Home मुंबई अपने आप को ढूंढने का एक सुनहरा मौका है लॉकडाउन-आनंद श्री

अपने आप को ढूंढने का एक सुनहरा मौका है लॉकडाउन-आनंद श्री

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विश्व मे चारों तरफ अफरा-तफरी मची हुई है सभी ओर एक नकारात्मक माहौल बनता जा रहा है लेकिन इसी नकारात्मक माहौल में सकारात्मक कैसे रहे। इसी पर आज का यह विषय है। मनुष्य शुरू से ही भागता रहा है एक खोज, फिर दूसरी खोज उसके बाद फिर तीसरी इस तरह उसकी खोज निरंतर चल रही है। लेकिन अब बाहर की खोज बहुत हो चुकी है। कहीं ना कहीं कुदरत भी चाहती थी कि आप अंदर की ओर जाएं और शायद यही मकसद से हमें 21 दिन का यह समय मिला है। अब बाहर की खोजे बहुत हो चुकी है। मनुष्य को चाहिए कि वह अंदर की ओर जाए अंदर की ओर जाने पर ही उसे वह नया खजाना मिलेगा, इसकी खोज निरंतर चल रही थी। ओशो कहते हैं एकांत मूर्ख व्यक्ति के लिए कैदखाना है। और समझदार व्यक्ति के लिए एक अवसर है।

अवसर कौनसा है यह अवसर है अपने खुद की खुद की खोज की बहुत अच्छी लाइन है कि-
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हतास है
तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है

हमारा वक्त हमारा इंतजार कर रहा है। प्रकृति भी चाहती है कि आप अपनी ख़ोज करे। अब हमें अंदर की खोज करनी है जो 21 दिन हमें मिले हैं, उसमें तो कुछ दिन अभी भी बचें हैं। उसका अभी भी हम सदुपयोग करते हुए अपनी खोज करके अच्छा भविष्य बना सकते हैं। माना कि इसके बाद वाला समय थोड़ा नकारात्मक हो सकता है, थोड़ा चिड़चिड़ा वाला हो सकता है थोड़ा परेशानी वाला भी हो सकता है लेकिन आज अगर हम खुद को तैयार कर लेते हैं तो उस वक्त का भी सामना हम सकारात्मक रूप से अच्छे से कर पाएंगे। यह हमारी प्राथमिकता है कि इस माहौल को पहले स्वीकार करें। हमें रिस्पांसिबल बनना हैं।

रिस्पांसिबल बनकर आने वाले बहुत बड़ी आपदा से बचने के लिए मानसिक रूप से तैयार होना है।आशा का दीप जलाए रखना है। आशा अमर है आशा कभी मरती नहीं लेकिन इसी आशा को हमारे अंदर जगाए रखना है। कहते हैं इंसान रोटी पर नहीं उम्मीद पर जीता है इसी उम्मीद के साथ में आगे बढ़ना है। आज हमें जो 21 दिन का लॉक डाउन मिला है इतने दिनों से हम घर पर हैं इस घर को घर में बैठकर हम इसका दुरुपयोग कर सकते हैं यहां वहां तक कर अपना समय बिता सकते हैं या तो खुद की खोज करके अपने आप को जानकर स्वॉट (SWOT) एनालिसिस करके हम समाज में एक बहुत बड़ा बदलाव बन सकते हैं इसके बाद हमें एक नए नजरिए की जरूरत पड़ेगी कहते हैं।

नए माइंडसेट से नई दुनिया का उदय होता है । एक नए माइंडसेट को हमें अब सेट करना है। उसे तैयार करना है ।
अब स्वीकार कीजिए जो भी होने वाला है। जो माहौल होने वाला है उस माहौल को स्वीकार कीजिए ताकि आप निराशा अवसाद नकारात्मकता का शिकार नहीं बनेंगे। आने वाला समय हमारे लिए परीक्षा की घड़ी होगी। लेकिन अपने मन की ताकत को मन की ताकत का सही इस्तेमाल करके हम उसका मुकाबला कर सकते हैं। इंसान शरीर से नहीं मानसिक रूप से विकलांग बनता है। अगर एक बार वह मानसिक रूप से हार जाता है तो शारीरिक रूप से भी वह हारने लगता है। लॉक डाउन को एक अवसर के रूप में देखें एक संधि के रूप में देखें।

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