Home भदोही लॉक डाउन और घरेलू कलह- शशांक पाण्डेय

लॉक डाउन और घरेलू कलह- शशांक पाण्डेय

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आज पूरी दुनिया कोरोना नामक जानलेवा महामारी से जूझ रही है। सभी देशों की सरकारें मिलकर इस महामारी से बचने की जुगत लगा रही हैं। इसीलिए ज्यादातर देशों में लंबी अवधि के लॉकडाउन का ऐलान भी कर दिया गया है। फिलहाल वक्त जब तक इस बीमारी का कोई इलाज सामने नहीं आता तब तक लॉकडाउन ही एक मात्र उपाय है जिससे संक्रमण को नियंत्रण में लाया जा सकता है। वहीं इस लॉकडाउन का एक दूसरा और चिंतनीय पहलू भी है। चीन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, स्पेन, बांग्लादेश और भारत समेत कई देशों के आंकड़ों से ये बात सामने आई है कि लॉकडाउन काल में घरेलू कलह के मामलों में भी काफी वृद्धि हुई है। इसके पीछे कई कारण गिनाए जा सकते हैं। मसलन, लोगों की जीवनशैली में कई अनैच्छिक बदलाव आए हैं। ज्यादातर समय घर पर कैद रहने की वजह से उनकी मनोदशा में भी परिवर्तन आया है। बीमारी के प्रकोप, लॉकडाउन से उत्पन्न प्रतिबंध और नीरस जीवन की हताशा की वजह से गुस्से की भावना भी प्रबल हो गयी है और इस वजह से लोगों की सहनशक्ति कम हुई है। इससे छोटी छोटी बातों पर झगड़े होना आम बात है। गृहणियों के कार्यभार भी पहले के मुकाबले बढ़ गए हैं और जब कभी वो गृहस्थी का काम पूरा नहीं कर पाती तो सबके गुस्से का सामना करना पड़ता है। इसका नतीजा ये है कि घरेलू कलह और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में काफी इजाफा हुआ है।
घरेलू अशांति की वजह से कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिनके बारे में जानने के बाद चिंतित होना स्वाभाविक है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के भदोहीं जिले में एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है जहां एक महिला ने प्रतिदिन के पारिवारिक कलह से तंग आकर अपने ही 5 बच्चों को नदी में फेंक दिया। देश के अन्य हिस्सों में भी इससे मिलती जुलती घटनाएं घटित हुई हैं जो मानवीय संवेदनाओं को झकझोरती हैं।
एक ओर पूरी दुनिया इस बीमारी से लड़ रही है तो दूसरी ओर लोग अपने घरों में अपनों के ही बर्ताव से परेशान हैं। इससे बचने के लिये लोगों को अपने व्यवहार में परिवर्तन लाना होगा। हम सबको स्वतः अपनी मानसिक काउंसलिंग करनी चाहिए और मन को शांत रखने की कोशिश करनी चाहिए। परिवार के प्रत्येक सदस्य को घरेलू कामों में एक दूसरे का सहयोग भी करना चाहिए जिससे एक दूसरे की परवाह की भावना भी प्रकट होगी और आपसी सामंजस्य भी स्थापित होगा। इन छोटी छोटी बातों के बड़े प्रभाव हैं जो सबको एक दूसरे से जोड़ कर रख सकते हैं। इन सबसे भी ज्यादा जरूरी ये है कि हम सबको अपने गुस्से पे नियंत्रण रखना चाहिए क्योंकि अगर आप अपने गुस्से को नियंत्रित नहीं कर सकते तो परिस्थितियां कभी आपके नियंत्रण में नहीं रहेंगी। संसार के महानतम ग्रंथ गीता में भी ऐसा वर्णित है-

क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥
यानी

क्रोध से मनुष्य की मति मारी जाती है यानी मूढ़ हो जाती है जिससे स्मृति भ्रमित हो जाती है। स्मृति-भ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद अपना ही का नाश कर बैठता है।

वर्तमान की विषम परिस्थिति में कोरोना से बचने के लिए शारीरिक स्वच्छता जितनी जरूरी है उतनी ही मानसिक स्वच्छता और शान्ति भी जरूरी है। इसीलिए हांथों के साथ साथ अपने मन को भी सैनिटाइज करते रहें।

लेखक- शशांक पाण्डेय

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