथ हुआ था। रंजना को एक बेटी भी है। ससुराल वाले आत्महत्या जबकि मायके वाले हत्या की बात कर रहे है। पुलिस ने रंजना के पिता के तहरीर पर औराई थाने में सास प्रभावती देवी, जेठानी प्रतिमा देवी, पति धर्मेंद्र तिवारी के खिलाफ दहेज व हत्या का मुकदमा कायम कर गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही है। जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आत्महत्या की पुष्टि हुई। पुलिस ने इस मामले में रंजना के पिता का बयान भी दर्ज कर लिया है।लेकिन इस मामले में कुछ बातें जो निकलकर आ रही है वह गौर करने योग्य है।

1- फांसी लगाने के बाद भी कैसे जीवित रही रंजना?

रंजना के ससुर दीनानाथ तिवारी ने बताया कि करीब साढे पांच बजे रंजना ने उनको चाय दिया। और चाय देकर वह छत पर चली गई। और दीनानाथ भी शाम को करीब 6 बजे मंदिर गये थे तभी उनका नाती विशाल गाडी बुलाने जा रहा था और दीनानाथ को बताया कि रंजना फांसी लगा ली है। यह सुनकर दीनानाथ घर पर आये तो रंजना को नीचे उतार दिया गया था। फिर गाडी आई और रंजना को लेकर सरोई बाजार में डाक्टर अष्टभुजा पाण्डेय के क्लीनिक पर ले गये जहां पर रंजना जीवित थी लेकिन डा पाण्डेय ने आगे ले जाने के लिए कहा और रंजना को जीवनदीप में ले गये जहां पर डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया। अब यहां सवाल पैदा होता है कि रंजना फांसी लगाने के इतने समय बाद (बढौना से सरोई पहुचने तक) कैसे जिन्दा रही?

डा अष्टभुजा पाण्डेय

2- कही यह घटना अवैध रिश्तों के कारण तो नही हुई?

रंजना के मायके वालों का आरोप है कि आए दिन रंजना को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था और पति धर्मेन्द्र तिवारी भी उससे सही व्यवहार नही करता था। इसका कारण यह है कि दीनानाथ की दूसरी बहू प्रतिमा और छोटे बेटे धर्मेन्द्र के अवैध रिश्ते की बात रंजना अपने परिजनों से बताती थी। लेकिन लोकलाज के डर और गरीबी की वजह से रंजना के पिता दुर्गाशंकर चौबे ने कभी भी पुलिस से शिकायत नही की। जब रंजना यह बात अपनी सास प्रभावती से बताती तो सास रंजना को डांटकर चुप करा देती और काम से काम रहने की सलाह दे देती। हो सकता है घटना के दिन भी शायद ऐसी कोई बात रही हो जिससे यह घटना घटित हुई। दीनानाथ तिवारी के अनुसार उनकी दूसरी बहू प्रतिमा ही सबसे पहले रंजना को फांसी पर लटके हुए देखी थी।

3-घटना के बाद लोग फरार क्यों हो गये?

यदि रंजना ने खुद फांसी लगाई थी तो ससुराल के लोग फरार क्यों हो गये? लोगो को घर पर रहना चाहिए और पुलिस को पूरी घटना की जानकारी देनी चाहिए न कि भाग जाना चाहिए और घटना के लगभग दो घंटे बाद रंजना के पिता को घटना के बारे में बताना कितना सही है? जबकि रंजना की एक बहन की शादी उसी गांव बढौना में ही हुई है।

4- बहू के मौत के बावजूद भी गीत गुनगुनाते है दीनानाथ

जो बहू दीनानाथ के घर में आने के पहले और मौत के ठीक पहले चाय देकर सेवा की। उसी बहू के मरने के बाद शोक मनाने के जगह पर दीनानाथ गीत गुनगुनाते सुने गये। मालूम हो कि जब रंजना की शादी नही हुई थी तो वह बढौना मे ही अपने बहन के यहां आई थी और उस समय भी दीनानाथ को चाय लेकर रंजना ही आई थी उसके बाद धर्मेन्द्र और रंजना की शादी हुई। और मरने के कुछ देर पहले भी रंजना ने अपने ससुर दीनानाथ को चाय देकर गई और दीनानाथ मंदिर गये और यह घटना हो गई। लेकिन दीनानाथ का गीत गुनगुनाना गले नही उतर रहा है कि दीनानाथ कैसे ससुर है जो अपनी बहू के मौत के बाद भी गीत गुनगुनाते है। कम से कम रंजना के क्रिया कर्म तक तो शोक मना लेना चाहिए दीनानाथ को। गीत गुनगुनाने का मतलब यह तो नही कि रंजना की मौत से खुश है दीनानाथ?

5- क्या गरीबों की बेटियां दरिद्र होती है?

रंजना के ससुर दीनानाथ तिवारी बातचीत के दौरान एक ऐसी बात कर दी जो केवल दुर्गाशंकर चौबे के लिए ही नही अपितु सभी गरीबों के लिए किसी गाली से कम नही है। दीनानाथ ने कहा कि दरिद्र (गरीब) की बेटियां दरिद्र ही होती है। इनसे शादी नही करनी चाहिए। शायद दीनानाथ को अपने धन पर इतना घमंड है कि अपनी बहू और रिश्तेदार को दरिद्र बताने में तनिक भी संकोच नही किया। लगता है कि दीनानाथ ईश्वर से जीवनभर अमीरी का वरदान लेकर आए है। वैसे कुछ भी हो जो मामला है वह पुलिस अपने हिसाब से जांच करके करेगी लेकिन और जो दोषी पाया जायेगा उसे सजा भी मिलेगी। लेकिन गरीब दुर्गाशंकर चौबे ने अपने छः बेटियों का लालन-पालन व शादी कैसे की होगी वह तो वही जानते होंगे। अब दुर्गाशंकर को कितना न्याय मिल पाता है यह तो समय ही बताएगा।

दुर्गशंकर चौबे, रंजना के पिता

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