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सुनिये विधायक विजय मिश्रा व रवीन्द्र त्रिपाठी जी : दो ब्राह्मणों की मौत का वोट कनेक्शन

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देश और समाज को यदि किसी ने बर्बाद किया है तो वह है वोट की राजनीति। इसी वोट की राजनीति ने कभी वास्तविक लोगों को उनका हक मिलने नहीं दिया और उनके अधिकारों से हमेशा वंचित रखने का काम किया है। भले ही देश को आजाद हुये सात दशक बीत चुके हैं किन्तु आज भी वोट की राजनीति अपने चरम सीमा पर दिखायी देती है। जिसके कारण वंचितों को हक मिलना तो दूर समाज ही आपस में बंटा नजर आ रहा है। आज हम बताते हैं कि भदोही में हुई दो ब्राह्मणों की मौत में क्या अंतर रहा और इसमें कहां से वोट का कनेकशन पैदा हुआ है।

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अपनी झोंपड़ी के पास खड़ी विधवा

हवालात में रामजी मिश्र और भूख से विद्यासागर दीक्षित की मौत

गत माह भदोही जिले के गोपीगंज कोतवाली में अपनी फरियाद लेकर पहुंचे दो भाईयों को हवालात में बंद कर दिया गया। जिसमें एक भाई रामजी मिश्र की मौत हो गयी। इस मौत के बाद ब्राह्मण संगठनों में उबाल आ गया। लोग सड़क पर उतर आये और पुलिस के खिलाफ खड़े हो गये। हालात ऐसे पैदा हुये कि मामला गरमाता चला गया। न्यूज चैनल से लेकर प्रिन्ट मीडिया तक चिल्लाना शुरू कर दिये। हमारे जिले के नेताओं को भी लगा कि मामला गरत है और लगे हाथ राजनीति की रोटी सेंक ली जाये। विधायक, सांसद, नेता सब मृतक की चौखट पर हाजिरी लगाने पहुंच गये। आर्थिक सहायता की घोषणा होने लगी।

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मोदी सरकार की योजनाओं को मुंह चिढ़ाती गरीब विधवा की गृहस्थी

खैर यह अच्छी बात थी कि उन बेसहारा बेटियों को इस गरम माहौल में कुछ सहारा मिल गया। वहीं दूसरी घटना में भदोही जिले के मोढ़ क्षेत्र में बरमोहनी गांव में एक गरीब ब्राह्मण विद्याशंकर दीक्षित ने अपनी गरीबी और भुखमरी से उबकर आत्महत्या कर लिया। अपनी बेसहारा विधवा को उसके हालात पर छोड़कर चला गया। विधवा ने आरोप लगाये कि ग्राम प्रधान ने उससे आवास के लिये 20 हजार रूपये की रिश्वत मांगी। जिसके फलस्वरूप ग्राम प्रधान ने उसे चरित्रहीन होने का प्रमाण पत्र दे दिया।

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विद्यासागर की मौत के बाद सूना पड़ा चूल्हा, इसके यहां नहीं पहुंची मोदी जी की उज्जवला योजना

दोनों मौत में अंतर

रामजी मिश्रा की मौत पुलिस कस्टडी में हुई थी। जब पुलिस से जुड़ा कोई मामला होता है तो लोगों की भावनायें भड़क उठती हैं। पुलिस उन्हें दुश्मन नजर आने लगती है। यहीं वजह थी कि लोग सड़क पर उतर आये और रामजी मिश्रा की मौत वोट के लिये कारगर दिखने लगी।

जबकि गरीब ब्राह्मण विद्याशंकर दीक्षित की मौत भूख के कारण हुई थी। सरकार द्वारा उसे कोई सुविधा नहीं मिली थी। सरकार की कोई योजना उसके दरवाजे तक इसलिये नहीं पहुंच पायी थी कि वह वोट बैंक वाले समुदाय से नहीं आता है।

यदि कोई सांसद या विधायक उसकी विधवा को सांत्वना देते जाता तो अपने सरकार के सिस्टम ही उसका मुह चिढ़ाते नजर आते इसलिये किसी ने भी उस जगह अपना मुंह दिखना उचित नहीं समझा। खैर ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्रा का कार्यक्षेत्र भदोही नहीं है इसलिये उन्हें दोष नहीं दिया जा सकता लेकिन दूसरे के विधानसभा क्षेत्र में अपनी राजनीति करने पहुंचे भदोही विधायक रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी व सांसद का अपने ही क्षेत्र में न जाना चर्चा करना लाजिमी हो जाता है।

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