Home गुजरात लोकसभा चुनाव 2019: …….. गहन चिंतन: डूब मरने वाला कैसे देगा आशीर्वाद

लोकसभा चुनाव 2019: …….. गहन चिंतन: डूब मरने वाला कैसे देगा आशीर्वाद

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गहन चिंतन: डूब मरने वाला कैसे देगा आशीर्वाद


सुरत। लोग कैसे खुद को समझा लेते हैं, कि कल जिसके साथ नोक झोक किया, आर पार की लड़ाई लड़ी और आज फिर उसी के साथ हमसफर पर।

बात आज की नहीं कुछ वर्ष पुर्व की है। जब उत्तर भारतीयों के प्रतिनिधि के तौर पर कुछ लोगों ने एक रेल संघर्ष समिति का निर्माण किया, और रेल आन्दोलन चरम पर था। उत्तर भारतीय समाज के जन सामान्य लोग भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिये। क्यूं न लेते भाई आने जाने मे दिक्कत तो सभी को थी।

इस संघर्ष में कई उत्तर भारतीय नेता भी लगे थे जिनमें भजपाई भी थे, कांग्रेसी भी थे, व्यवसायी भी थे और कुछ उभरते हुए नेता लोग भी थे।

संघर्ष की सुरुआत बहुत जोरदार हुई किन्तु सामने विधान सभा चुनाव था जिसके कारण यह धीरे धीरे राजनैतिक रूप लेने लगा।

उभरते हुए नेता लोगों ने रेल संघर्ष समिति के आड़ से सांसद सी आर पाटिल को तोड़ने वाला तक बताया और उनके नाम को भी अपभ्रंशक रूप दे कर सम्बोधित किया।

इन्हीं उभरते नेताओं ने उत्तर भारतीय समाज के अग्रणी और भाजपा नेता श्री राम नरेश मिश्रा (बाबु जी) को डूब मरने की सलाह तक दे डाली। एक महानुभाव ने तो श्रधान्जली कब देंगे की बाते पुछ बैठे थे।

रेल संघर्ष इतना राजनैतिक हो गया कि विधान सभा चुनाव में अजय चौधरी चौर्यासी विधान सभा से उत्तर भारतीय के नाम पर निर्दलीय उम्मीदवार खड़े हुए और उन्हें जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा।

अब समझने की बात यह है कि कुछ वर्ष पुर्व जो सांसद तोड़ने वाला था, जिस समाज के अग्रणी को डूब मरने की सलाह दी जा रही थी आज अचानक जोड़ने वाला कैसे बन गया और डूब मरने वाला अग्रणी आशीर्वाद देने लायक कैसे बन गया।

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